नई दिल्ली, एबीपी गंगा। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ही दो अलग-अलग संसदीय सीट से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। राजनीति के इतिहास में इंदिरा गांधी से लेकर नरेंद्र मोदी तक...कई ऐसे कद्दावर नेता रहे हैं, जिन्होंने दो या फिर तीन लोकसभा सीटों से चुनावी दंगल में अपना दमखम दिखाया था।
अमेठी और केरल की वायनाड से लड़ेंगे राहुल
2019 के चुनाव रण में राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की अपनी विरासत सीट अमेठी और केरल की वायनाड लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे हैं। 2014 में राहुल ने बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी को अमेठी सीट से हराकर लोकसभा का रास्ता तय किया था। इस बार फिर अमेठी से राहुल के खिलाफ चुनावी मैदान में स्मृति ईरानी होंगी, जबकि वायनाड सीट पर राहुल को टक्कर देने के लिए एनडीए ने भारत धर्म जन सेना के अध्यक्ष तुषार वेल्लापल्ली को अपना प्रत्याशी बनाया है।
ये तो हुई वर्तमान परिदृष्य की बात, राहुल गांधी से पहले पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने भी दो जगहों से चुनाव लड़ा था। इस लिस्ट में इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव आदि शामिल हैं। इस रिपोर्ट में देखिए- कौन कब और किन-किन सीटों से लड़ा चुनाव।
नरेंद्र मोदी
सबसे पहले बात करेंगे, निवर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने यूपी की वाराणसी संसदीय सीट और गुजरात की वडोदरा सीट से चुनाव लड़ा था और दोनों जगह विजयी हुए थे। मोदी ने वाराणसी सीट को अपने पास रखा और वडोदरा से इस्तीफा दे दिया।
तब बीजेपी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार रहे मोदी के दो जगहों से लड़ने का परिणाम ये रहा कि बीजेपी ने दोनों राज्यों में पूर्ण बहुमत हासिल किया। दरअसल, ऐसा माना जाता है कि बड़े कद वाले नेताओं का प्रभाव सिर्फ एक सीट पर नहीं बल्कि एक बड़े क्षेत्र पर होता है, जिसका असर चुनावी नतीजों में देखने को भी मिलता है। ये चुनावी फिजा को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी
इस फेहरिस्त में दूसरा नाम है पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी का। जिन्होंने एक या दो नहीं बल्कि तीन लोकसभा सीटों पर एक समय चुनाव लड़ा चुका था। 1957 में अटल ने जनसंघ के उम्मीदवार के तौर पर लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में लखनऊ में वो हार गए थे, जबकि मथुरा में तो उनकी जमानत जब्त हो गई थी। हालांकि बलरामपुर के लोगों ने उन्हें जीताकर संसद पहुंचाया।
इंदिरा गांधी
देश की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी दो संसदीय सीटों से चुनाव लड़ी थीं। 1980 के चुनाव में इंदिरा आंध्र प्रदेश की मेडक (अब तेलंगाना) और यूपी की रायबरेली संसदीय सीट से चुनावी मैदान में उतरीं और दोनों जगह जीत हासिल की।
सोनिया गांधी
इंदिरा गांधी की बहू और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी 1999 में दो संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था। कर्नाटक के बेल्लारी और यूपी की अमेठी से वे चुनावी दंगल में कूदीं थीं। तब बेल्लारी से बीजेपी ने सुषमा स्वराज को अपना उम्मीदवार बनाया था। हालांकि बाद में सोनिया ने बेल्लारी सीट छोड़ दी थी, जिसके बाद 2000 में यहां उपचुनाव हुआ था।
लालकृष्ण आडवाणी
1991 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने भी नई दिल्ली और गुजरात की गांधीनगर सीट से चुनाव लड़ा था। दोनों सीटों पर उनकी जीत हुई। चुनावी नतीजों के बाद उन्होंने गांधीनगर सीट को अपने पास रखा और नई दिल्ली सीट से इस्तीफा दे दिया।
मुलायम सिंह यादव
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव भी 1999 के लोकसभा चुनाव में दो संसदीय सीट से लड़े थे। एक संभल और दूसरी कन्नौज और दोनों सीटों पर जीत का परचम लहराया था। हालांकि, बाद में उन्होंने कन्नौज सीट को अखिलेश के लिए छोड़ दी थी और यहां हुए उपचुनाव में विजयी होकर अखिलेश लोकसभा पहुंचे।
पिछले लोकसभा चुनाव(2014) में भी मुलायम मैनपुरी और आजमगढ़ दोनों सीटों से लड़े और जीते। आजमगढ़ सीट पास रखी और मैनपुरी से इस्तीफा दिया।
अखिलेश यादव
मुलायम के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव 2009 के आम चुनाव में फिरोजाबाद और कन्नौज से लड़े और जीते। कन्नौज सीट अपने पास रखी और फिरोजाबाद को छोड़ा।
लालू यादव
इसी तरह आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी दो संसदीय सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। 2009 में वे सारण और पाटिलपुत्र से चुनाव लड़े थे। सारण सीट से उन्होंने जीत हासिल की थी।