राजनीति का वो दौर, जब सियासत के दो किनारों का प्रयागराज में हुआ था संगम
सियासत के दो विरोधियों को एक मंच पर देख आम लोग हतप्रभ थे। शास्त्री जी को देखते ही जनसंघ के प्रत्याशी राम गोपाल संड ने मंच छोड़ दिया और शास्त्री जी के संबोधन के बाद अपना भाषण दिया।
प्रयागराज, एबीपी गंगा। लोकसभा चुनावों को लेकर तमाम ऐसी यादें हैं जो आज भी लोगों के जहन में जिंदा हैं। इतिहास में ऐसी तमाम घटनाएं हुई हैं जिनसे पता चलता है कि चुनाव के दौरान धुर-विरोधी रहे नेता एक दूसरे का सम्मान भी बखूबी करते थे। चलिए आपको भी एक ऐसी ही एक घटना के बारे में बताते हैं जो करीब 50 साल पहले घटी थी।
ऐसा था सम्मान
ये वो वक्त था जब देश के सियासी पटल पर बीजेपी का उदय नहीं हुआ था। सियासत के लिहाज से इलाहाबाद का महत्व था और इसीलिए एजी ऑफिस और शिक्षा निदेशालय के गेट पर जनसंघ के प्रत्याशी राम गोपाल संड के समर्थन में एक चुनावी सभा थी। इस सभा में अपार भीड़ थी। इसी दौरान सभा में कांग्रेस प्रत्याशी लाल बहादुर शास्त्री भी पहुंच गए। सियासत के दो विरोधियों को एक मंच पर देख आम लोग हतप्रभ थे। शास्त्री जी को देखते ही जनसंघ के प्रत्याशी राम गोपाल संड ने मंच छोड़ दिया और शास्त्री जी के संबोधन के बाद अपना भाषण दिया।
ये था मुद्दा
दरअसल, ये वर्ष 1962 के आम चुनाव की घटना है। उस वक्त इलाहाबाद संसदीय सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी लाल बहादुर शास्त्री थे और जनसंघ की तरफ से राम गोपाल संड चुनाव मैदान में थे। केंद्रीय और राज्य कर्मचारी इलाहाबाद शहर को बी श्रेणी का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे। कर्मचारियों का कहना था कि शहर के सी श्रेणी में शामिल होने की वजह से उन्हें एचआरए, सीसीए कम मिलता था। शहर को अपग्रेड करने से उनके इन भत्तों में बढ़ोतरी होगी। कर्मचारियों ने संड को समर्थन देने का निर्णय लिया था। वह चुनावी सभाओं में कहते थे कि यदि उन्हें सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचने का मौका मिला तो वह इसे जोरदार तरीके से रखेंगे।
कर्मचारियों ने सैंपा ज्ञापन
जनसंघ के प्रत्याशी ने कर्मचारियों की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए इसे चुनावी मुद्दा बना दिया। मुद्दा बड़ा था लिहाजा एजी ऑफिस और शिक्षा निदेशालय गेट पर उनके समर्थन में सभा आयोजित की गई। इस सभा में मुख्य वक्ता नाना जी देशमुख थे। नाना जी से पहले राम गोपाल जी का संबोधन चल रहा था। इसी दिन कांग्रेस प्रत्याशी की चुनावी सभा गवर्नमेंट प्रेस पर आयोजित थी। शास्त्री जी सर्किट हाउस से निकलकर अपनी कार से सभा के लिए रवाना हुए। एजी ऑफिस के समीप पहुंचने पर उनके काफिले को कर्मचारियों ने रोककर शहर को बी श्रेणी का दर्जा दिलाने की मांग संबंधी ज्ञापन सौंपा।
सीधे मंच की तरफ चल दिए शास्त्री जी
कर्मचारियों के ज्ञापन सौंपने के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने तनिख भी देर नहीं की और कार से उतरकर सीधे मंच की तरफ चल दिए। मंच पर पहुंचते ही शास्त्री जी ने संड से आग्रह किया कि कर्मचारियों ने उन्हें एक मांग पत्र सौंपा है, इसलिए वह पांच मिनट के लिए अपना माइक उन्हें दे दें। इतना सुनते ही संड माइक छोड़कर पीछे आ गए। शास्त्री जी ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि केंद्र में उनकी सरकार बनी और वह चुनाव जीत गए तो शहर को दो महीने में बी श्रेणी का दर्जा दिलवाएंगे। इसके बाद वह मंच से चले गए।
और फिर पूरी हुई कर्मचारियों की मांग
मंच से लाल बहादुर शस्त्री के जाने के बाद नाना जी देशमुख ने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी लड़ाई केंद्र सरकार से है, कांग्रेस प्रत्याशी से नहीं। अगर लाल बहादुर शास्त्री शहर को बी श्रेणी का दर्जा दिलाते हैं तो वह उनके आभारी रहेंगे। इस चुनाव में शास्त्री जी भारी मतों से विजयी हुए। चुनाव जीतने के दो महीने के अंदर वादा भी पूरा करा दिया। शहर को बी श्रेणी का दर्जा मिल गया। शास्त्री जी को तब एक लाख 35 हजार और संड को 67 हजार मत मिले थे।