शाहजहांपुर लोकसभा सीट पर बदलता रहा है वोटरों का मिजाज, इस बार बीजेपी के लिए आसान नहीं है राह
शाहजहांपुर लोकसभा सीट से 2019 के चुनावी मैदान में 14 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। यहां मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के अरुण कुमार सागर और बहुजन समाज पार्टी के अमर चंदर जौहर के बीच है।
शाहजहांपुर, एबीपी गंगा। शाहजहांपुर लोकसभा सीट के वोटरों का मिजाज अलग है। एक बार यहां से जो पार्टी जीत हासिल करती है वोटर अगले चुनाव में उसे मौका नहीं देते हैं। बीते करीब तीन दशकों से यहां यही ट्रेंड नजर आया है। शायद बीजेपी को शाहजहांपुर के ट्रेंड का अंदाजा था इसलिए यहां पर पार्टी ने अपना प्रत्याशी ही बदल दिया गया। अब चुनावी नतीजा क्या होगा यह तो 23 मई को पता चलेगा लेकिन कभी कांग्रेस का गढ़ रही शाहजहांपुर में चुनावी जंग रोचक होने वाली है।
मैदान में हैं 14 उम्मीदवार
शाहजहांपुर लोकसभा सीट से 2019 के चुनावी मैदान में 14 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। यहां मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के अरुण कुमार सागर और बहुजन समाज पार्टी के अमर चंदर जौहर के बीच है। कांग्रेस ने ब्रह्मस्वरूप सागर को मैदान में उतारा है। सीपीआई ने मनीष चंद्र कोरी को टिकट दिया है, जबकि 3 उम्मीदवार बतौर निर्दलीय मैदान में हैं।
शाहजहांपुर लोकसभा सीट का सियासी समीकरण
एक दौर में शाहजहांपुर लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। लेकिन बाद में भारतीय जनता पार्टी ने भी यहां पर कई बार जीत हासिल की। ये सीट कांग्रेस के दिग्गज नेता जितेंद्र प्रसाद का गढ़ रही है। 1962 के लोकसभा चुनाव के दौरान ये सीट वर्चस्व में आई, शुरुआती तीन चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस ही विजय रही, लेकिन 1977 में चली सरकार विरोधी लहर में कांग्रेस यहां पर टिक नहीं पाई थी और जनता दल ने यहां से जीत हासिल की थी। 1980, 1984 में कांग्रेस के जितेंद्र प्रसाद ने बड़े अंतर से यहां जीत हासिल की थी।
राम मंदिर आंदोलन का दिखा असर
1990 के आसपास जब देश में राम मंदिर आंदोलन चरम पर था, तो बीजेपी ने भी यहां पैर पसारे। 1989, 1991 के चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की। राम मंदिर आंदोलन के बाद बनी समाजवादी पार्टी ने 1996 के चुनाव में इस सीट से जीत दर्ज की। 1998 में भारतीय जनता पार्टी ने यहां जीत दर्ज की लेकिन, 1999 में चुनाव हुए और जितेंद्र प्रसाद जीत फिर जीतकर सांसद बने। 2001 में उनका निधन हो गया, जिसके बाद 2004 के चुनाव में उनके बेटे जितिन प्रसाद इस सीट से चुनाव जीते। 2009 का चुनाव समाजवादी पार्टी के खाते में गया, लेकिन 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर विजयी हुई।
शाहजहांपुर सीट का समीकरण
2014 के लोकसभा चुनाव के अनुसार इस सीट पर करीब 19 लाख से अधिक वोटर हैं। इसमें करीब 11 लाख पुरुष और करीब 8 लाख महिला वोटर हैं। सामाजिक ताने-बाने की बात करें तो इस सीट पर मुस्लिमों का खासा प्रभाव है, यहां की करीब 20 फीसदी जनसंख्या मुस्लिम समुदाय से है।
विधानसभा सीट
शाहजहांपुर लोकसभा क्षेत्र के अंदर कुल 6 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें कटरा, जलालाबाद, तिलहर, पुवायां, शाहजहांपुर और ददरौल शामिल हैं। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में यहां सिर्फ जलालाबाद में समाजवादी पार्टी जीत पाई थी, बाकी 5 विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने अपना परचम लहराया था।
2014 में कैसा था जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर मोदी लहर का असर दिखा था। बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ीं कृष्णा राज ने यहां करीब ढाई लाख वोटों से जीत दर्ज की थी। शाहजहांपुर में BJP को कुल 46.5% वोट मिले थे, जबकि बहुजन समाज पार्टी दूसरे और समाजवादी पार्टी तीसरे नंबर पर रही थी। 2014 में इस सीट पर करीब 57 फीसदी मतदान हुआ था, इसमें करीब 10 हजार वोट NOTA में गए थे।