लोकतंत्र के महापर्व में एक अतीत का किस्सा ऐसा थी जुड़ा है जब कल्याण सिंह सभा कर रहे थे और उनकी सरकार गिर गई। कांग्रेस के जगदंबिका पाल प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए थे। यूपी की राजनीति का ये घटनाक्रम आज भी लोगों के जेहन में ताजा है।


लखनऊ से फोन आया कि....सरकार गिर गई


साल 1988 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह अपने प्रत्याशी के पक्ष में अमरोहा के रहरा में जनसभा कर रहे थे, तभी लखनऊ से फोन आता है कि उनकी सरकार गिर गई है और कांग्रेस के जगदंबिका पाल मुख्यमंत्री बन गए हैं।


सभा छोड़ तत्काल रवाना हुए लखनऊ


तब अमरोहा की सुरक्षित गंगेश्वरी विधानसभा सीट संभल लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हुआ करती थी। रहरा गंगेश्वरी विधानसभा में आता था, जहां भाजपा ने डीपी यादव को अपना प्रत्याशी बनाया था। उन्हीं के समर्थन में कल्याण सिंह एक सभा को संबोधित करने रहरा आए थे। इस दौरान बुहत ही नाटकीय तरीके से कल्याण सिंह की सरकार को विपक्ष ने गिरा दिया है। उन्हें जैसे ही ये सूचना मिली वो तत्काल जनसभा को छोड़कर लखनऊ रवाना हो गए। हालांकि जगदंबिका पाल को भले ही कांग्रेस ने रातों-रात मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी हो, लेकिन कल्याण सिंह ने अगले दिन राष्ट्रपति के सामने विधायकों की परेड कराकर अपनी सरकार को गिरने से बचा लिया और इस तरह जगदंबिका पाल केवल एक दिन में मुख्यमंत्री बन पाए।


इस कारण विपक्ष ने सरकार गिराने का षड्यंत्र रचा


1998 में अमरोहा जनपद की सुरक्षित गंगेश्वरी विधानसभा सीट संभल लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा हुआ करती थी। संभल वीवीआई सीट थी, जहां से मुलायम सिंह यादव चुनावी मैदान में थे। भाजपा के लिए भी ये प्रतिष्ठा की जंग थी। उसने यादव बिरादगी में बड़े नेता बनकर उभरे मुलायम सिंह यादव के खिलाफ बाहुबली डीपी यादव को चुनावी मैदान में उतारा। गंगेश्वरी के तत्कालीन भाजपा विधायक तोताराम की मानें तो डीपी यादव से मुलायम सिंह हार न जाएं, इसलिए विपक्ष ने सरकार गिराने का षड्यंत्र रचा था।


यूपी के एक दिन के सीएम थे जगदंबिका पाल


जगदंबिका पाल को ‘वन डे वंडर ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स’ कहा जाता है। ये नाम उन्हें इस घटनाक्रम के बाद मिला। यूपी की 13वीं विधानसभा का ये किस्सा जब भी याद किया जाता है, जगदंबिका पाल के एक दिन के मुख्यमंत्री बनने का घटनाक्रम भी सबके जेहन में ताजा हो जाता है।


जब राज्यपाल ने कल्याण सिंह को दिया झटका


फरवरी 1998 में दल-बदल के आरोप-प्रत्यारोपों की वजह से बहुमत साबित करने के दौरान विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। नौबत मारपीट तक जा पहुंची थी। हालात को देखते हुए तत्कालीन राज्यपाल रोमेश भंडरी ने केंद्र से राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की, जिसे अस्वीकार कर दिया गया।


इस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को तब झटका लगा, जब राज्यपाल ने बसपा से आए विधायकों के समर्थन को राज्यपाल ने मान्यता देने से इन्कार कर दिया। इस तरह राज्यपाल ने रातोंरात कल्याण सिंह की सरकार को बर्खास्त कर दिया और ऐसे जगदंबिका पाल बन गए यूपी के मुख्यमंत्री। लेकिन अगले दिन राज्यपाल के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने राज्यपाल को बदलने का आदेश दिया। विधानसभा में जगदंबिका पाल बहुमत साबित न कर सके और उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी। इस तरह वो प्रदेश के सिर्फ एक दिन के मुख्यमंत्री बनकर रह गए।