'जिस ओर जवानी चलती है, उसी ओर जमाना चलता है...' ये पुरानी कहावत राजनीतिक गुणा-भाग में एकदम सटीक बैठती है। चुनाव परिणाम में युवाओं की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि हर चुनाव में पार्टियों का फोकस युवाओं पर रहता है। लोकतंत्र में वोट का महत्व क्या है? इस महत्व को समझाने और इसका सटीक व्याख्यान करने का जिम्मा उठाते हैं देश के युवा वोटर।


हर बार प्रत्येक लोकसभा सीट पर 50 हजार से एक लाख तक नए वोटर बढ़ जाते हैं। इसी के साथ बढ़ती हैं सत्ताकांक्षी रहनुमाओं से अपेक्षाएं। ये युवा पीढ़ी अपने वोट की कीमत बताने की कूबत रखती है। साथ ही, राजनीतिक पार्टियों से दो टूक ये भी कहने की हिम्मत रखती है कि अगर हमसे अपेक्षा है, तो हमारी उपेक्षा नहीं की जा सकती।


अपनी उंगली पर पहली बार स्याही लगाकर लोकतंत्र को रोशन करने जा रही इस युवा पीढ़ी की प्रथामिकता धर्म और जाति की सियासत से कोसो दूर है। एबीपी गंगा ने यंगिस्तान का मिजाज जानने के लिए युवा वोटरों से बात। इस रिपोर्ट में देखिए, आखिर क्या अपेक्षाएं रखती हैं देश की युवा पीढ़ी आने वाली सरकार से....


रायबरेली


सबसे पहले हम बात करेंगे, कांग्रेस की विरासत सीट रायबरेली के बारे में। रायबरेली में युवा मतदाताओं की संख्या करीब आठ लाख है। युवाओं के सामने सबसे बड़ी समस्या अगर कोई है तो वो है रोजगार। रायबरेली के युवाओं का मनना है कि न सिर्फ यूपी बल्कि देश की VIP सीट होने के बावजूद यह सीट आजतक वो मुकाम नहीं पा सकी, जिसकी वो हकदार है।


अमेठी


कांग्रेस की दूसरी विरासत सीट अमेठी के भी युवा नौकरी की चाहत रखते हैं। यहां युवा मतदाताओं की संख्या 3.33 लाख है। यहां का युवा बेहतर शिक्षा के साथ-साथ शैक्षिक योग्यता के अनुसार नौकरी की चाहत रखता है। उनकी मांग है कि संसदीय क्षेत्र में जिला स्तरीय खेल स्टेडियन बने। साथ ही, वे व्यावसायिक शिक्षा के संस्थानों की मांग भी करते हैं। युवाओं ने डिजिटल की इस दुनिया का भी स्वागत किया। उन्होंने माना कि सब कुछ ऑनलाइन हो रहा है, जिसका उन्हें काफी फायदा भी मिल रहा है।


लखनऊ


अब बात करते हैं राज्य की राजधानी लखनऊ की, जहां 9.07 लाख करीब युवा मतदाता हैं। राजधानी के युवा मतदाता कहते हैं कि रोजगार व शिक्षा के अलावा स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने की जरूरत है। गोमती को बचाने से लेकर अवैध अतिक्रमण पर सख्त रूख अख्तियार करने की भी जरूरत है। साथ ही, ट्रैफिक की समस्या पर भी ध्यान देना आवश्यक है। महिला युवा वोटर्स की मांग है कि महिला सुरक्षा की दिशा में और अधिक ध्यान देना होगा। लखनऊ यूनिवर्सिटी के न्यू कैम्पस की लॉ स्टूडेंट राजश्री ने एबीपी गंगा के माध्यम से कहा कि आरक्षण व्यवस्था को खत्म होना चाहिए। महिला सुरक्षा को लेकर उचित और सख्त कदम उठाने की जरूरत हैं, ताकि देश की हर बेटी खुद को महफूज समझे।


हरदोई


लखनऊ से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हरदोई संसदीय क्षेत्र में युवा मतदाताओं की संख्या 14.22 लाख है। यहां के युवा नौकरी में भ्रष्चाचार से अभी तक दुखी हैं। उनका कहना है कि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में अभी तक पारदर्शिता नहीं आई है। रोजगार की समस्या भी युवाओं के प्रमुख मुद्दों में शामिल है। इंटर सीटी और इंटर स्टेट परिवहन की कमी का भी समाना यहां के युवाओं को करना पड़ रहा है। हरदोई के युवा मतदाता राहुल गुप्ता ने एबीपी गंगा से कहा, 'हमें रोजगार की जरूरत है। स्किल इंडिया, कौशल विकास से लेकर स्टार्ट अप जैसी स्कीमों में और सुधार की जरूरत है।'


सीतापुर


सीतापुर संसदीय क्षेत्र में 16.24 लाख युवा मतदाता हैं। सीतापुर के युवा मतदाता ये तो मानते हैं कि विकास कार्य हुए हैं, लेकिन पर्याप्त नहीं हुए। उन्होंने स्वीकारा है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई से काफी बदलाव आया है। सीतापुर के युवाओं की भी मांग है कि भर्तियों में पारदर्शिता होनी चाहिए।


बहराइच


बहराइच में युवा मतदाता 7.33 लाख हैं। यहां के युवा शिक्षा, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों को दूर करने की अपेक्षा रखते हैं।


बाराबंकी


राजधानी लखनऊ से सटी बाराबंकी संसदीय क्षेत्र में युवा मतदाताओं की संख्या 8.11 लाख हैं। लखनऊ के करीब होने के बावजूद यहां पर विकास अपेक्षानुरूप नहीं है। प्रतियोगी युवाओं की नौकरी की आस है, लेकिन योग्यता अनुरूप रोजगार की कमी है। जिस कारण उन्हें छोटी-छोटी नौकरी कर अपना गुजारा करना पड़ रहा है। ऐसे में योग्यतानुसार रोजगार यहां के युवाओं की प्रमुख मांग है। इसके अलावा यहां का रेलवे स्टेशन भी उपेक्षित है।


खीरी


देश के युवा भ्रष्टाचार जैसे गंभीर मुद्दे पर काफी संजीदा हैं। अब बात खीरी के युवाओं की कहते हैं, जहां 14.11 लाख युवा मतदाता हैं। यहां की युवा शक्ति का सीधा कहना है- जो हमें आगे बढ़ाएगा, वहीं आगे जाएगा। यहां के युवा में शिक्षा में गुणवत्ता की अपेक्षा रखते हैं।


सुल्तानपुर


सुल्तानपुर में 8 लाख युवा मतदाता है, जिनका मानना है कि जिले में प्रोफेशनल शिक्षा का अभाव है। युवाओं के प्रमुख मुद्दों में टूटी सड़कें, बदहाल स्वास्थ्य सुविधाएं, बेरोजगारी, किसानों की दुर्दशा शामिल हैं। यहां के युवाओं का कहना है कि कम से कम शिक्षा और रोजगार के लिए कहीं दूर न जाना पड़े। रेल और परिवहन सेवाओं की बेहतरी की भी मांग की।


अंबेडकरनगर


अंबेडकरनगर के 9.67 लाख युवा मतदाताओं की भी प्रमुख मांग है रोजगार। यहां की युवा पीढ़ी नौकरी में पूर्ण रूप से पारदर्शिता की पक्षधर है। उनकी मांग है कि शिक्षा के लिए अपेक्षा के अनुरूप कॉलेज हो, ताकि बेहतर प्रशिक्षण प्राप्त हो सके।


अयोध्या


राम मंदिर निर्माण और बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर अयोध्या का नाम हमेशा सुर्खियों में रहता है। जब यहां के युवाओं से हमने बात की, तो उनके प्रमुख मुद्दों में सरकारी भर्तीयों में पारदर्शिता सर्वप्रथम रही। पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने जा रहे युवाओं का कहना है कि हम वोट उन्हीं को देंगे, जिनके एजेंडे में युवाओं के लिए अहम मद्दे शामिल होंगे। अयोध्या में 4.40 लाख युवा मतदाता हैं।


गोंडा                 


गोंवा के युवा चाहते हैं कि निजी शिक्षण संस्थानों में मनमानी पर रोक लगे। यहां पर युवा मतदाताओं की संख्या 5.50 लाख हैं। उनका कहना है कि तकनीकी और उच्च शिक्षा का विकास होना चाहिए। साथ ही, स्किल डेवलपमेंट के माध्यम से रोजगार के अवसर बढ़ने चाहिए।


कैसरगंज


कैसरगंज संसदीय सीट के युवा मतदाता अच्छी शिक्षा और रोजगार की मांग करते हैं। यहां 5 लाख के करीब युवा मतदाता हैं, जिनमें अहम मुद्दों में एक नौकरी में पारदर्शिता भी शामिल हैं। युवाओं ने क्षेत्र में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की भी मांग की है, ताकि उन्हें पढ़ने के लिए दूर-दराज न जाना पड़े।


धौरहरा


धौरहरा संसदीय क्षेत्र में युवा मतदाता की संख्या 8.78 लाख हैं। यहां के युवा संचार क्रांति से काफी प्रभावित हैं। हालांकि क्षेत्र में तकनीकी और उच्च शिक्षा के लिए संस्थान न होने इन्हें परेशान करता है। यहां पलायन भी एक बड़ा मुद्दा है। दरअसल, उद्योगों के अभाव से लोग रोजी-रोटी कमाने के लिए दूर-दूराज जाने के लिए मजबूर हैं।


अमूमन हर संसदीय क्षेत्र के युवाओं की प्रमुख मांग रोजगार, शिक्षा में सुधार और योग्यता अनुरूप रोजगार मिलना शामिल है। अब देखना ये होगा कि युवाओं की अपेक्षाओं पर कौन-कितना खरा उतरता है।