2019 का लोकसभा चुनाव कई मायनों में दिलचस्प होने वाला है। 17वीं लोकसभा के लिए 21वीं सदी के युवाओं का जोश, कई सूरमाओं के होश उठा सकता है। उत्तर प्रदेश के लगभग 14 करोड़ 40 लाख मतदाता हैं, जिनमें करीब 8 करोड़ मतदाता युवा हैं। करीब 17 लाख मतदाता ऐसे हैं, जो पहली बार अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने जा रहे हैं। इस तरह युवाओं की चुनाव में बढ़ती सक्रियता और उनकी नई सोच निर्णायक साबित होगी। माना जा रहा है कि 80 से 50 से अधिक लोकसभा सीटों पर युवा मतदाता निर्णायक भूमिका में नजर आएंगे।


इस बार युवा प्रदेश की 65 फीसदी से अधिक लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की हार-जीत में अहम भूमिका निभाएंगे। लगभग 23 करोड़ की आबाजी वाले उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें हैं। 14.4 करोड़ मतदाता अपने सांसद को चुनकर संसद पहुंचाएंगे। इन पांच साल के दरमियान प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में औसतन सवा लाख मतदाताओं की संख्या में इजाफा हुआ है। प्रत्येक सीट पर एक से दो लाख नए मतदाता जुड़े हैं।



मतदाताओं का आंकड़ा


आयु वर्ग   कुल मतदाता    हिस्सेदारी %


18-19         16755567            1.19


20-29        35722043           25.49


30-39       37224128          26.72


40-49        29119135          20.72


50-59        20418553           14.53


60-69        12082571          8.60


70-79        5671489          4.04


80+         2148406           1.53


युवाओं को लुभाने में जुटे दल


यह तो स्पष्ट है कि इस बार युवाओं के हाथ में जीत की चाबी होगी। जो उनकी सुनेगा, उनके हितों का ख्याल रखेगा। जीत के ताले की चाबी उनके लिए खुलेगी। ये बात राजनीतिक पार्टियों भी बखूबी समझती हैं। तभी चाहें बीजेपी हो या फिर कांग्रेस या एसपी-बीएसपी सभी की कोशिश है कि युवा उनसे जुड़ें। हर किसी को युवाओं की शक्ति का एहसास है, तभी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भाजपा नेताओं तक हर कोई युवाओं के लिए उनकी सरकार द्वारा किए गए कार्यों का बखान करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। उधर, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बीएसपी सुप्रीमो मायावती बेरोजगारी के मुद्दे को बार-बार उठाकर सरकार पर वार पर वार करने में जुटे हैं। हालांकि अब देखना होगा कि युवाओं की झुकान किस ओर होगा और किस तरह से चुनावी नतीजों पर उनकी निर्णायक भूमिका नजर आएगी।