लखनऊ, एबीपी गंगा। 2019 का लोकसभा चुनाव कई मायनों में अहम रहा है। ये वो युद्ध था जिसमें कांग्रेस ने अपने ब्रह्मास्त्र का उपयोग किया। लेकिन अब एग्जिट पोल में जो आंकड़े सामने आए हैं उससे ये साफ हो गया कि या तो कांग्रेस ने गलत समय पर गलत फैसला लिया या फिर प्रियंका गांधी नाम का ब्रह्मास्त्र सियासी समर में वो असर नहीं दिखा पाया जितनी कांग्रेस पार्टी उम्मीद लगाए बैठी थी।
23 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजे आएंगे, कहीं खुशी तो कहीं गम का माहौल होगा। कहीं पटाखे फूटेंगे, कहीं मिठाई बंट रही होगी तो कहीं सन्नाटा पसरा होगा। भले ही नतीजे कुछ भी हों लेकिन तमाम एग्जिट पोल में जिस तरह के आंकड़े सामने आए हैं उससे एक बात तो साफ है कि यूपी में प्रियंका गांधी का जादू नहीं चल पाया। न तो वो जनता से कनेक्ट कर पाईं और न ही जनता उनसे जुड़ पाई।
नतीजा सिफर ही रहा
2019 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति में एंट्री हो गई थी। आलाकमान ने उन्हें कांग्रेस महासचिव पद की जिम्मेदारी दी और सीधे पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार दे दिया गया। माना गया कि सियासत में प्रियंका की एंट्री कांग्रेस के लिए संजीवनी का काम करेगी लेकिन फिलहाल ऐसा कुछ नजर नहीं आ रहा है। प्रियंका ने यूपी में मेहनत की, जन सभाएं कीं, रोड शो किए...भीड़ भी नजर आई लेकिन वोट के मामले में नतीजा सिफर ही रहा।
कांग्रेस को एक भी सीट नहीं
एबीपी गंगा-नीलसन के सर्वे में पूर्वांचल की 26 सीटों में से महागठबंधन को 18 सीटें मिल रही हैं, बीजेपी 8 सीटों पर सिमटती दिख रही है, लेकिन कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिलती दिख रही है। ये हालात तब हैं जब वाराणसी, मिर्जापुर और कुशीनगर में प्रियंका गांधी ने रोड शो किया।
ठंडा पड़ गया कार्यकर्ताओं का जोश
लोकसभा चुनाव के दौरान ऐसी खबरें भी आईं जब कहा गया कि कांग्रेस महासचिव और पूर्वांचल की प्रभारी प्रियंका गांधी वाराणसी से चुनाव लड़ सकती हैं। प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की खबर के बीच कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और आम जनता के बीच कौतुहल बना रहा, लेकिन चुनाव न लड़ने की खबर से कार्यकर्ताओं का जोश ठंडा पड़ गया और आम जनता के बीच कांग्रेस की हवा भी ढीली पड़ गई। आंकड़े भी यही संकेत दे रहे हैं।
पूर्वांचल की सीटों का आंकड़ा
बीएसपी- 11 सीटें
एसपी- 07 सीटें
बीजेपी- 08 सीटें
कांग्रेस- 00