जालौन लोकसभा सीट पर दिख रही है सियासी तपिश, जानें- क्या समीकरण बदल सकता है का गठबंधन
जालौन सुरक्षित लोकसभा सीट पर अभी तक कुल 14 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं। इनमें से पांच बार कांग्रेस और पांच बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है।
जालौन, एबीपी गंगा। मौसम में गर्मी बढ़ने के साथ-साथ यूपी में लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर भी सरगर्मी बढ़ गई है। उत्तर प्रदेश की जालौन लोकसभा सीट से इस बार 5 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। बीजेपी ने मौजूदा सांसद भानुप्रताप सिंह वर्मा पर फिर दांव खेला है तो गठबंधन की तरफ से बीएसपी के अजय सिंह मैदान में हैं। कांग्रेस ने ब्रजलाल खाबरी को मैदान में उतारा है इसके अलावा राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के प्रत्याशी भी चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
जालौन लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। कहा जाता है कि ऋषि जलवान के नाम पर इस जिले का नाम जलौन पड़ा था। 7वीं सदी में इस इलाके पर राजा हर्षवर्धन का शासन बना रहा। गंगा के जलोढ़ मैदानों पर बसा जालौन के उत्तर में यमुना नदी और तो दूसरी तरफ बेतवा नदी बहती है। यहां की 210 फीट ऊंची लंका मीनार बेहद मशहूर है, इस मीनार के अंदर रावण के पूरे परिवार का चित्रण है। 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर पर सवार बीजेपी ने सपा से यह सीट छीन ली थी।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
जालौन सुरक्षित लोकसभा सीट पर अभी तक कुल 14 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं। इनमें से पांच बार कांग्रेस और पांच बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है। जबकि सपा, बसपा, जनता दल और लोकदल को एक-एक बार जीत मिली है। जालौन लोकसभा सीट पर पहली बार 1962 में चुनाव हुए, जिनमें कांग्रेस के रामसेवक सांसद बने। यहां पर कांग्रेस की जीत सिलसिला 1971 तक कायम रहा, लेकिन 1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल से रामचरण मैदान में उतरे और उन्होंने कांग्रेस से यह सीट छीन ली। हालांकि, 1980 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और यहां से नाथुराम सांसद चुने गए। इसके बाद 1984 में कांग्रेस ने दोबारा जीत दर्ज की, लेकिन 1989 में यहां जनता दल जीतने में कामयाब रही। इसके बाद कांग्रेस वापसी नहीं कर सकी है।
1991 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जालौन संसदीय सीट पर खाता खोला और गया प्रसाद कोरी तब यहां के सांसद बने। बीजेपी ने यहां से लगातार तीन बार जीत दर्ज की, लेकिन 1999 में बसपा से ब्रजलाल खाबरी मैदान में उतरे और जीतकर संसद पहुंचे। 2004 में बीजेपी ने फिर वापसी की, लेकिन 2009 में यहां पहली बार सपा को जीत मिली। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के भानुप्रताप सिंह वर्मा ने इस सीट पर जीत का परचम लहराया था।
सामाजिक पृष्ठभूमि
2011 की जनगणना के मुताबिक जालौन लोकसभा सीट पर 78.97 फीसदी ग्रामीण और 21.03 फीसदी शहरी आबादी है। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के मुताबिक इस लोकसभा सीट पर पांचों विधानसभा सीटों पर कुल 1904551 मतदाता और 2212 मतदान केंद्र हैं। अनुसूचित जाति की आबादी इस सीट पर 27.8 फीसदी है जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी 0.06 फीसदी है।
विधानसभा सीट
जालौन लोकसभा सीट के तहत कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें भोगनीपुर, माधवगढ़, कालपी, उरई और गरौठा विधानसभा सीटें शामिल हैं। इसमें उरई विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। मौजूदा समय में पांचों सीटों पर बीजेपी का कब्जा है।
2014 का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में जालौन संसदीय सीट पर 58.77 फीसदी मतदान हुआ था। इस सीट पर बीजेपी के भानुप्रताप सिंह वर्मा ने बसपा के ब्रजलाल खाबरी को दो लाख 87 हजार 202 वोटों से मात देकर जीत हासिल की थी।
बीजेपी के भानुप्रताप सिंह वर्मा को 5,48,631 वोट मिले
बसपा के ब्रजलाल खाबरी को 2,61,429 वोट मिले
सपा के घनश्यान अनुरागी को1,80,921 वोट मिले
कांग्रेस के विजय चौधरी को 82,903 वोट मिले