कैराना: लोकसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट से प्रदीप चौधरी को पार्टी ने अपना उम्मीदवार घोषित किया है। प्रदीप चौधरी के नाम के एलान के साथ ही हुकुम सिंह की बेटी मृगांका को लेकर लगाई जा रही कयासों का दौर खत्म हो गया। कैराना से बीजेपी प्रत्याशी प्रदीप चौधरी तीन बार विधायक रहे हैं। गुर्जर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले प्रदीप आरएलडी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में भी रह चुके हैं।
कैराना लोकसभा सीट सियासी मायनों में बेहद अहम है। 2014 में मोदी लहर के बीच इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के हुकुम सिंह ने जीत दर्ज की थी, लेकिन उनके निधन के बाद 2018 में हुए उपचुनाव में संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार ने भारतीय जनता पार्टी को मात दी थी। राष्ट्रीय लोकदल की उम्मीदवार तबस्सुम हसन को समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस ने समर्थन दिया था। इस सीट पर जाट और मुस्लिम वोटरों की संख्या निर्णायक है। उपचुनाव से पहले और विधानसभा चुनाव के दौरान कैराना में पलायन का मुद्दा सुर्खियें में रहा था।
कैराना लोकसभा सीट का समीकरण
कैराना लोकसभा सीट पश्चिमी उत्तर प्रदेश को प्रभावित करने वाली सीट है। 2014 के आंकड़ों के अनुसार इस सीट पर कुल 15,31,755 वोटर थे। इनमें 8,40,623 पुरुष और 6,91,132 महिला वोटर थीं। 2018 में हुए उपचुनाव में इस सीट पर 4389 वोट नोटा को डाले गए थे। कैराना लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। पांच में से चार विधानसभा सीटें भारतीय जनता पार्टी के खाते में गई थीं। इनमें नकुड़ BJP, गंगोह BJP, कैराना SP, थाना भवन BJP, शामली BJP के खाते में ही गई थीं।
2014 के चुनाव में क्या रहा समीकरण
2014 से पहले भारतीय जनता पार्टी इस सीट पर एक ही बार चुनाव जीत पाई थी। 2014 में बीजेपी को यहां मोदी लहर का फायदा मिला। यहां से चुनाव लड़े हुकुम सिंह को कुल 50 फीसदी वोट मिले थे, जबकि उनके सामने खड़े समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को 29 और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार को 14 फीसदी ही वोट मिल पाए थे। हुकुम सिंह ने यहां तीन लाख वोटों से जीत दर्ज की थी।
कैराना ने दिखाया गठबंधन का रास्ता
2014 में केन्द्र में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से ही कई राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की। 2017 में जब उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की तो सपा-बसपा के जनाधार पर चोट पहुंची। गोरखपुर-फूलपुर के उपचुनाव में जब सपा-बसपा ने एक होकर बीजेपी को मात दी तो कैराना में भी विपक्षी पार्टियों का बल मिला।
राजनीतिक परिवार से आती हैं तबस्सुम
तबस्सुम हसन राजनीतिक परिवार से ही आती हैं। 2018 का उपचुनाव तबस्सुम ने राष्ट्रीय लोकदल के उम्मीदवार के तौर पर जीती थी लेकिन इससे पहले वह 2009 में बहुजन समाज पार्टी की तरफ से जीत दर्ज कर चुकी हैं। 2014 में उनके ही बेटे नाहिद हसन ने ही हुकुम सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इतना ही नहीं कैराना सीट से ही तबस्सुम हसन के ससुर चौधरी अख्तर हसन सांसद रह चुके हैं। तबस्सुम के पति मुनव्वर हसन भी कैरान से दो बार विधायक, दो बार सांसद रह चुके हैं।
2018 उपचुनाव के नतीजे
तबस्सुम हसन, राष्ट्रीय लोक दल, कुल वोट मिले 481182
मृगांका सिंह, भारतीय जनता पार्टी, कुल वोट मिले 436564
उपचुनाव में कैराना में कुल 54 फीसदी ही वोट पड़े थे।
रालोद की तबस्सुम ने बीजेपी की मृगांका सिंह को 44618 वोटों से मात दी थी।
1962 में अस्तित्व में आई सीट
कैराना लोकसभा सीट 1962 अस्तित्व में आई थी। पहले ही चुनाव में इस सीट से निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। उसके बाद इस सीट पर सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी और कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 1996 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की, 1998 में भारतीय जनता पार्टी, फिर लगातार दो बार राष्ट्रीय लोक दल, 2009 में बहुजन समाज पार्टी और 2014 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। 2018 में जब उपचुनाव हुए तो भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था।
प्रमुख मुद्दे
- गन्ना बकाया भुगतान और पर्ची विवाद
- शामली में जाम के लिए ओवरब्रिज की मांग
- मेरठ-करनाल हाइवे की मरम्मत
- नगर विकास के लिए शामली विकास प्राधिकर की मांग
- रिम-धुरा उद्योग को पुनर्जीवन देने की मांग