लखीमपुर खीरी, एबीपी गंगा। 2019 के लोकसभा चुनाव में खीरी संसदीय सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है। इसस पहले 2014 में इस सीट पर मोदी लहर का असर दिखा था और यहां बीजेपी ने अपना परचम लहराया था। पीलीभीत से सटी इस संसदीय सीट का नतीजा अब तक दिलचस्प रहा है और 3 मौकों पर 2 पार्टियों ने जीत की हैट्रिक लगाई है।


कौन है मैदान में


खीरी लोकसभा सीट पर 15 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जिसमें मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के अजय कुमार, कांग्रेस के जफर अली नकवी और समाजवादी पार्टी की डॉक्टर पूर्वी वर्मा के बीच है। इस सीट से सीपीआई के विपनेश शुक्ला भी मैदान में हैं। 7 क्षेत्रीय दलों के अलावा 4 निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं।


खीरी लोकसभा क्षेत्र का इतिहास


आजादी के बाद इस सीट पर 1957 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए, इस चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी ने जीत दर्ज की लेकिन उसके बाद 1962 से 1971 तक यहां कांग्रेस का राज रहा। आपातकाल के बाद 1977 में जब चुनाव हुए तो कांग्रेस को यहां नुकसान उठाना पड़ा और भारतीय लोकदल ने यहां पर जीत दर्ज की। 1980, 1984, 1989 में कांग्रेस यहां बड़े अतंर से जीती। 1990 के दौर में चले मंदिर आंदोलन ने यहां भारतीय जनता पार्टी को भी फायदा पहुंचाया, 1991 और 1996 में यहां से बीजेपी चुनाव जीती। मंदिर आंदोलन के बाद समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को अगले ही चुनाव में करारी मात दी। 1998, 1999 और 2000 के चुनाव में समाजवादी पार्टी यहां से लगातार तीन बार चुनाव जीती। 2009 के लोकसभा चुनाव में यहां पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की और साल 2014 में ये सीट बीजेपी की झोली में चली गई।


ऐसा है सामाजिक समीकरण


खीरी जिले की अगर आबादी को देखें तो यहां करीब 20 फीसदी मतदाता मुस्लिम समुदाय से हैं। 2014 के आंकड़ों के अनुसार इस सीट पर कुल 17 लाख वोटर हैं। जिसमें से 9 लाख वोटर पुरुष और 7 लाख से अधिक महिला मतदाता हैं।


विधानसभा सीट


इस सीट के अंतर्गत कुल 5 विधानसभा आती हैं,  जिसमें पलिया, निघासन, गोला गोकरनाथ, श्रीनगर और लखीमपुर शामिल हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने ही जीत दर्ज की थी।


2014 में कैसा रहा जनादेश


2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था। बीजेपी के अजय कुमार मिश्र को यहां करीब 37 फीसदी वोट हासिल हुए थे, जबकि बसपा प्रत्याशी 27 फीसदी वोट मिले थे। इस सीट पर कांग्रेस के जफर नकवी तीसरे और समाजवादी पार्टी चौथे स्थान पर रही थी. 2014 में यहां कुल 64 फीसदी मतदान हुआ था।