भगवान श्रीकृष्ण की ऐसी छठी देखी नहीं होगी, 56 भोग के लिए लगती है कई KM लंबी कतार
UP News: मेरठ के बेगमबाग में भगवान श्रीकृष्ण का छठी उत्सव मनाने के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं. छठी महोत्सव को लेकर कई दिन भठ्ठिया चढ़ती हैं.
Meerut News: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के बाद पूरे देश में भगवान की छठी धूमधाम से मनाई जाती है. कढ़ी चावल, सब्जी और पूरी का प्रसाद बांटा जाता है लेकिन मेरठ का एक ऐसा भी इलाका है, जहां भगवान श्रीकृष्ण की छठी इतने धूमधाम से मनाई जाती है कि भगवान को छप्पन भोग लगाया जाता है और इस प्रसाद को गृहण करने के लिए श्रद्धालु पूरे मेरठ के कोने कोने से आते हैं. श्रद्धालुओं का ऐसा सैलाब उमड़ता है कि जिसे देखकर आप दंग रह जाएंगे.
मेरठ के बेगमबाग में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है. इसी मंदिर में भगवान श्रीराधा कृष्ण की मूर्ति भी विराजमान हैं. भगवान श्रीकृष्ण का छठी उत्सव मनाने के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं. शाम को करीब पांच बजे मंदिर में आरती होती है, लेकिन दोपहर 12 बजे से ही श्रद्धालु कतारों में लग जाते हैं. कतारें भी कई किलोमीटर लंबीं लग जाती हैं. महिलाएं, बूढ़े, बुजुर्ग सभी भगवान का प्रसाद लेने के लिए दूर-दूर से आते हैं और सभी को भगवान के छप्पन भोग का इंतजार रहता है.
56 भोग के लिए रात दिन हलवाई करते हैं काम
भगवान श्रीकृष्ण के छठी महोत्सव को लेकर कई दिन भठ्ठिया चढ़ती हैं. रात दिन हलवाई मिठाईयां बनाने का काम करते हैं. मिठाईयां भी इतनी हैं कि आप गिनते गिनते थक जाएंगे. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जो भी मिठाईयां खाई जाती हैं या बनाई जाती हैं वो सभी आपको 56 भोग के प्रसाद में मिलेंगी.
बेसन के लड्डू, मावे के लड्डू, बालुशाही, इमरती, रसगुल्ले, घिया की लॉज, कलाकंद, रसभरी, मूंग की दाल की बर्फी, बंगाली मिठाई, खुरचन, पेडे, माखन मिश्री, डोडा बर्फी, काजू कतली, बेसन वाली बर्फी, घेवर, चमचम, सोन पापडी, राजभोग, शाही टुकड़ा, गुंजिया, कढी चावल, दम आलू कचौड़ी, मीठे चावल, छोले चावल, कई तरह की मठरी साहित 56 मिठाईयां और प्रसाद बनाया जाता है.
मेरठ के बेगमबाग शिव मंदिर की एक और खासियत है. यहां किसी से चंदा मांगने के लिए मंदिर समिति का कोई भी पदाधिकारी या सदस्य नहीं जाता है, बल्कि शहर के अलग अलग कोने से भगवान के भक्त खुद ही मंदिर में चंदा देने आते हैं. सभी को भगवान के छठी महोत्सव का बेसब्री से इंतजार रहता है. ये वो पहला मंदिर है कि जहां भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से पहले भगवान के छठी महोत्सव को लेकर तैयारियां शुरू हो जाती हैं.
22 साल पहले छोटे से भंडारे से की थी शुरूआत
भगवान श्रीकृष्ण की ऐसी छठी शायद ही कहीं और मनाई जाती होगी, जहां इलाके के किसी घर में छठी महोत्सव के दिन खाना ही ना बनता हो. पिछले 22 साल पहले एक छोटे से भंडारे की शुरूआत की गई थी और उसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की एसी कृपा बरसी कि आज इतना बड़ा भंडारा लगता है कि जहां हजारों की संख्या में श्रद्धालू प्रसाद लेने आते हैं.
बेगमबाग के रहने वाले राजीव शर्मा, सुशील कुमार वर्मा, बबलू और विकास ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण की ऐसी कृपा होगी उन्होंने भी नहीं सोचा था. भगवान की कृपा से आज इतना बड़ा भंडारा लगता है कि जो रात 12 बजे के बाद तक भी चलता है, क्योंकि श्रद्धालुओं की कतारें ही इतनी लंबीं लगती हैं.
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