बरेली की रामायण वाटिका में लगाई जाएगी 51 फीट ऊंची भगवान राम की प्रतिमा
UP News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा उद्घाटन की गई हनुमान जी की प्रतिमा के बाद अब प्रभु श्री श्रीराम की प्रतिमा श्रीरामायण वाटिका का मुख्य आकर्षण बनेगी.
Bareilly News: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है, जिनमें से एक महत्वपूर्ण पहल बरेली में स्थित रामायण वाटिका का विकास है. इस वाटिका में धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए प्रभु श्री राम और रामायण के विभिन्न पहलुओं का जीवन्त प्रदर्शन किया जाएगा. अब, इस वाटिका में 51 फीट ऊंची प्रभु श्री राम की प्रतिमा स्थापित की जा रही है, जो इस परियोजना का प्रमुख आकर्षण बन रही है. इस खबर के महत्व और धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहन देने के संदर्भ में यह एक विशेष पहल है, जो न केवल बरेली, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश और देश के धार्मिक एवं सांस्कृतिक पर्यटन को नए आयाम प्रदान करेगी.
बरेली विकास प्राधिकरण (BDA) ने रामगंगा नगर में रामायण वाटिका की स्थापना की है, जो अपने आप में एक अनोखी वाटिका है. इस वाटिका का उद्देश्य भगवान श्री राम के जीवन और रामायण के विभिन्न प्रसंगों को जीवंत रूप में प्रदर्शित करना है. वाटिका में भगवान श्रीराम के जन्म से लेकर उनके गुरुकुल, वनवास, लंका विजय और अंततः उनके राजतिलक तक की घटनाओं को दिखाया जाएगा. यह वाटिका देशभर में एक विशेष स्थान प्राप्त करेगी, क्योंकि यह भगवान श्रीराम और श्रीरामायण की महत्ता को नई पीढ़ी के समक्ष प्रस्तुत करेगी.
51 फीट ऊंची भगवान श्रीराम की प्रतिमा
इस परियोजना के तहत पहले से ही भगवान हनुमान की प्रतिमा स्थापित की जा चुकी है. इस प्रतिमा का उद्घाटन खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने बरेली दौरे के दौरान किया था. अब बीडीए रामायण वाटिका को और भी भव्य और अद्भुत बनाने की दिशा में कार्य कर रहा है. इस दिशा में अगला महत्वपूर्ण कदम है मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की 51 फीट ऊंची प्रतिमा की स्थापना, जो वाटिका का प्रमुख आकर्षण होगी.
बीडीए उपाध्यक्ष मनीकंडन ए ने बताया कि इस प्रतिमा की स्थापना के लिए 10 करोड़ रुपये की लागत तय की गई है, जिसे बरेली विकास प्राधिकरण द्वारा वहन किया जा रहा है. इस परियोजना के लिए स्टैचू ऑफ यूनिटी (सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति) बनाने वाली कंपनी के अलावा एक अन्य कंपनी ने भी अपना प्रस्तुतीकरण दिया है. यह दर्शाता है कि इस परियोजना के लिए उच्च गुणवत्ता और कला कौशल को प्राथमिकता दी जा रही है. अगले 6 महीनों के भीतर श्रीरामायण वाटिका को पूरी तरह विकसित करने की योजना है, जिससे यह क्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन सके.
धार्मिक पर्यटन का महत्व
रामायण वाटिका और भगवान श्रीराम की प्रतिमा की स्थापना न केवल श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक आस्था का प्रतीक बनेगी, बल्कि यह पर्यटकों के लिए एक नया आकर्षण भी होगी, जिससे इस क्षेत्र की आर्थिक प्रगति में भी मदद मिलेगी. बरेली विकास प्राधिकरण द्वारा की जा रही यह पहल न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राज्य सरकार की आर्थिक और सांस्कृतिक नीति का भी हिस्सा है. योगी आदित्यनाथ की सरकार धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगातार कदम उठा रही है, और यह परियोजना उसी नीति का हिस्सा है.
रामायण वाटिका में भगवान श्रीराम के जीवन की विभिन्न घटनाओं को दृश्य रूप में प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे न केवल श्रद्धालुओं को उनके जीवन और आदर्शों को समझने में मदद मिलेगी, बल्कि युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और इतिहास के बारे में जानने का मौका भी मिलेगा. यह वाटिका भारतीय संस्कृति और धार्मिक धरोहर को संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है, और इसके माध्यम से रामायण की शिक्षा और संदेश को व्यापक रूप से प्रसारित किया जाएगा.
धार्मिक पर्यटन से आर्थिक लाभ
धार्मिक पर्यटन न केवल श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है, बल्कि यह क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक लाभ भी पहुंचाता है. बरेली की रामायण वाटिका के विकास से यहां आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा. इसके अलावा, इस परियोजना से क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे. होटल, रेस्टोरेंट, गाइड सेवाएं और अन्य पर्यटन से संबंधित उद्योगों को भी इस परियोजना से लाभ होगा.
रामायण वाटिका का विकास उत्तर प्रदेश सरकार की पर्यटन नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देना है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने राज्य के धार्मिक स्थलों के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं बनाई हैं, और यह परियोजना उसी नीति का हिस्सा है. इस परियोजना से बरेली को एक प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी, और यह क्षेत्र की समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा.
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