देहरादून: उत्तराखंड में हुई बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि ने बागवानी को बड़ा नुकसान पहुंचाया है. फलों और सब्जियों के काश्तकार नुकसान की भरपाई के लिए सरकार की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं. इनमे कई ऐसे काश्तकार हैं, जिन्होंने लोन लेकर फसलें उगाई हैं. खासकर पहाड़ी जिलों में नुकसान का अनुमान जयादा लगाया जा रहा है. उद्यान विभाग द्वारा कराये आंकलन में 40 करोड़ से ज्यादा के नुकसान का अनुमान है.
लॉकडाउन के बाद मौसम की बेरुखी
लॉकडाउन की मार झेल रहे किसान पर मौसम ने भी बेरुखी दिखाई है. कोरोना की वजह से फलों और सब्जियों की बिक्री पर बड़ा असर पड़ा है तो वहीं मानसून से पहले हुई बारिश ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें डाल दी हैं. हाल्टीकल्चर से जुड़े किसानों को ओलावृष्टि और अतिवृष्टि से करोड़ों का नुकसान हुआ है. विभाग द्वारा कराये गए आकलन में ये नुकसान करीब 42 करोड़ की आंका गया है. राज्य के 9 जिलों में बारिश और ओलावृष्टि से बागवानी को 10 से 50 फीसदी तक नुकासन हुआ है. इसमें खासकर आम, लीची और सब्जियों की फसलें हैं. अब किसान भी इस उम्मीद से है कि सरकार उन्हें राहत पैकेज देगी.
नुकसान का आंकलन
बागवानी को पहुंचे नुकसान को देखते हुए सरकार ने उद्यान विभाग से इसका आंकलन कराया, जिसमे नौ जिलों में तकरीबन 9051 हेक्टेयर फल-सब्जी की फसलों को नुकसान पहुंचा है. इसमें लगभग 5101 हेक्टेयर फसल 33 प्रतिशत से अधिक और 2196 हेक्टेयर फसल 50 फीसद से ज्यादा प्रभावित हुआ है. कृषि मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि, हर साल इस तरह की घटनाएं होती हैं और सरकार इसका आंकलन भी कराती है और इसके लिए विभागों को पहले से ही अलर्ट किया जाता है, अब नुकसान का आंकलन कर प्रभावित किसानों की क्षति पूर्ति की जाएगी.
जिलेवार हुआ नुकसान
टिहरी, 2950.62
नैनीताल, 958.26
उत्तरकाशी, 188.96
देहरादून, 87.75
पौड़ी, 46.84
चमोली, 31.80
अल्मोड़ा 11.65
पिथौरागढ़, 11.00
रुद्रप्रयाग, 2.54
उत्तराखंड में खेती के तौर पर बहुत कम जमीने बची हैं, अधिकांश जमीन बंजर हो चुकी है. जो खेती के लायक नहीं है, उसमें से भी कुछ किसान कड़ी मेहनत कर फसलों को लगाते हैं, लेकिन बेमौसम बरसात किसानों की खड़ी फसल को बर्बाद कर देती है. ऐसे में इस बार हुए नुकसान की भरपाई के लिए भी किसान फिर सरकार की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं.
ये भी पढ़ें.
उत्तराखंड: कोरोना के ग्राफ में आ रही है कमी, बढ़ते जा रहे हैं ब्लैक फंगस के मामले