लखनऊ: कानपुर के चर्चित बिकरू कांड में 8 पुलिस कर्मियों की हत्या के आरोपी कुख्यात विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे की पत्नी खुशी की रिहाई के लिए बीजेपी एमएलसी उमेश द्विवेदी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है. अमर को एनकाउंटर में ढेर करने के बाद पुलिस ने खुशी को अरेस्ट किया था. चूंकि, गिरफ्तारी के वक्त खुशी नाबालिग थी इसलिए उसे बाराबंकी संप्रेक्षण गृह में रखा गया है. बीते दिनों उसकी तबीयत खराब हो गई थी और फिलहाल वो अस्पताल में भर्ती है. 


खुशी दुबे पर अब तक आरोप तय नहीं हुआ
बीजेपी एमएलसी ने पत्र में लिखा है कि खुशी दुबे पर कोई आरोप नहीं है फिर भी उसे जेल भेज दिया गया. फिलहाल, वो गंभीर हालत में लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती है. बीजेपी एमएलसी का कहना है कि उसे बेहतर उपचार की जरूरत है. उन्होंने पत्र में ये भी लिखा है कि अगर खुशी दुबे पर अब तक आरोप तय नहीं हुआ है तो उसे रिहा किया जाए. बीजेपी एमएलसी ने पत्र की एक प्रतिलिपि पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को भी भेजी है. उमेश द्विवेदी अखिल भारतीय ब्राम्हणोत्थान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं. खुशी और अमर दुबे की शादी बिकरू कांड के 5 दिन पहले यानी 29 जून 2020 को हुई थी. ये शादी विकास दुबे ने अपने घर पर ही कराई थी. 


एनकाउंटर में मारा गया विकास दुबे 
बता दें कि, 2 जुलाई 2020 की रात गैंगस्टर विकास दुबे और उसके साथियों ने दबिश देने आई पुलिस टीम पर हमला करके 8 पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी. इस सनसनीखेज हत्याकांड के बाद विकास दुबे और उसके परिवार के लोग समेत अन्य साथी फरार हो गए थे. 9 जुलाई को उज्जैन के महाकाल मंदिर से विकास दुबे ने नाटकीय तरीके से आत्मसमर्पण कर दिया था. पुलिस टीम विकास को कानपुर ला रही थी तभी 10 जुलाई की सुबह कानपुर से पहले बारिश की वजह से उसकी गाड़ी फिसलकर पलट गई. विकास ने एक पुलिसकर्मी की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की और एनकाउंटर में ढेर हो गया. इससे पहले 5 जुलाई को एसटीएफ ने हमीरपुर में विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था. 


खुशी दुबे को बताया साजिशकर्ता
पुलिस ने अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को भी बिकरू कांड का साजिशकर्ता बनाते हुए गिरफ्तार किया था. खुशी को निर्दोष बताते हुए कुछ लोगों ने उसे रिहा करने की मांग भी उठाई. इसी बीच अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर खुशी के नाबालिग होने के साक्ष्य दिए जिसके आधार पर कोर्ट ने किशोर न्याय बोर्ड को मामला स्थानांतरित कर दिया था. किशोर न्याय बोर्ड ने उसे नाबालिग घोषित करते हुए बाराबंकी संप्रेक्षण गृह भेजने का आदेश दिया था. 


अचानक बिगड़ गई तबीयत 
14 सितंबर 2020 को खुशी को बाराबंकी संप्रेक्षण गृह भेज दिया गया. वो करीब 9 महीने से वहां रह रही है. इसी बीच शनिवार की शाम अचानक खुशी की तबीयत बिगड़ गई जिसके बाद उसे बाराबंकी के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. खुशी के सीने में तेज दर्द और मुंह से खून निकल रहा था. उसकी हालत काफी नाजुक थी जिसके चलते उसे लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया है. इसी बीच बीजेपी के एमएलसी उमेश द्विवेदी ने खुशी के पक्ष में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और उसे बेहतर उपचार मुहैया कराने समेत रिहा करने की मांग की है.


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