लखनऊ: उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कोविड के चलते अस्पताल में भर्ती मरीजों में तो ब्लैक फंगस के मामले आ ही रहे थे. अब होम आइसोलेशन में रहे मरीजों और नॉन कोविड के मरीज भी इसके शिकार हो रहे हैं. इतना ही नहीं एक तरफ तो मरीज बढ़ रहे हैं और दूसरी तरफ इसकी दवा की किल्लत भी बढ़ती जा रही है. हालात ये हैं कि निजी अस्पतालों में भर्ती कई मरीजों को तो एक डोज तक नहीं मिल पा रही. रेड क्रॉस के ऑफिस पर दिन भर तीमारदारों का जमावड़ा लग रहा है.
20 से अधिक मरीजों की हो चुकी है मौत
उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस के 581 मामले सामने आ चुके हैं और 20 से अधिक मरीजों की मौत हो चुकी है. इनमें से 135 मामले तो सिर्फ लखनऊ के KGMU में हैं. KGMU में अब तक 7 मरीजों की मौत हो चुकी है. वहीं, बात SGPGI की करें तो यहां 22 मरीज भर्ती हैं. इनमें 2 मरीज ऐसे भी हैं जो नॉन कोविड हैं. नॉन कोविड मरीजों में ब्लैक फंगस के मामलों ने चिंता और बढ़ दी है. ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की आपूर्ति केंद्र सरकार से हो रही है. प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों को चिकित्सा शिक्षा संस्थान ये इंजेक्शन उपलब्ध करा रहा है. लेकिन, निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को मंडलायुक्त कार्यालय की अनुमति के बाद रेड क्रॉस सोसाइटी से इंजेक्शन उपलब्ध कराने की व्यवस्था है.
नहीं मिल रहे हैं इंजेक्शन
एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की किल्लत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सिर्फ लखनऊ के निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए मंडलायुक्त कार्यालय ने 22 मई तक 720 इंजेक्शन की अनुमति दे दी. लेकिन रेड क्रॉस को अब तक सिर्फ 90 इंजेक्शन मिल पाए हैं. रेड क्रॉस सोसाइटी लखनऊ के जितेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि एक मरीज के लिए एक साथ 3 दिन की डोज देने के लिए कहा गया था. एक दिन की डोज में 5 से 7 इंजेक्शन होते हैं इस हिसाब से एक मरीज को 3 दिन के लिए 18 इंजेक्शन देने होते हैं. लेकिन, इतने इंजेक्शन ना होने की वजह से फिलहाल 15-16 मरीजों को एक-एक दिन की डोज दी गई है. जबकि, 35 से अधिक ऐसे मरीज हैं जिन्हें एक भी डोज नहीं मिल पाई.
परेशान हैं मरीजों के तीमारदार
रेड क्रॉस सोसाइटी कार्यालय पर इंजेक्शन लेने आए तीमारदार अब इसलिए परेशान हैं कि क्योंकि उनके मरीजों की तबीयत बिगड़ती जा रही है. गोरखपुर से आये राहुल ने बताया कि उनके पिता का लखनऊ के निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है. तत्काल इंजेक्शन की जरूरत है. 22 मई को इसके लिए अनुमति पत्र तो मिल गया लेकिन इंजेक्शन अब तक नहीं मिल पाया. इसी तरह कानपुर से आए एक व्यक्ति को भी अपने परिजन के लिए 22 मई को अनुमति पत्र मिलने के बाद भी इंजेक्शन नहीं मिला है.
रणनीति बनाने में जुटी प्रदेश सरकार
वहीं, कोरोना की चुनती का डटकर सामना कर रही प्रदेश सरकार इस नई चुनौती के लिए भी रणनीति बनाने में जुट गई है. प्रदेश भर में इस बीमारी के इलाज की दवा की भारी किल्लत है. प्रदेश सरकार लगातार इसके लिए केंद्र से संपर्क में है कि किसी भी तरह सभी मरीजों को दवा मिल सके.
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