Anjali Sharma Wins Case Against Australian Government: ग्लोबल वार्मिंग बढ़ेगी तो उससे क्या-क्या खतरे होंगे? खासकर बच्चों को किस तरह की समस्याएं होंगी? क्या ग्लोबल वार्मिंग बच्चों की मौत का सबब भी बन सकती है? ऐसे सवाल आपके मन में आएं या न आएं लेकिन लखनऊ में जन्मी और 10 महीने की उम्र से ही ऑस्ट्रेलिया में रह रही 17 साल की अंजलि शर्मा को यह सवाल लगातार बेचैन कर रहे थे. अपने जैसे तमाम ऑस्ट्रेलियाई बच्चों की फिक्र में भारतीय मूल की अंजलि ने ऑस्ट्रेलिया की सरकार के खिलाफ एक याचिका दायर की जिस पर फेडरल कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. कोर्ट के फैसले के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण बच्चों को भविष्य में व्यक्तिगत चोट से बचाना और उनकी देखभाल करना सरकार का कर्तव्य है. ऑस्ट्रेलिया की सरकार अब इस फैसले को चुनौती देने की तैयारी कर रही है.
अंजलि शर्मा अपने माता-पिता के साथ ऑस्ट्रेलिया में रहती हैं और हाईस्कूल की पढ़ाई कर रही हैं. अंजलि पर्यावरण को लेकर बहुत ही संवेदनशील हैं और उन्होंने पर्यावरण के मुद्दों पर चर्चा व संघर्ष करने के लिए ऐसे ही 7 किशोर साथियों को अपने साथ जोड़ा है. अंजलि और उनके साथी किशोर पर्यावरणविदों ने इसी साल मई में ऑस्ट्रेलियाई सरकार के खिलाफ कानूनी लड़ाई शुरू की थी. अंजलि और उनके साथियों का तर्क था कि वातावरण में कार्बन डाइ ऑक्साइड के निरंतर उत्सर्जन से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ेगी. इससे जंगलों में आग लगेगी. बाढ़ आएगी. तूफान उठेंगे और चक्रवात पैदा होंगे.
कोर्ट के इस फैसले से अंजलि और उनके साथी उत्साहित
इन पर्यावरण संबंधी घातक परिवर्तनों से उन्हें व अन्य बच्चों को सदी के अंत तक चोट, बीमारी, आर्थिक नुकसान तो होगा ही, उनकी जान को भी खतरा पैदा हो सकता है. अंजलि और उनके सहयोगी पर्यावरणविदों ने ऑस्ट्रेलिया सरकार के खिलाफ एक याचिका दायर की जिस पर फेडरल कोर्ट ने बच्चों के हितों की रक्षा, उनकी सुरक्षा और उनकी उचित देखभाल को सरकार की जिम्मेदारी बताया. कोर्ट के इस फैसले से अंजलि और उनके साथी उत्साहित हैं. अंजलि का कहना है कि कोर्ट ने जो ऐतिहासिक फैसला दिया है, वह बच्चों के लिए बहुत फायदेमंद होगा. सारे ऑस्ट्रेलियाई बच्चों के प्रति सरकार का कर्तव्य है कि सरकार मेरी पीढ़ी को जलवायु परिवर्तन के बढ़ते जोखिम से बचाने के लिए लड़े. अंजलि और उसके युवा पर्यावरणविद साथियों को ग्रेटा थनबर्ग ने भी बधाई दी है. ग्रेटा ने कहा कि यह पूरे जलवायु आंदोलन के लिए एक बड़ी जीत है.
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