राम मंदिर निर्माण में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, PM और CM से लिया जाएगा सहयोग, जानें- मंदिर से जुड़ी खास बातें
चंपत राय ने बताया कि निर्माण में सहयोग के लिए राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री समेत अन्य सब के यहां भी कार्यकर्ता जाएंगे. से 4 लाख लोगों की 1 लाख टोलियां देश भर में कोने-कोने तक जाकर राम भक्तों को इस अभियान से जोड़ेंगी.
लखनऊ: अयोध्या में राम मंदिर के लिए नींव वर्षा काल से पहले रखने की तैयारी है. देश के 12 करोड़ परिवारों यानी 60 करोड़ लोगों को अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर निर्माण से जोड़ने के लिए 14 जनवरी मकर संक्रांति से 27 फरवरी माघ पूर्णिमा तक अभियान चलेगा. 3 से 4 लाख लोगों की 1 लाख टोलियां देश भर में कोने-कोने तक जाकर राम भक्तों को इस अभियान से जोड़ेंगी.
दुनिया का सबसे बड़ा संपर्क अभियान विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि निर्माण में सहयोग के लिए राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री समेत अन्य सब के यहां भी जाएंगे. लेकिन, इन सभी के व्यक्तिगत खाते से मदद ली जाएगी. सरकारी खजाने से नहीं. चंपत राय ने कहा कि अगर लक्ष्य के 70 फीसदी लोगों को भी टच कर लिया तो ये दुनिया का सबसे बड़ा संपर्क अभियान होगा. निर्माण शुरू होने के 36 महीने में मंदिर के शिखर पर पताका फहराएगी.
पूरा मंदिर पत्थरों से बनेगा चंपत राय ने बताया की लार्सन एंड टूब्रो कंपनी को मंदिर निर्माण का कार्य दिया गया है, जबकि निर्माता कंपनी के सलाहकार के रूप में ट्रस्ट ने टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर्स को चुना है. पूरा मंदिर पत्थरों से बनेगा. उन्होंने बताया कि अभी प्रचार प्रसार शुरू भी नहीं हुआ और 80 करोड़ से अधिक की सहयोग राशि खातों में आ चुकी है. इसमें 11 लाख रुपये सीएम योगी ने अपने पर्सनल एकाउंट से दिए हैं. प्रतिदिन 500 से 1000 ट्रांजेक्शन हो रहे हैं.
घर-घर जाकर संपर्क करेंगे चंपत राय ने बताया बहुत जल्द नींव का प्रारूप तैयार होकर नींव निर्माण कार्य प्रारम्भ होगा. भारत वर्ष की वर्तमान पीढ़ी को इस मंदिर के इतिहास की सच्चाइयों से अवगत कराने की योजना बनी है. देश की कम से कम आधी आबादी को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की एतिहासिक सच्चाई से अवगत कराने के लिए देश के प्रत्येक कोने में घर-घर जाकर संपर्क करेंगे. अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, अंडमान निकोबार, रणकच्छ, त्रिपुरा सभी कोनों पर जाएंगे, समाज को राम जन्मभूमि के बारे में पढ़ने के लिए साहित्य दिया जाएगा.
कूपन और रसीदें छापी गई हैं पारदर्शिता बनाए रखने के लिए 10 रुपए, 100 रुपए, 1000 हजार रुपए के कूपन और रसीदें छापी हैं. समाज जैसा देगा उसी के अनुरूप कार्यकर्ता कूपन या रसीद देंगे. इस पर मंदिर का चित्र बना होगा. इस तरह करोड़ों घरों में भगवान के मंदिर का चित्र पहुंचेगा. 100 रुपये के 8 करोड़ से अधिक कूपन छापे हैं, 10 रुपये के 4 करोड़ कूपन हैं. 1000 के भी कूपन हैं.
कैसा होगा मंदिर
- तीन मंजिला होगा राम मंदिर, प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट होगी. - मंदिर की लंबाई 360 फीट और चौड़ाई 235 फीट होगी. - भूतल से 16.5 फीट ऊंचा बनेगा मंदिर का फर्श. - भूतल से गर्भगृह के शिखर की ऊंचाई 161 फीट होगी. - 5 एकड़ में बनेगी मंदिर की सुरक्षा दीवार. - सिर्फ मंदिर परिसर में ही लगेगा 4 लाख क्यूबिक फीट पत्थर. - 70 से 75 हजार क्यूबिक फीट पत्थर की कार्विंग करके रखी है. - धरती के नीचे 200 फीट गहराई तक मृदा परीक्षण और भविष्य के संभावित भूकंप के प्रभाव का अध्ययन हुआ. - जमीन के नीचे 200 फीट तक भुरभुरी बालू पाई गई. - गर्भगृह के पश्चिम में कुछ दूरी पर ही सरयू नदी का प्रवाह है. - इस भौगोलिक परिस्थिति में 1000 वर्ष आयु वाले पत्थरों के मन्दिर का भार सहन कर सकने वाली मजबूत और टिकाऊ नींव की ड्रॉइंग पर किया गया परामर्श. - आईआईटी बंबई, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी चेन्नई, आईआईटी गुवाहाटी, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की, लार्सन एंड टूब्रो और टाटा के इंजीनियर आपस में परामर्श कर रहे हैं.
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