Fake Medicine Case: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में दूसरे राज्यों से लाकर नकली दवाओं (Counterfeit Medicine) को खपाया जा रहा है. इन दवाओं में एंटी कैंसर ड्रग और विटामिन की गोलियों समेत कई तरह की दवाइयां शामिल हैं. नकली दवाओं के इस काले धंधे में एमबीबीएस और बीटेक डिग्रीधारी लोग भी शामिल हैं. एबीपी गंगा ने जब इस पूरे मामले की तह तक पड़ताल की तो कई चौकाने और डराने वाली बातें निकलकर सामने आईं.
हाल ही में 11 नवंबर को गाजियाबाद में नकली दवा के गिरोह से जुड़े कुछ लोगों को पकड़ा गया था. मौके से करीब पांच करोड़ की दवाइयां बरामद हुईं थीं. यहां बांग्लादेश और कंबोडिया में बनी दवाएं और नकली रैपर बनाने वाली मशीन भी मिली. यूपी के ड्रग उपायुक्त डॉ. एके जैन ने बताया कि कुछ दिन पहले सूचना मिली थी कि दिल्ली में कुछ दवाएं पकड़ी गई हैं जो एंटी कैंसर ड्रग हैं. उसका एक गोडाउन गाजियाबाद के लोनी में था. औषधि विभाग ने अपनी टीम गठित कर पुलिस बल के साथ गाजियाबाद के इस गोडाउन में छापा मारा तो बहुत सारी दवाइयां और प्रिंटिंग मशीन मिली .जिसे बैच नंबर, मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट नोट करते थे. गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में पता चला यह सभी दवाइयां हरियाणा से आ रही थीं जो कि बहुत महंगी थीं.
उच्च शिक्षा प्राप्त लोग भी गैंग में थे शामिल
डॉ. एके जैन ने बताया कि इस गिरोह में जो लोग पकड़े गए बहुत ही क्वालिफाइड हैं. इनके पास एमबीबीएस और बीटेक तक की डिग्री है. पकड़ी गई दवाइयों को लेकर जानकारी जारी की गई है ताकि उस बैच नंबर की कोई दवाई कहीं भी हो तो निगरानी रखी जा सके. अगर कहीं मिले तो उसके क्रय-विक्रय का मिलान किया जा सके. उसका नमूना लेकर उसकी क्वालिटी को भी देखेंगे, अगर वह नकली पाई जाएंगी तो मुकदमा दायर करेंगे. आगरा में भी जानकारी मिली कि बद्दी में जो दवा फैक्ट्री थी वो नकली थी, उसके पास लाइसेंस भी नहीं था. वहां बड़ी-बड़ी नामचीन कंपनियों दवाइयां बनाई जा रही थीं. औषधि विभाग की टीम अभी वहां काम कर रही है. अलग-अलग जिलों के ड्रग इंस्पेक्टर्स की टीम बनाकर भेज रहे हैं.
उत्तराखंड और हिमाचल से आती हैं नकली दवाइयां
डॉ. एके जैन ने एबीपी गंगा से खास बातचीत में बताया कि आमतौर पर यह देखा गया है कि जब सैंपलिंग करते हैं तो अधिकतर उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के मैन्युफैक्चरर्स की ही दवाइयां सब्सटेंडर्ड या मिस ब्रांडेड मिल मिलती हैं. एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में एंटी कैंसर दवाओं का कारोबार करीब 25 करोड़ रुपये का है. कीमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली दवा की एक डोज 10 से 30 हज़ार तक आती है. नामचीन कंपनियों के रैपर में पैक कर अस्पतालों के आसपास की दवा दुकानों में नकली दवाइयां पहुंचाते हैं. इन दवाओं को बिना रसीद के सस्ते में बेच दिया जाता है. औषधि विभाग के सूत्रों की माने तो सिर्फ गाजियाबाद और आगरा ही नहीं बल्कि लखनऊ के रास्ते भी इन दवाओं को प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचाया जाता है.
वर्तमान वित्तीय वर्ष 2022-23 में सितंबर तक 8 करोड़, 61 लाख, 44 हज़ार, 668 रुपये कीमत की दवाएं जब्त की गई. अक्टूबर और नवंबर की बात करें तो ये आंकड़ा और भी बड़ा होगा.
आंकड़ों पर एक नजर
- सितंबर तक औषधि विभाग ने कुल 704 छापे मारकर दवाओं के जो सैंपल लिए, उनमें 112 नकली मिले.
- इस दौरान 783 दवा विक्रेताओं और 14 निर्माण इकाइयों के लाइसेंस निरस्त किए गए.
- इस दौरान कुल 80 FIR हुई और 110 लोग गिरफ्तार किए गए.
- वर्ष 2021- 22 में औषधि विभाग ने कुल 1190 छापे मारे जिसमे दवाओं के जो सैंपल लिए उसमे 184 नकली मिले.
- वर्ष 2021-22 में कुल 20 करोड़, 70 लाख, 7 हज़ार, 409 रुपये कीमत की दवाएं जब्त की गई थी.
- वर्ष 2021-22 में 1029 दवा विक्रेताओं और 9 निर्माण इकाइयों के लाइसेंस निरस्त किए गए थे.
- वर्ष 2021-22 में कुल 155 FIR हुई और 230 लोग गिरफ्तार किए गए.
- वर्ष 2020- 21 में औषधि विभाग ने कुल 1112 छापे मारे जिसमे दवाओं के जो सैंपल लिए उनमें 152 नकली मिले.
- वर्ष 2020-21 में कुल 38 करोड़, 28 लाख, 58 हज़ार, 399 रुपये कीमत की दवाएं जब्त की गई थी.
- वर्ष 2020-21 में 1688 दवा विक्रेताओं और 1 निर्माण इकाइयों के लाइसेंस निरस्त किए गए थे.
- वर्ष 2020-21 में कुल 135 FIR हुई और 121 लोग गिरफ्तार किए गए.
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