लखनऊ: स्वास्थ्य विभाग में प्रशासनिक पदों पर एमबीए डिग्री धारकों को रखे जाने के फैसले का विरोध तेज होता जा रहा है. प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ का साफ कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो डॉक्टर्स इसे एक्सेप्ट नहीं करेंगे. डॉक्टर्स का कहना है कि एमबीए डिग्री धारक उनके सहयोगी के तौर पर काम तो कर सकते हैं लेकिन बॉस बनकर नहीं. इससे प्रदेश के स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हो जाएंगी.


स्वास्थ्य राज्य मंत्री अतुल गर्ग ने सीएम को लिखा था पत्र  
5 जून को टीम 9 की बैठक में सीएम योगी ने निर्देश दिए थे कि चिकित्सकों को केवल चिकित्सकीय कार्य में ही तैनात किया जाए. स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग के अलग-अलग अस्पतालों, कार्यालयों सहित जहां भी चिकित्सकों की तैनाती प्रशासनिक या प्रबंधकीय कार्यों में की गई है, उन्हें तत्काल कार्यमुक्त कर चिकित्सकीय कार्यों में ही लगाया जाए. प्रबंधन के कार्यों के लिए आवश्यकतानुसार एमबीए उपाधिधारक युवाओं को मौका दिया जाना चाहिए. इस मीटिंग से पहले 2 जून को स्वास्थ्य राज्य मंत्री अतुल गर्ग ने सीएम को एक पत्र लिखा था. इसमें कहा गया था कि बड़ी संख्या में डॉक्टर्स प्रबंधकीय कार्यों में लगे हैं. इसकी वजह से भी चिकित्सकों की कमी है. 


स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ जाएगी
प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के महामंत्री डॉ अमित सिंह ने बताया कि प्रदेश में करीब 500 चिकित्सक ही प्रशासनिक पदों पर हैं. इनमें महानिदेशालय के अधिकारियों के अलावा CMO, ACMO और अन्य अधिकारी हैं. ये ऐसे पद हैं जिनपर डॉक्टर का ही होना जरूरी है. किसी एमबीए वाले को CMO के पद पर बैठाया जाएगा तो जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ जाएगी क्योंकि उन्हें इस क्षेत्र का ज्ञान नहीं. एसोसिएशन के एक पदाधिकारी ने बताया कि उन्होंने ये भी तय कर लिया है कि अगर डॉक्टर्स की जगह एमबीए वाले आए तो डॉक्टर्स इस्तीफा देंगे. सभी डॉक्टर्स इस फैसले को स्वास्थ्य सेवाओं के हिसाब से नुकसानदायक मान रहे हैं.


- प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर्स के करीब 18700 पद हैं
- पीएमएस संघ के अनुसार इसमे से करीब 5500 से 6 हजार पद खाली पड़े हैं
- संघ के अनुसार प्रशासनिक पदों पर करीब 500 डॉक्टर्स हैं
- लेकिन ये ऐसे पद हैं जहां डॉक्टर्स का होना जरूरी


कोई आदेश नहीं निकला गया है
वहीं, इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह का कहना है कि अभी इस पर विचार चल रहा है. कोई आदेश नहीं निकला गया है. उन्होंने कहा कि डॉक्टर काम करें इन बातों की चिंता नहीं. ये सरकार का नीतिगत विषय हो सकता. स्वस्थ्य मंत्री ने कहा कि डॉक्टर्स को अपनी फील्ड का तो पूरा अनुभव लेकिन प्रशासकीय दक्षता या वित्तीय अनुभव नहीं होता. एक CMO के अंडर में 6-7 CHC, 70-PHC आते हैं, हेल्थ वेलनेस सेन्टर आते हैं इन सबका प्रबंधन करना, एकाउंटेबिलिटी करने में डॉक्टर इतना अनुभवी नहीं होता. उन्होंने कहा कि डॉक्टर्स और प्रबंधन के लोग समन्वय से काम करें इस पर विचार हो रहा है. उन्होंने कहा कि डॉक्टर्स के खाली पद भरने के लिए नियमों में परिवर्तन किया गया था. लोक सेवा आयोग के माध्यम से जल्द 4 से 5 हजार डॉक्टर मिलेंगे. 


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