UP Election 2022: मिशन 2022 के लिए बीजेपी ने तैयार की साइबर योद्धाओं की टीम, विरोधियों को इस तरह करेगी चित
अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने कमर कस ली है. इस बीच सोशल मीडिया पर अपनी रणनीति को प्रभावी बनाने के लिए मजबूत साइबर टीम बनाई है.
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BJP Social Media Team: उत्तर प्रदेश में बीजेपी मिशन 2022 में जोर शोर से जुटी है, पार्टी जहां बूथ स्तर तक संगठन को मजबूत कर रही है, तो वहीं साइबर वर्ल्ड में भी साइबर योद्धा पार्टी तैयार कर रही है, जो सोशल साइट्स के जरिये ना सिर्फ अपनी सरकार के काम काज को जनता तक पहुंचाने का काम करेंगे, बल्कि विपक्ष के आरोपों का जवाब भी फैक्ट्स के साथ देंगे. बीजेपी को सोशल मीडिया की ताकत का अंदाजा है और इसीलिए पार्टी ने चुनाव से पहले सोशल मीडिया की बड़ी टीम बनाई है. आज लखनऊ में सोशल मीडिया विभाग के एक वर्कशॉप जिसमें इन साइबर योद्धाओं को चुनाव के लिए जीत का मंत्र दिया गया, कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिरकत की.
साइबर योद्धाओं का जमावड़ा
राजधानी लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में बीजेपी के साइबर योद्धाओं का जमावड़ा लगा. पार्टी ने हाल ही में अपनी आईटी और सोशल मीडिया विभाग की घोषणा की थी. ऐसा पहली बार हुआ है जब सोशल मीडिया को आईटी विभाग से अलग करते हुए नया विभाग बनाया गया है. आज लखनऊ में बीजेपी के सोशल मीडिया के नेशनल कन्वीनर अमित मालवीय ने पार्टी के साइबर योद्धाओं को आगामी चुनाव के मद्देनजर कुछ टिप्स दिए, तो वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इन्हें संबोधित करते हुए कुछ निर्देश दिए.
सोशल मीडिया टीम को कर रही है बीजेपी
इस एक दिन की वर्कशॉप में पार्टी के आईटी और सोशल मीडिया विभाग के प्रदेश के सभी संयोजक और सह संयोजकों को इसके अलावा सभी 6 क्षेत्रों के संयोजकों, सह संयोजकों के साथ ही जिले के भी संयोजक और सह संयोजक बुलाये गये थे. दरअसल, बीजेपी को सोशल मीडिया की ताकत का अहसास 2014 के लोकसभा चुनाव से ही हो गया था, जब पार्टी ने लोकसभा चुनाव में बहुमत हासिल किया था. फिर 2017 में भी यूपी के विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया टीम ने काफी प्रभावशाली भूमिका निभाई और 2019 के लोकसभा चुनाव में तो सोशल मीडिया ने जितने भी कैंपेन चलाएं उसने पार्टी को फायदा ही पहुंचाया. इसीलिए 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी का फोकस सोशल मीडिया टीम को और मजबूत बनाने पर है.
इस तरह है प्लान
पार्टी ने इस बार सोशल मीडिया विभाग के लिए जो रणनीति तैयार की है, उसके मुताबिक प्रदेश स्तर पर एक संयोजक के साथ चार सहसंयोजक जबकि क्षेत्र स्तर पर एक संयोजन और दो सह संयोजक, इसी तरह से जिला और मंडल स्तर पर भी सोशल मीडिया के पदाधिकारी तैनात किए गए हैं. जबकि विधानसभा में एक सोशल मीडिया का पदाधिकारी नियुक्त किया जाएगा. वहीं, बीजेपी की तैयारी है कि 25 सितंबर तक प्रदेश के 1 लाख 63 हज़ार से ज्यादा बूथों पर अपना व्हाट्सएप ग्रुप तैयार कर दिया जाए और हर एक व्हाट्सएप ग्रुप में कम से कम 100 लोगों को जोड़ा जाए.
कार्टून के जरिये दिया जाएगा जवाब
हालांकि, अब तक 1 लाख 15 हज़ार से ज्यादा बूथों पर इतने ही व्हाट्सएप ग्रुप पार्टी तैयार कर चुकी हैं. व्हाट्सएप के अलावा पार्टी लगातार फेसबुक, ट्विटर पर भी एक्टिव है. लगातार पार्टी के पदाधिकारी इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पार्टी और सरकार से जुड़ी तमाम जानकारियों को प्रमोट करते रहते हैं. इन वॉलंटियर को जहां यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह सरकार के कामकाज को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रमोट करें तो वहीं विपक्ष के हमलों का भी जवाब फैक्ट्स के साथ दें. पार्टी ने यह भी रणनीति तैयार की है कि, विपक्ष पर हमले के लिए अब कार्टूनों का भी सहारा लिया जाएगा और इसके लिए विशेष तौर से कार्टूनिस्ट को भी सोशल मीडिया के साथ जोड़ा गया है. बीते कुछ दिनों में पार्टी के कार्टून को लेकर सियासत भी काफी गर्म रही है. वही पार्टी के संयोजकों का कहना है कि इसके जरिए सभी को चुनाव की जिम्मेदारी भी सौंपी जाएगी.
वहीं, बीजेपी ने इस बार चुनाव से पहले सोशल मीडिया वॉरियर्स की भी एक फौज तैयार करने की योजना बनाई है. जिसके तहत ऐसे एक लाख लोगों को पार्टी के साथ जोड़ा जाएगा, जो पार्टी में पदाधिकारी नहीं है, कार्यकर्ता भी नहीं है लेकिन वह कहीं ना कहीं बीजेपी की विचारधारा से प्रभावित हैं और जो पार्टी से जुड़े तमाम चीजों को आगे बढ़ाते रहते हैं, जल्द ही जिलों में इनके लिए भी एक सम्मेलन करने की बीजेपी की तैयारी है.
बीजेपी के मुकाबले विपक्षी बहुत पीछे
ये तो बात हुई बीजेपी की, वहीं अगर मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी की बात करें तो समाजवादी पार्टी ने सोशल मीडिया पर इतना फोकस नहीं किया है, और ना ही उन्होंने इसके लिए कोई अलग प्रकोष्ठ ही बनाया गया है. प्रदेश मुख्यालय पर जरूर सोशल मीडिया की 8 से 10 लोगों की एक टीम है जो लगातार पार्टी के कार्यक्रमों की और सरकार के खिलाफ तमाम मुद्दों को अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आगे बढ़ाने का काम करती है. इसके लिए समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं का और तमाम वॉलिंटियर्स का सहारा लेती है. पार्टी के 50 से 60 वेरीफाइड अकाउंट हैं, जिसके जरिए न केवल अपने कार्यक्रमों का प्रचार प्रसार किया जाता है, पार्टी की नीतियों को जनता के बीच रखा जाता है, बल्कि सरकार को घेरने के लिए भी इन का सहारा लिया जाता है.
कांग्रेस में भी जब से प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश की कमान संभाली है तब से सोशल मीडिया पर पार्टी ने फोकस किया है और कोशिश यह रहती है कि इस मंच का इस्तेमाल सरकार की जनविरोधी नीतियों को जनता के सामने लाने में किया जाए. हालांकि प्रियंका गांधी वाड्रा, राहुल गांधी लगातार खुद सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं और पार्टी के कार्यकर्ता भी उनके उनके ट्वीट को रिट्वीट कर पार्टी के एजेंडे को आगे बढ़ाने का काम करते हैं. लेकिन बीजेपी की तरह इतनी बड़ी फौज ना कांग्रेस की सोशल मीडिया की है और ना ही समाजवादी पार्टी की है, वहीं, बहुजन समाज पार्टी तो लंबे समय तक सोशल मीडिया से दूरी बनाये रखने के बाद अब जरूर ट्विटर पर थोड़ी एक्टिव नजर आती है. हालांकि इस कोरोना काल मे जब जनसभाएं करना उतना सुरक्षित नहीं है, तब इस सोशल मीडिया या हम कहें वर्चुअल वर्ल्ड की उपयोगिता और बढ़ गई है, और शायद इसी लिए बीजेपी ने अपना पूरा फ़ोकस इस पर किया हुआ है. हालांकि जनता इससे कितना प्रभावित होगी इसका पता तो चुनाव के वक्त ही चलेगा.
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