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बीजेपी कार्यकर्ताओं के आ सकते हैं अच्छे दिन, सरकार ने सभी विभागों से पूछा निगम, आयोग में कितने पद हैं खाली

यूपी सरकार ने सभी विभागों के प्रमुख सचिवों से खाली पड़े निगम बोर्ड के अध्यक्ष उपाध्यक्ष और सदस्यों की जानकारी मांगी है. अब सवा चार साल बाद सरकार ने जो कवायद शुरू की है तो बीजेपी कार्यकर्ताओं को लग रहा है कि शायद अब उसके भी अच्छे दिन आ सकते हैं.

लखनऊ: यूपी सरकार के कार्यकाल के तकरीबन सवा चार साल बीत चुके हैं. अभी भी तमाम ऐसे निगम बोर्ड संस्था हैं जहां अध्यक्ष उपाध्यक्ष के पद खाली हैं या फिर नामित सदस्यों की नियुक्ति नहीं हुई. अब सवा चार साल सरकार नींद से जागी है और सभी विभागों के प्रमुख सचिवों से वहां खाली पड़े निगम बोर्ड के अध्यक्ष उपाध्यक्ष और सदस्यों की जानकारी मांगी गई है. हालांकि, लंबे समय से बीजेपी कार्यकर्ता इसका इंतजार कर रहे थे और अब उन्हें लग रहा है कि शायद उनके अच्छे दिन आ जाएंगे. 

इंतजार की घड़ियां लंबी होती चली गईं
साल 2017 में बीजेपी जब प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई तो सबसे ज्यादा उत्साहित पार्टी का वो आम कार्यकर्ता हुआ जिसने दिन-रात मेहनत करके बीजेपी को ऐतिहासिक जीत दिलाई थी. उसे उम्मीद थी कि जब सत्ता मिलेगी तो कहीं ना कहीं उसके भी अच्छे दिन आएंगे, उसे भी कहीं एडजस्ट किया जाएगा. इसी उम्मीद में तमाम कार्यकर्ता लंबे समय से लगे रहे कि जब निगम के अध्यक्ष या फिर बोर्ड या किसी संस्था में अध्यक्ष उपाध्यक्ष की नियुक्ति होगी या सदस्यों को नामित किया जाएगा तो उन्हें जरूर मौका मिलेगा. लेकिन, इंतजार की घड़ियां लंबी होती चली गईं. एक साल बीते, 2 साल बीते, 3 साल बीते, 4 साल बीते लेकिन वो समय आया ही नहीं. हालांकि, बीच में जरूर कुछ जगहों पर सरकार ने बोर्ड में अध्यक्ष उपाध्यक्ष और कुछ सदस्यों को नामित किया था लेकिन अभी भी तमाम ऐसे बोर्ड, निगम, आयोग, संस्था हैं जहां ना तो अध्यक्ष की तैनाती की गई है और ना ही उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं, ना ही सदस्य ही नियुक्त हुए हैं. 

सरकार को कोर्ट में रखना है पक्ष
अब सवा चार साल बाद सरकार ने जो कवायद शुरू की है तो फिर उससे बीजेपी कार्यकर्ताओं को ये लग रहा है कि शायद अब उसकी बारी आ जाए और उसे भी पार्टी कहीं अच्छी जगह एडजस्ट करे. सरकार की ये कवायद इसलिए नहीं है कि उसे कार्यकर्ताओं पर प्यार उमड़ आया है बल्कि बीते हफ्ते इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर कर निगम बोर्ड आयोग में खाली पड़े पदों को लेकर सवाल पूछा गया. जिसके बाद हाईकोर्ट ने सरकार से इस में जवाब तलब किया और 3 जून तक सरकार को अपना पक्ष कोर्ट में दाखिल करना है.  

शासन स्तर पर नजर आ रही है तेजी 
अब शासन स्तर पर भी तेजी नजर आ रही है. कार्मिक अनुभाग ने सभी विभाग के प्रमुख सचिवों को चिट्ठी लिखकर उनसे ये पूछा है कि उनके यहां कौन-कौन सा निगम बोर्ड आयोग है और वहां अध्यक्ष उपाध्यक्ष और सदस्य के कितने पद खाली हैं. दरअसल एक वकील ने इसे लेकर जो याचिका दायर की थी उसमें उदाहरण सामने रखे थे की कई आयोग में ना अध्यक्ष की तैनाती है ना ही उपाध्यक्ष की. 

कई जगहों पर नहीं हुई है तैनाती 
पीआईएल में जिन चार आयोग या निगम की बात की गई थी उसमें उत्तर प्रदेश राज्य अल्पसंख्यक आयोग, उत्तर प्रदेश राज्य हज कमेटी, उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड और उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी का जिक्र किया गया था. लेकिन इसके अलावा भी प्रदेश में कई ऐसे बोर्ड निगम आयोग हैं जहां पर कहीं अध्यक्ष की तैनाती नहीं हुई है तो कही उपाध्यक्ष या सदस्य तैनात नहीं हैं. इनमें उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति आयोग, उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग, उत्तर प्रदेश राज्य भंडारण निगम, उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम, उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड शामिल हैं. माटी कला बोर्ड और अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष के विधान परिषद और राज्यसभा पहुंच जाने के बाद से ही यहां अध्यक्ष का पद खाली हैं और अभी तक वहां तैनाती नहीं हुई है. जबकि, पिछली सरकारों में उत्तर प्रदेश वन निगम में भी चेयरमैन की नियुक्ति होती रही है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम में भी उपाध्यक्ष के तौर पर एक दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री की तैनाती पिछली सरकारों में होती रही है. लेकिन, इस सरकार में इन दोनों ही निगमों में इसमें कोई तैनाती नहीं हुई है. एक जगह तो मंत्री ही निगम के भी अध्यक्ष के तौर पर तैनात हैं. 

जल्द भरे जाएंगे पद 
सरकार के मंत्री भी मानते हैं कि जब पार्टी के कार्यकर्ताओं को ऐसे किसी पद पर बैठाया जाता है तो वो उत्साहित भी होते हैं और दोगुने उत्साह से काम भी करते हैं. लेकिन, वो ये भी कहते हैं कि ज्यादातर निगम और बोर्ड में सरकार ने अध्यक्ष उपाध्यक्ष और सदस्य नामित किए हैं. कुछ जगहों पर जरूर ये पद खाली हो सकते हैं और जल्द उन्हें भी भरा जाएगा.

जनता ने नकार दिया है
वहीं, विपक्षी दलों का साफ तौर पर मानना है कि अब सरकार कोई भी कवायद कर ले लेकिन जनता ने उसे नकार दिया है और पंचायत चुनाव इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी साफ तौर पर कहते हैं कि अब कोई भी युक्ति काम नहीं आने वाली और अब इन पदों को भरने का उल्टा ही खामियाजा पार्टी और सरकार को भुगतना पड़ेगा.  

नाराज है कोर वर्कर 
उत्तर प्रदेश में पिछली सरकारों के कार्यकाल में इन निगम बोर्ड आयोग में अध्यक्ष उपाध्यक्ष और सदस्यों को नामित करके पार्टी के कार्यकर्ता को कहीं ना कहीं ओबलाइज करने का काम दूसरी पार्टियों ने किया है. लेकिन, बीजेपी ने लंबे समय से इन पदों को खाली रखा है, ऐसे में कहीं ना कहीं पार्टी का जो कोर वर्कर था वो सरकार और पार्टी से नाराज हुआ है. ये भी माना जा रहा है कि पंचायत चुनाव में जो खराब नतीजे आए हैं उसके पीछे एक वजह पार्टी के इस कोर वर्कर का नाराज होना भी है. शायद 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले इन सभी की नाराजगी को दूर करने के लिए ये कदम अब उठाया जा रहा है.

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