लखनऊ, एबीपी गंगा। योगी सरकार के तमाम दावों को बावजूद उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति सुधरती नहीं दिख रही है। आए दिन प्रदेश में एनकाउंटर हो रहे हैं लेकिन इसके बाद भी हत्या, लूट और रेप की वारदातें सरकार के दावों पर सवाल उठा रही हैं। शुक्रवार को लखनऊ में हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या के बाद प्रदेश का सियासी पारा चढ़ गया है।
कमलेश तिवारी की हत्या किसने और क्यों की इसकी जांच पुलिस करेगी लेकिन क्या कमलेश की जान बचाई जा सकती थी? क्या लापरवाही के चलते बदमाश तिवारी के कार्यालय में घुसने में कामयाब हुए और उनकी हत्या करने के बाद फरार हो गए। कमलेश की सुरक्षा में चूक कैसे हुई ये वो तमाम सवाल हैं जिनके जवाब मिलना जरूरी है।
यहां यह भी बता दें कि एक मुस्लिम संगठन ने कमलेश का सिर कलम करने का फतवा भी जारी किया था। बिजनौर के उलेमा अनवारुल हक और मुफ्ती नईम कासमी पर कमलेश तिवारी का सिर कलम करने का फतवा जारी करने का आरोप लगा था। इतना ही नहीं, पुलिस की छानबीन में कमलेश तिवारी की हत्या में आतंकी संगठन आईएसआईएस का हाथ होने की बात सामने आई है। कमलेश ने कुछ दिन पहले खुद को सुरक्षा न मिलने पर ट्वीट किया था। जिसमें उसने सुरक्षा न दिए जाने पर सवाल उठाये थे। उस ट्वीट में उसने पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह व सीएम योगी को टैग किया था।
अब इन बातों से यह तो साफ है कि कमलेश तिवारी की जान को खतरा था लेकिन उनकी सुरक्षा को लेकर लगातार लापरवाही बरती गई। ऐसा इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि, कमलेश तिवारी के नौकर सतेंद्र ने हत्याकांड के बाद मीडिया के सामने कहा कि जिस समय हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया उस वक्त सिपाही (सिक्योरिटी गार्ड) था लेटा हुआ था।
सतेंद्र ने यह भी बताया कि तिवारी जी ने कई बार फोर्स बढ़ाने को कहा था लेकिन बवजूद इसके यहां उनकी सुरक्षा में एक बुज़ुर्ग को तैनात कर दिया गया। वो जब भी यहां आते हैं, हमेशा सोए-लेटे हुए ही रहते हैं। हमलावरों के बारे में सतेंद्र ने बताया कि वो दोनों हमलावर यहां पहली बार आए थे। सतेंद्र ने दावा किया कि अगर हमलावर सामने आ जाएंगे तो वो उन्हें पहचान लेगा। उसने बताया कि एक हमलावर ने भगवा वस्त्र पहने हुआ था और दूसरा सादे वस्त्र में था। हमलावर बाइक से आए थे।
गौरतलब है कि, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शुक्रवार को हिन्दू महासभा के नेता कमलेश तिवारी की उनके कार्यालय में ही गोली मारकर हत्या कर दी गई। पुलिस के मुताबिक, ख़ुर्शीदबाग कॉलोनी स्थित कमलेश तिवारी के कार्यालय में हमलावर मिठाई के डिब्बे में पिस्टल और चाकू छिपाकर लाए थे। कमलेश तिवारी को गोली मारने के बाद उनके गले पर चाकू से भी कई वार किए गए। कमलेश तिवारी को तत्काल ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई।
कमलेश तिवारी की हत्या के बाद लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी ने बताया कि शुरुआती तौर पर ये मामला आपसी रंजिश का लगता है। एसएसपी ने कहा कि मामले की छानबीन के लिए दस टीमें लगाई गई हैं। मौके पर जो हथियार मिले हैं उनकी जांच की जा रही है। साथ में आस-पास लगे सीसीटीवी कैमरों की मदद भी ली जा रही है। घटना के बारे में राज्य के डीजीपी ओपी सिंह ने कहा है, 'हमलावरों ने करीब 36 मिनट रुकने के बाद कमलेश तिवारी को गोली मारी, उन्हें किसी परिचित व्यक्ति ने ही गोली मारी है। सीसीटीवी फुटेज में अहम सुराग मिले हैं और जल्द ही पुलिस घटना का पर्दाफाश करेगी।'
यहां यह भी बता दें कि, कमलेश तिवारी कुछ साल पहले पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ कथित तौर पर विवादित बयान देने के मामले में गिरफ्तार किए गए थे। फिलहाल वो जमानत पर थे।