राजधानी लखनऊ के इस अस्पताल में हालात भयावह, नहीं मिल रही ऑक्सीजन, भगवान भरोसे 100 मरीजों की जान
सीएम योगी लाख दावा कर रहे हों कि राजधानी के अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन सब पर्याप्त हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. यहां एक निजी अस्पताल में हालात बेहद चिंताजनक हैं. ऑक्सीजन खत्म हो रही है, और अस्पताल संचालक अधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक को फोन कर चुके हैं.
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लखनऊ: कोरोना काल में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. सीएम योगी आदित्यनाथ जरूर जोर देकर कह रहे हैं कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है, लेकिन अस्पताल में मरीजों को एडमिट करवाने के लिए भटक रहे परिजन कुछ अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं. राज्य के बड़े-बड़े अस्पताल इस समय ऑक्सीजन संकट से जूझ रहे हैं. कई जगह तो ऑक्सीजन खत्म के नोटिस लगा दिए जा रहे हैं. राजधानी के टेंडर पाम अस्पताल में देर रात ऑक्सीजन खत्म हो जाने से पूरे परिसर में अफरा-तफरी मच गई. अस्पताल के संचालक अधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक को फोन कर रहे हैं, मगर अभी तक उन्हें कोई मदद नहीं मिली है.
100 मरीजों की जान अटकी
जानकारी के अनुसार यहां पर करीब 100 मरीज ऑक्सीजन पर हैं, जिनकी जान खतरे में पड़ गई है. अफरा-तफरी और हाहाकार की स्थिति पैदा होने से पुलिस बल मौके पर है. किसी तरीके से 10 ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था तत्काल रूप से कराई गई है, जो अगले एक घंटे तक बैकअप दे सकता है. मगर अतिरिक्त ऑक्सीजन की व्यवस्था अभी तक नहीं हो पाई है. इससे भर्ती मरीजों के तीमारदार दहशत में हैं. कोई भी जिम्मेदार अधिकारी फोन तक नहीं उठा रहा है. इस मामले पर हर कोई अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहा है.
फोन तक नहीं उठा रहे हैं अधिकारी
यह हाल तब है, जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार अधिकारियों को निर्देशित कर रहे हैं कि किसी भी अस्पताल में ऑक्सीजन दवा इत्यादि की कमी नहीं होने पाए, लेकिन अधिकारी हैं कि, वह मानने को तैयार नहीं. वह अपनी ही चाल में चल रहे हैं. इससे मरीजों की जान आफत में पड़ गई है. तीमारदार ने बताया कि अस्पताल के संचालक दोपहर से ही अधिकारियों व मंत्रियों से लगातार बात कर रहे हैं. अभी भी कई अधिकारी उनसे संपर्क में हैं, मगर अभी तक कोई ऑक्सीजन दिलवा नहीं पाया है. वहां करीब 100 मरीज भर्ती हैं. सभी की जान को खतरा बना हुआ है. इससे एक दिन पहले सिप्स अस्पताल के संचालक भी इसी तरह ऑक्सीजन ढूंढ रहे थे, मगर उन्हें भी कहीं ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही थी. यह हालत सिर्फ एक या दो अस्पतालों की नहीं है, राजधानी के ज्यादातर निजी व सरकारी अस्पतालों में यही हालात बने हुए हैं. जहां पर सिर्फ कुछ ही घंटे का ही ऑक्सीजन बचा हुआ है.
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