लखनऊ, एबीपी गंगा। यूपी की राजधानी लखनऊ एक बार फिर से वैश्विक स्तर पर सुर्खियों में है। जिसकी वजह है नवाबों का इस शहर की दूषित हवा। मंगलवार को विजुअल एयर द्वारा वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट -2019 जारी की गई। जिसमें उन दुनिया के उन 30 शहरों के नाम शामिल थे, जहां जहरीली हवा अपने घातक स्तर पर है। टॉप-30 शहरों की इस सूची में लखनऊ 11वें नंबर पर है। हालांकि, थोड़ी राहत की बात ये रही कि 2018 में जारी की गई रिपोर्ट की तुलना में इस बार लखनऊ की स्थिति में थोड़ा सुधार जरूर आया है। वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट -2018 की रिपोर्ट में लखनऊ 9वें स्थान पर था।
भले ही, 2018 की तुलना में लखनऊ के हालात में थोड़ा सुधार आया हो, लेकिन ये हालात भी चिंताजनक हैं। जिसपर मेयर संयुक्ता भाटिया ने चिंता भी जताई है। इसपर भाटिया ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण को लेकर लखनऊ नगर निगम लगातार प्रयासरत है। इसके लिए पौधारोपण को भी बढ़ाया गया है। उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से विकसित वन क्षेत्र में एक लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा स्कूलों में बच्चों को पौधारोपण के लिए प्रेरित किया जा रहा है। मेयर ने बताया कि अंत्येष्टी स्थलों पर धुआं कम हो, इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट के तहत तीन आधुनिक मशीनें लगाई गई हैं। इनसे लोग अपनी परंपरा के तहत लकड़ी पर अंत्येष्टी भी कर सकेंगे और प्रदूषण भी कम होगा। मेयर ने कहा कि गोमती को स्वच्छ रखने के लिए भी काम किया जा रहा है। इसके अलावा कूड़ा न जलाया जाए, इस पर भी सख्ती की जा रही है।
कैसे तैयार होती है वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट ?
इस रिपोर्ट में पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर 2.5 को आधार बनाया गया है। बता दें कि ये वायुमंडल में मौजूद वो नन्हे प्रदूषक हैं, जो आसानी से सांस के द्वारा आपके फैफड़ों से होते हुए रक्त प्रवाह के जरिए शरीर में घुस जाते हैं। नन्हे प्रदूषक इतने ज्यादा खतरनाक होते हैं, जो गंभीर सांस की बीमारियों से लेकर लंग कैंसर तक के रोगों का कारण बन सकते हैं।
वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में पीएम 2.5 का वार्षिक औसत 119.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था । 2018 में इसमें मामूली सुधार देखा गया। इस साल पीएम 2.5 का वार्षिक औसत 115.7 घन मीटर रिकॉर्ड किया गया। हालिया जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में इसका वार्षिक औसत 90.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा। पिछले दो वर्षों में इसमें सुधार देखा जा रहा है, जो कि उन प्रदूषण पर लगाम कसने का नतीजा कहा जा सकता है। हालांकि, हालात अब भी चिंताजन हैं। बता दें कि लखनऊ में बढ़ते प्रदूषण का मुख्य कारण वाहनों से होने वाला प्रदूषण बताया जा रहा है।
लखनऊ का ये इलाका सबसे ज्यादा प्रदूषित
प्रदूषण के मामले में लखनऊ का हाल तो हालिया रिपोर्ट में सामने आ गया, लेकिन क्या आप ये नहीं जानना चाहेंगे कि लखनऊ का वो कौन सा इलाका है, जो सबसे ज्यादा प्रदूषित है। तो आपको बता दें कि अमीनाबाद में सबसे अधिक प्रदूषण है। जहां पीएम 2.5 मानक 60 के मुकाबले पांच गुना अधिक यानी 390.8 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के स्तर पर रिकॉर्ड किया गया है। कुछ ऐसी ही स्थिति आलमबाग, चारबाग और चौक की भी है। आवासीय इलाकों की बात करें, तो अलीगंज सर्वाधिक प्रदूषित इलाका है। जहां बीते नवंबर में मानक से चार गुना से अधिक 286.5 दर्ज किया गया है। कमोवश ऐसे ही हालत गोमती नगर, विकास नगर व इंदिरा नगर के भी है।
पीएम 2.5 होता क्या है?
- पीएम मतलब पर्टिकुलेट मैटर और पीएम 2.5 वो नन्हे प्रदूषक कण होते हैं, जो हवा में मौजूद होते हैं और सांस के माध्यम से रक्त प्रवाह के जरिए शरीर में पहुंच जाते हैं।
- पीएम 2.5 बिगड़ जाने से हवा प्रदूषित हो जाती है
- 29 प्रतिशत मौतों का कारण लंग कैंसर होता है।
- एक्यूट लोअर रेसपेरेट्री इंफेक्शन से 17 प्रतिशित मौत की सूचनाएं मिलती हैं।
- इसके नियंत्रण के लिए ढाबों, रेस्टोरेंट में कोयले या लकड़ी का प्रयोग न हो, खुले में कूड़ा जलाने से बचा जाए, कंस्ट्रक्शन साइट प्रयुक्त सामग्री को ग्रीन नेट से ढक कर रखा जाए आदि।
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