Lucknow Children Park: लखनऊ का यह पार्क बना श्मशान, स्थानीय लोगों का दावा- जलाए जा रहे हैं मुर्दे
Lucknow News: इस मामले पर स्थानीय लोगों ने कहा कि उन्हें 20 साल पहले एक योजना के तहत घर आवंटित किए गए थे और पार्क की जमीन आवंटित करने के लिए 10 प्रतिशत अतिरिक्त पैसा लिया गया था.
UP News: लखनऊ के जानकीपुरम रिहायशी इलाके के एक चिल्ड्रन पार्क को श्मशान घाट के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. इस पार्क के आस-पास रहने वाले लोगों का दावा है कि पास के पहाड़पुर क्षेत्र के लोग अक्सर वहां शव जलाते हैं. स्थानीय लोगों ने कहा कि शव के अंतिम संस्कार के बाद कई दिनों तक कफन, बांस के ताबूत, कलश, फूल और राख पार्क क्षेत्र में पड़ी रहती है. इस मामले को लेकर एक सप्ताह के भीतर समस्या का समाधान नहीं होने पर स्थानीय लोगों ने नगर निगम अधिकारियों को आंदोलन की चेतावनी दी है. स्थानीय लोगों ने कहा कि उन्हें 20 साल पहले एक योजना के तहत घर आवंटित किए गए थे और पार्क की जमीन आवंटित करने के लिए 10 प्रतिशत अतिरिक्त पैसा लिया गया था.
चिता का धुआं सीधे घरों में पहुंच रहा है
स्थानीय निवासी अनुराग तिवारी ने कहा कि मिर्जापुर गांव के पास बमुश्किल 1-2 किलोमीटर दूर एक और मैदान होने के बावजूद यहां हर बार शव जलाए जाते हैं. जब हम विरोध करते हैं, तो वे हमें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देते हैं. चिता का धुआं सीधे हमारे घरों में पहुंचता है. इतना ही नहीं मेरी पत्नी बच्चों के साथ मायके चली गई है और वे यहां रहने से डर रहे हैं. अब अपना घर होने के बावजूद मैं दूसरे इलाके में किराए का घर लेने की सोच रहा हूं, लेकिन यहां कोई मेरा घर किराए पर लेने को तैयार नहीं है.
लखनऊ में हैं तीन श्मशान स्थल
हालांकि लखनऊ विकास प्राधिकरण ने कहा कि क्षेत्र के नक्शे में पहले से ही पार्क और श्मशान दोनों का सीमांकन था. इस जगह को श्मशान भूमि के रूप में इस्तेमाल करने वालों का कहना है कि वे इस इलाके का इस्तेमाल लंबे समय से करते आ रहे हैं. बता दें कि वर्तमान समय में लखनऊ में तीन श्मशान स्थल हैं, जिनमें गुलाल घाट, बैकुंठ धाम (भैंसा कुंड) और आलमबाग नहरिया मैदान शामिल हैं, जिनका रखरखाव लखनऊ नगर निगम (LMC) द्वारा किया जाता है.
कोर्ट ने भी किया था दखल
बता दें कि साल 2022 में एक स्थानीय निवासी बृजेश गुप्ता ने एक जनहित याचिका (PIL) दायर की, जिसमें जानकीपुरम में 'श्मशान' को स्थानांतरित करने की मांग की गई थी. इस याचिका के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने 31 जनवरी 2022 के अपने आदेश में लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) और अन्य प्राधिकरणों को 'श्मशान स्थल' को उचित स्थान पर स्थानांतरित करने पर विचार करने के लिए कहा था.