लखनऊ: कृषि कानून के विरोध में चल रहे आंदोलन को लेकर उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने एबीपी गंगा के साथ खास बातचीत की. बातचीत के दौरान डिप्टी सीएम ने कहा कि हमारा किसान हमारा अन्नदाता है और उसका सम्मान हमारी प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि आज किसान खाद के लिए लाठी नहीं खाता है. खाद की समस्या का समाधान किया गया है. कृषि कानून देश के किसानों को ध्यान में रखकर लाए हैं.


आंदोलन की जरूरत नहीं
केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जो भी आपत्ति जता रहे थे उसको दूर कर दिया तो आंदोलन की जरूरत नहीं पड़ेगी. MSP को लेकर खतरा नहीं होगा ये लिखित में दिया है. उद्योगपति कॉन्ट्रैक्ट पर जमीन लेकर खेती करेगा तो जमीन नहीं जाएगी ये भी स्पष्ट कर दिया गया है. जिस रेट पर समान खरीद की बात हुई अगर मूल्य बढ़ेगा तो लाभ मिलेगा.


राजनीतिक दलों का मोहरा न बनें किसान
केशव प्रसाद मौर्य ने किसान संगठन के नेताओं से अपील करते हुए कहा कि किसी राजनीतिक दल खासतौर से कांग्रेस, सपा के लिए मोहरा न बनें. ये किसानों के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं, इन्होंने हमेशा शोषण किया है. उन्होंने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि के माध्यम से 11 करोड़ किसानों के खाते में सालाना 6 हजार रुपए भेजने का काम शुरू हुआ. पीएम मोदी किसानों, गरीबों और मजदूरों के हितैषी हैं.


किसान सब समझ रहा है
उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ने कहा कि 2013-14 में कांग्रेस के समय किसानों के लिए 7 लाख करोड़ का बजट था जो आज 15 लाख करोड़ से अधिक है. उन्होंने ये भी कहा कि सरकार हर बात मानने को तैयार इसलिए आंदोलन का कोई औचित्य नहीं है. भारत बंद के दौरान यूपी की बात करें तो सपा के अलावा कोई किसान शामिल नहीं हुआ. किसान सब समझ रहा है. भाजपा विरोधी राजनीतिक दल किसानों को गुमराह कर रहे हैं.


राहुल गांधी को खेती के बारे में कुछ नहीं पता
केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि राहुल गांधी किसानों की बात कर रहे हैं, जिनको खुद खेती के बारे में कुछ नहीं पता. राहुल गांधी के सामने फूल गोभी और बंद गोभी रख दो, गाजर और मूली रख दो, आलू और शकरकंद रख दो तो अंतर नहीं बात सकते. मौर्य ने कहा कि राहुल पंजाब के किसानों की आमदनी की बात करते तो समझना होगा कि किसी के पास एक एकड़ और किसी के पास 100 एकड़ जमीन होगी तो अंतर होगा. कांग्रेस और अन्य विपक्षी अफवाह फैला रहे हैं. हम किसानों को 6 हजार सालाना दे रहे हैं, कांग्रेस ने तो 600 भी नहीं दिया. किसानों को अगर कोई शिकायत तो आकर कहें, दरवाजे हमेशा खुले है. इन्हीं किसानों की वजह से हमारे खाद्यान भंडार भरे हैं, कोई भूख नहीं सोता.



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