लखनऊ, शैलेष अरोड़ा। आम आदमी भले ही घर पर रहकर कोरोना संक्रमण (Coronavirus) से बच सकता है, लेकिन जिन डॉक्टर्स पर संदिग्धों की स्क्रीनिंग से लेकर इलाज तक की जिम्मेदारी है, उनको काफी सावधानी बरतने की ज़रूरत है, क्योंकि जरा सी चूक उनको भारी पड़ सकती है। धरती के ये भगवान दिन रात इस संक्रमण से लोगों को बचाने में जुटे हैं। ऐसे में KGMU ने अपने यहां अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) से कोरोना संदिग्धों की स्क्रीनिंग शुरू की है।



डॉक्टर्स सेफ, स्क्रीनिंग भी तेज


KGMU के टेलीमेडिसिन यूनिट की नोडल इंचार्ज डॉ. शीतल वर्मा ने बताया कि इवोल्को हेल्थ रडार प्रणाली से कोरोना संदिग्धों की स्क्रीनिंग की जा रही है। उन्होंने कहा कि KGMU कोरोना वायरस जैसी महामारी से निपटने के लिए रोगी प्रबंधन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करने वाला पहला चिकित्सा विश्वविद्यालय है। डॉ. शीतल ने बताया कि कोरोना संदिग्धों की जांच करने वाले डॉक्टर्स भी खतरे में होते हैं। इस प्रणाली से मरीज से संक्रमण फैलने का खतरा कम होगा। इससे न सिर्फ सुरक्षित बल्कि पहले से तेज स्क्रीनिंग के साथ उपचार में मदद मिलेगी। इसके लिए मेडिसिन विभाग के चिकित्सकों का रोस्टर बनाया गया है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से उपचार करेगा।




तत्काल रिपोर्ट से OPD के चिकित्सक होंगे अलर्ट


इस सिस्टम के सामने स्क्रीनिंग के दौरान व्यक्ति का टेम्परेचर लेने के साथ ही कुछ सवाल किए जाते हैं। उन सवालों के आधार पर ये सिस्टम मरीज की सही स्थिति का एक पेपर प्रिंट कर देता है। यह सिस्टम तत्काल कोरोना संक्रमण के किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के बारे में OPD चिकित्सक को सतर्क करेगा। डॉ. शीतल ने बताया कि यह तकनीक कोरोना वायरस के संदिग्ध मरीजों में रोग के लक्षण एकत्रित करने में सहयोग करेगी। इससे चिकित्सक आवश्यकता पड़ने पर रियल टाइम में हालात की इमरजेंसी तय करने में सक्षम होंगे।



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