लखनऊ: उत्तर प्रदेश की जिन जेलों के अंदर से हत्या, अपहरण, लूट, डकैती, सुपारी किलिंग के जैसी वारदातों की प्लानिंग रची जाती थी. वो जेल जो अपराधियों के लिए ऐशगाह होती थी आज वहां के हालात बदल रहे है. एक तरफ तकनीक और अफसरों की सख्ती के चलते अपराधियों की मनमानी पर लगाम लगाई गई है तो वहीं दूसरी तरफ जेलों में बंद पढ़े-लिखे कैदी अब अपने साथी कैदियों को पढ़ा रहे है और उन्हें शिक्षा के रास्ते पर ले जा रहे है. जेलों में कैदी बेसिक शिक्षा से लेकर व्यवसायिक शिक्षा तक ले रहे हैं और ये सब उन्हीं के अपने साथियों की पढ़ाई के दम पर किया जा रहा है.


सॉफ्टवेयर इंजीनियर तक शामिल
उत्तर प्रदेश की जिलों में क्षमता से अधिक 1 लाख 12 हजार कैदी बंद हैं और जिसमें तमाम गैंगस्टर, आतंकवादियों के साथ-साथ सुपारी किलर, असलहा तस्कर भी शामिल है. यूपी की जेलों की एक और तस्वीर भी है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की मानें तो उत्तर प्रदेश की जेलों में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे कैदी बंद है. जिनमें ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रैजुएट, डिप्लोमा होल्डर से लेकर इंजीनियर और सॉफ्टवेयर इंजीनियर तक शामिल हैं.


जेलों में शिक्षा की अलख जगाई जा रही है
आंकड़ों के मुताबिक विचाराधीन कैदियों में 11711 कैदी उच्च शिक्षित, 8151 ग्रेजुएट, 2635 पोस्ट ग्रेजुएट हैं. 925 इंजीनियर या डिप्लोमा होल्डर हैं. इन्हीं पढ़े-लिखे कैदियों की मदद से यूपी की जेलों में शिक्षा की अलख जगाई जा रही है. उच्च शिक्षित कैदी जेलों के क्लासेज चला रहे हैं और पसन्द के कोर्स की कोचिंग भी दे रहे हैं. जिसका नतीजा है कि बीते साल हुए 10वीं और 12वीं के बोर्ड परीक्षा में शामिल हुए कैदियों में 90 फीसदी से अधिक कैदी अच्छे नंबरों से पास हुए.


राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने जेल में खोला सेंटर
10वीं की बोर्ड परीक्षा में 92 कैदी में 84 कैदी पास हुए थे तो वहीं 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 75 कैदी में 63 कैदी पास हुए थे. 12वीं की परीक्षा पास करने वाले कैदियों में देवरिया और सहारनपुर की जेलों में बंद दो महिला बंदी भी शामिल थीं. मौजूदा वक्त में 5540 कैदियों ने इग्नू के विभिन्न सर्टिफिकेट कोर्स पूरे कर लिए हैं. यूपी की 13 जिलों में एग्जाम सेंटर बनाए गए है. हाल ही में नोएडा और फिरोजाबाद की जेल में राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने अपना सेंटर तक खोल दिया है.


जेल के काम भी कर रहे हैं कैदी
इतना ही नहीं जेल में हर कैदी के आने-जाने, नाम, पता, शिक्षा, अपराध, पेशी जैसी तमाम जानकारियों वाले ई प्रिजन मॉड्यूल को भी यही शिक्षित कैदी और इनके पढ़ाए जा रहे कैदी चला रहे है. भारत सरकार की तरफ से बनाए गए ई प्रिजन मॉड्यूल में विजिटर मैनेजमेंट सिस्टम हो या फिर पर्सनल इनफॉरमेशन सिस्टम. इन दोनों ही कामों में जेल में बंद कैदी हाथ बटा रहे हैं और इनको संचालित कर रहे हैं.


फिर अपराध के रास्ते पर न चलें
उत्तर प्रदेश की सभी जेलों में माध्यमिक स्तर की शिक्षा दी जा रही है लेकिन अब व्यावसायिक दक्षता के लिए इग्नू, राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों से सर्टिफिकेट कोर्स देकर यूपी की जेलों में एक नई शुरुआत की है. कोशिश है कि भले ही कोई एक अपराध में जेल के अंदर गया हो लेकिन जब बाहर जाए तो वो एक नए रूप और नए हुनर के साथ हो ताकि फिर उसको अपराध के रास्तों की तरफ मुड़कर ना देखना पड़े.



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