UP News: उत्तर प्रदेश की सियासत में आज एक बड़ा सियासी फेरबदल देखने को मिला. अभी तक विधान परिषद में नेता सदन रहे जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह (Swatantra Dev Singh) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया तो वही उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य (Keshav Prasad Maurya)  को अब विधान परिषद में नेता सदन बनाया गया है. इसे लेकर यूपी में सत्ता के गलियारों में तमाम तरह की चर्चाएं हैं लेकिन इसके जरिए 2024 से पहले बीजेपी ने कहीं ना कहीं यह संदेश दे दिया है कि 2024 को लेकर उसकी रणनीति कैसे पिछड़ों को साथ लेकर चलने की है. 


20 मई को नेता सदन बने थे स्वतंत्र देव सिंह


 योगी-2.0 में जब नई सरकार ने शपथ ली तब उस वक्त के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली तब यह माना जा रहा था कि विधान परिषद में वह नेता सदन बने रहेंगे लेकिन ऐसा ज्यादा दिनों तक नहीं चला. 20 मई 2022 को जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को विधान परिषद में नेता सदन बनाए गया था.  तब भी यह चर्चा का विषय बना था लेकिन कुछ समय पहले बीते महीने स्वतंत्र देव सिंह ने जब प्रदेश अध्यक्ष पद से पार्टी आलाकमान को अपना इस्तीफा सौंपा उसके बाद यह कहा गया था कि बीजेपी एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत पर काम करती है और इसीलिए स्वतंत्र सिंह ने इस्तीफा दिया है पर आज सत्ता के गलियारों से जो खबर आई उसने एक बार फिर सियासी माहौल में हलचल पैदा कर दी.


क्या संदेश देने की कोशिश कर रही बीजेपी


 खबर सामने आने के थोड़ी देर बाद खुद स्वतंत्र देव सिंह ने ट्वीट करके केशव प्रसाद मौर्य को विधान परिषद में नेता सदन बनाए जाने पर बधाई दी. उत्तर प्रदेश में बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा का इंतजार हो रहा है और कहां आज बड़ा बदलाव देखने को मिला है. अब सवाल यह है कि आखिर इस बड़े बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी. क्योंकि विधान परिषद में नेता सदन तो वही व्यक्ति होगा जो विधान परिषद का सदस्य होगा और इसे एक व्यक्ति दो पद के सिद्धांत के साथ जोड़कर नहीं देखा जा सकता ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि स्वतंत्र देव सिंह को रिप्लेस करके उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को यह जिम्मेदारी देने के पीछे क्या वजह है. क्या पार्टी आलाकमान कोई संदेश देना चाहता है,  और जब मई महीने में स्वतंत्र देव सिंह को इस पद की जिम्मेदारी दी गई तो आखिर इतनी जल्दी उन्हें इस जिम्मेदारी से मुक्त क्यों कर दिया गया .


ओबीसी समाज पर है बीजेपी की नजर?


इस फैसले के जरिए पार्टी आलाकमान ने कहीं न कहीं 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उसकी रणनीति रहने वाली है. इसे लेकर एक संदेश जरूर दिया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी के लिए ओबीसी समाज उतना ही महत्वपूर्ण रहने वाला है और उसमें भी खासतौर से मौर्य सैनी शाक्य, कुशवाहा जिनका अच्छा खासा वोट बैंक ओबीसी बिरादरी में है.


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पहले कार्यकाल की परंपरा बरकरार


जो परंपरा योगी-1 में थी उसी परंपरा को योगी-2 में भी बरकरार रखा है. योगी-1 में भी उपमुख्यमंत्री को ही विधान परिषद में नेता सदन बनाए गया था तब दिनेश शर्मा ये जिम्मेदारी संभाल रहे थे और इस बार भी केशव प्रसाद मौर्य को यह जिम्मेदारी सौंपकर पार्टी ने यही संदेश दिया है. जब सत्र चलता है तब नेता सदन की भूमिका विधान परिषद में काफी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि विपक्ष के सदस्यों के सवालों का जवाब उसे ही सदन के भीतर देना होता है और शायद वहां पर सरकार के लिए कोई भी विषम परिस्थिति ना पैदा हो, विपक्ष के हर सवाल का जवाब ठीक ढंग से दिया जाए इसीलिए यह जिम्मेदारी अब केशव प्रसाद मौर्य को सौंपी गई है. 


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