लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर लखनऊ दौरे पर आए बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष ने बुधवार को लखनऊ से जुड़े सांसद, विधायक और मंत्रियों से मुलाकात की है. पार्टी सूत्रों के अनुसार इस दौरान तीन प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा हुई. इसमें संगठन के लिहाज से पार्टी के कार्यकतार्ओं की समस्याओं को हल करने की रणनीति, कोरोना काल की संभावित तीसरी लहर को लेकर तैयारी और सहायता पर चर्चा हुई. इसके अलावा जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई. योगी कैबिनेट के मंत्रियों ने बताया कि बीएल संतोष ने कोरोना काल में किए गए सेवा कार्य की समीक्षा की. मंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि जैसा सोच रहे हैं, वैसे कुछ नहीं हो रहा.


राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने कहा कि बैठक में कोरोना काल के दौरान किए जाने वाले कार्यों की जानकारी दी. इनके अलावा मंत्री स्वाति सिंह ने बताया कि बीएल संतोष के साथ संगठनात्मक बैठक हुई. इसके बाद उन्होंने यूपी बीजेपी की मीडिया टीम के साथ बैठक की. दो दिनों तक बीएल संतोष के साथ बैठकों में मौजूद यूपी प्रभारी राधा मोहन सिंह दिल्ली चले गए हैं. अब तक के मंथन के बाद यूपी प्रभारी केंद्रीय नेतृत्व को रिपोर्ट देंगे. जिसके बाद जल्द राधा मोहन सिंह फिर से लखनऊ आएंगे.


बीजेपी राज्य मुख्यालय पर बैठक में शामिल होने वालों में सांसद कौशल किशोर, मंत्री स्वाति सिंह, ब्रजेश पाठक, मोहसिन रजा, आशुतोष टंडन, विधायक नीरज बोरा, एमएलसी बुक्कल नवाब शामिल थे. इनके अलावा संगठन महामंत्री सुनील बंसल और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी मौजूद रहे.


बीएल संतोष ने मंत्रियों के दिल की बात जानने का प्रयास किया


ज्ञात हो कि संतोष ने मंगलवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व डॉ. दिनेश शर्मा, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री, एमएसएमई मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर, परिवहन मंत्री अशोक कटारिया, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री सतीश द्विवेदी, राज्यमंत्री गुलाबो देवी समेत अन्य मंत्रियों से अलग-अलग बंद कमरे में बात की.


इसमें प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश प्रभारी और प्रदेश महामंत्री संगठन को भी नहीं शामिल किया गया. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि संतोष ने मंत्रियों के दिल की बात जानने का प्रयास किया. मंत्रियों की शिकायतों और समस्याओं को जानने के साथ यह भी पता लगाने का प्रयास किया कि जनता व कार्यकतार्ओं के साथ उनका कितना संवाद, संपर्क और सामंजस्य है. पर, उन्होंने मंत्रियों को कोई सुझाव नहीं दिया, बल्कि उन्हें ही सरकार व संगठन के कामकाज पर बोलने का पूरा मौका दिया.


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