यूपी की बेटियों के आएंगे अच्छे दिनः स्कूल जायेंगी 5 लाख 80 हज़ार से ज्यादा बेटियां
एक तरफ तो हर मंच पर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा दिया जाता है। वहीं, दूसरी ओर सूबे की 5 लाख, 80 हज़ार बेटियां आज भी पढ़ाई से दूर हैं। इनमें किसी ने आज तक स्कूल की शक्ल तक नहीं देखी तो किसी को बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी। लेकिन अब ये बेटियां भी स्कूल जाएंगी।
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लखनऊ, शैलेष अरोड़ा। एक तरफ तो हर मंच पर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा दिया जाता है। वहीं, दूसरी ओर सूबे की 5 लाख, 80 हज़ार बेटियां आज भी पढ़ाई से दूर हैं। इनमें किसी ने आज तक स्कूल की शक्ल तक नहीं देखी तो किसी को बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी। लेकिन अब ये बेटियां भी स्कूल जाएंगी। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने सभी BSA को ऐसी बालिकाओं की सूची भेजकर एडमिशन कराने के निर्देश जारी किये हैं।
वैसे तो बेसिक शिक्षा विभाग समय-समय पर आउट ऑफ़ स्कूल बच्चों के लिए सर्वे करता रहता है। लेकिन ये आमतौर पर खानापूर्ति तक सीमित रह जाते थे। इन सर्वे को लेकर 2017-18 में तो खुद विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव तक ने सवाल उठाये थे।
इस बार आउट ऑफ़ स्कूल बच्चों की जानकारी जुटाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने बाल विकास पुष्टाहार विभाग के आंकड़े लिए जो काफी चौंकाने वाले निकले। इसमें सामने आया की प्रदेश में करीब 5 लाख 13 हज़ार तो सिर्फ 11 से 14 साल की बालिकाएं ही हैं जो स्कूल नहीं जाती। बाल विकास विभाग ने इन चिन्हित बालिकाओं की सूची बेसिक शिक्षा निदेशालय को दी। इसके बाद विभाग ने इसी सत्र में इन सभी बालिकाओं का एडमिशन कराने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा करीब 70 हज़ार बालिकाओं को बेसिक शिक्षा विभाग ने खुद भी चिन्हित किया है जो स्कूल नहीं जाती।
इस तरह कुल 5 लाख, 80 हज़ार से अधिक आउट ऑफ़ स्कूल बालिकाएं भी अब स्कूल जा सकेंगी। अगर ये सभी एडमिशन होते हैं तो यूपी के परिषदीय स्कूलों में किसी सत्र में इतनी बड़ी संख्या में सिर्फ बालिकाओं का दाखिला होना भी रिकॉर्ड होगा। खुद अपर शिक्षा निदेशक ललिता प्रदीप भी कहती हैं की पिछले 25 साल में उनको याद नहीं की कभी इतनी बड़ी संख्या में आउट ऑफ़ स्कूल बच्चे चिन्हित किये गए हों।
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