Lucknow News: लखनऊ (Lucknow) में शिक्षक और स्नातक खंड के चुनाव के लिए बीजेपी और सपा मैदान में हैं. दोनों पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों के नामांकन भी करा दिए हैं, लेकिन देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की तरफ से कोई सुगबुगाहट नहीं दिखी. एक समय था जब शिक्षक और स्नातक सीटों पर दावा करने वालों पर कांग्रेस का हाथ रहता था. हालांकि, अब हालात दूसरे हैं. कांग्रेस उत्तर प्रदेश में हाशिए पर है. निकाय, पंचायत और विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस की स्थिति काफी कमजोर हो चुकी है.


उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने कहा कि शिक्षक और स्नातक खंड चुनाव के लिए हमारे पास कैंडिडेट भी हैं और हमारी तैयारी भी है. हमने अपने पत्ते छिपा कर रखे हैं. हमारे एक नहीं दो-दो कैंडिडेट ने निर्दलीय के रूप में नामांकन कराया है. हम जल्द उनके नाम सामने लाएंगे. उन्होंने कहा कि ये चुनाव सिंबल पर नहीं होता है. पार्टी दावेदारों को सपोर्ट करती हैं. पहले भी कांग्रेस सपोर्ट करती रही है. ये हमारी रणनीति का एक हिस्सा है. हम प्रैक्टिकल करके देख रहे हैं. इस प्रैक्टिकल से सफलता मिलती है तो आगे भी देखेंगे. खाबरी ने कहा कि हमारे जो कैंडिडेट होंगे, वो निश्चित तौर पर जीतकर आएंगे.


वाराणसी क्रूज को लेकर बोला हमला
वहीं वाराणसी में क्रूज़ के उद्घाटन को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा, क्रूज़ में क्या मजदूर जाएगा, बेरोजगार जाएगा, क्या उससे महंगाई कम होगी. ये उसी तरीके के जुमला है, हवाई चप्पल पहनने वाला हवाई जहाज में जाएगा.. आज तक तो वहां पहुंचा नहीं बल्कि उसकी हवाई चप्पल और उतर गई. ये केवल उद्योगपतियों और धनपतियों के साथ हैं, जो इस देश को अपनी गिरफ्त में लेना चाहते हैं. 


प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा कि इससे किसी गरीब का भला नहीं होगा. बेरोजगार को रोजगार नहीं मिलेगा. महंगाई कम नहीं होगी. इससे स्वास्थ्य लाभ नहीं होगा. शिक्षा मिलने वाली नहीं.. जो जरूरत हैं, उन पर काम करने की जगह क्रूज चलाया जा रहा है. उससे अगर फायदे हो तो बहुत अच्छा है. हमें ऐसा नहीं लग रहा है कि इससे कुछ फायदा होगा. जो कुछ फायदा होगा, वो धनपतियों को होगा. बड़े-बड़े लोग के सैर सपाटा करने के लिए तैयारी चल रही है. इसी तरीके की सोच भारतीय जनता पार्टी के शुरू से ही देखने को मिली है. यह केवल उन्हीं के लिए काम कर रहे हैं. बेरोजगारों, मजदूरों और किसानों के लिए इनका कोई काम नहीं है.


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