Lucknow News: लखनऊ (Lucknow) के बक्शी का तालाब तहसील में स्थित सिद्धपीठ मां चंद्रिका देवी धाम है. इसकी प्रसिद्धि और मान्यता देश विदेश तक है. दूर दराज से श्रद्धालु यहां माता का अशीर्वाद लेने आते हैं. मुख्य शहर से इसकी दूरी करीब 30 किलोमीटर है. अमावस्या और नवरात्र पर यहां लाखों की संख्या में भक्त आते हैं. भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने के लिए मां के दरबार में चुनरी की गांठ बांधते हैं. मनोकामना पूरी होने पर मां को चुनरी प्रसाद चढ़ाकर मंदिर परिसर में घंटा बांधते हैं. इस स्थान का पौराणिक इतिहास त्रेता युग से जुड़ा है.
मंदिर को लेकर यह है मान्यता
मंदिर के पुजारी पंडित राधेश्याम कहते हैं कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम के भाई लक्ष्मण के पुत्र चंद्रकेश, सेना के साथ इस स्थान से गुजर रहे थे. चलते-चलते रात हो गई. घने जंगल और चारों ओर अंधकार से घबराकर राजकुमार ने मां की आराधना की तो पल भर में ही वहां चांदनी फैल गई और उन्हें मां के दर्शन हुए. हालांकि मंदिर के लोग बताते हैं कि सिद्धिपीठ चंद्रिका देवी धाम कठवारा की यह पुण्य भूमि आज से लगभग 200 साल पहले तक लोगों के लिए अज्ञात थी. एक बार गांव के लोग अपने पशुओं के पीछे जंगल के दुर्गम रास्तों को साफ करते हुए आगे बढ़े तब पहली बार इस तीर्थ को देखा.
कहा जाता है कि उसी रात कठवारा गांव के तत्कालीन भूस्वामी ठाकुर बेनी सिंह चौहान को मां चंद्रिका देवी ने स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि तीर्थ के तट पर एक पुरातन नीम के पेड़ के कोटर में नवदुर्गाओं के साथ उनकी वेदियां चिरकाल से सुरक्षित रखी हुई है. इसके बाद यहां मां चंद्रिका देवी के भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया. जैसे-जैसे लोगों को इसकी जानकारी हुई तब से भक्तों की संख्या तेजी से बढ़ती गयी.
गोमती नदी से घिरा हुआ है मंदिर
यह मंदिर तीन तरफ से गोमती नदी से घिरा है. सिद्धपीठ चंद्रिका देवी मंदिर में मां की पिंडियों के बाईं ओर दुर्गा जी, हनुमान जी और सरस्वती जी के विग्रहों की स्थापना है. देवी धाम में एक विशाल हवन कुंड, यज्ञशाला, चन्द्रिका देवी दरबार, बर्बरीक द्वार, सुधनवा कुण्ड, महीसागर संगम तीर्थ के घाट दर्शनीय स्थल हैं. पूर्व की दिशा में मंदिर के पास ही महीसागर तीर्थ है जिसमें शिवजी की विशालकाय प्रतिमा स्थापित है. पंडित राधेश्याम कहते है कि इसका इतिहास महाभारत के समय का है. मान्यता है कि इस कुण्ड में स्नान करने से कुष्ठ रोग दूर होते हैं. यह भी कहा जाता है की स्कंद पुराण के अनुसार, इस तीर्थ में घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने तप किया था. मान्यता है कि दक्षप्रजापति के श्राप से प्रभावित चंद्रमा को भी श्राप मुक्ति के लिए महिसागर संगम तीर्थ के जल में स्नान करने चंद्रिका देवी धाम आना पड़ा था.
यह भी पढ़ें:-