(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
लखनऊ की डॉक्टर को किया 1 हफ्ते 'Digital Arrest', खुद को CBI का अफसर बताकर ठगे 2.81 करोड़
SGPGIMS Lucknow में प्रोफेसर डॉक्टर रुचिका टंडन ने कहा कि 'अपराधियों ने मुझे एक कथित IPS अधिकारी से बात कराई. मुझे बताया कि मेरा एक बैंक खाता 7 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ है.'
UP News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (SGPGIMS Lucknow)की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रुचिका टंडन को साइबर ठगों ने सात दिनों तक 'डिजिटल तरीके से गिरफ्तार' करके 2.81 करोड़ रुपये की ठगी की. साइबर अपराध की शिकार महिला ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा 'मुझे सुबह एक कॉल आया, जिसमें कॉल करने वाले ने खुद को ट्राई (भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण) से बताया और मुझसे कहा कि पुलिस के निर्देशानुसार मेरा फोन बंद कर दिया जाएगा, क्योंकि मेरे नंबर के खिलाफ मुंबई साइबर क्राइम सेल में लोगों को परेशान करने वाले संदेश भेजने की कई शिकायतें दर्ज की गई हैं...'
डॉक्टर ने कहा कि 'फिर उन्होंने मुझे एक तथाकथित आईपीएस अधिकारी से बात कराई, जिसने मुझे बताया कि मेरा एक बैंक खाता 7 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग जैसी अवैध गतिविधियों से जुड़ा हुआ है. उसने कहा कि उसे मुझे तुरंत गिरफ्तार करने के आदेश मिले हैं, और अगर मैं उनके पास नहीं जा पाया, तो वे मुझे 'डिजिटल हिरासत' में ले लेंगे. फिर उन्होंने मुझे एक सीबीआई अधिकारी से बात कराई. उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि मैं इसके बारे में किसी को न बताऊं, क्योंकि यह राष्ट्रीय महत्व का मामला है.'
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क्या होता है Digital Arrest?
उधर, इस मामले में साइबर पुलिस स्टेशन लखनऊ के जांच अधिकारी गुलाम ने कहा कि 'अगर कानून की दृष्टि से बात करें तो 'डिजिटल गिरफ्तारी' जैसा कोई शब्द नहीं है, लेकिन आजकल साइबर अपराधी बड़े नाम लेकर लोगों को धमकाते हैं. किसी बड़े जांचकर्ता का नाम लिया जाता है, तो लोग यह सोचकर घबरा जाते हैं कि उनका नाम किसी मामले में आ गया है. वे पीड़ितों से वीडियो कॉलिंग के लिए स्काइप डाउनलोड करवाते हैं, जिसमें वे पुलिस की वर्दी पहने हुए दिखाई देते हैं, लेकिन अपना चेहरा नहीं दिखाते और बताते हैं कि वे अपनी पहचान नहीं बताते.वे पहले पीड़ित से सारी जानकारी लेते हैं और फिर उन्हें बताते हैं कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है, वे किसी से बात नहीं कर सकते, यहां तक कि फोन पर भी नहीं.'
डीसीपी सेंट्रल रवीना त्यागी ने कहा कि डॉक्टर पीड़िता की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की गई है. आरोपी ने पहले खुद को ट्राई का अधिकारी बताया. फिर खुज को सीबीआई का अफसर बताया. इस मामले की जांच जारी है और जल्द ही खुलासा होगा.