Lucknow News: यूपी में बढ़ी आपदा प्रबंधन में एमबीए की मांग, एक्सपर्ट्स से जानें क्या मिलेंगे फायदे
Lucknow News: बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विवि के प्रोफेसर वेंकटेश दत्ता ने बताया कि प्राकृतिक संसाधन से जुड़े जितने भी सेक्टर हैं, सब पर जलवायु परिवर्तन का असर आ रहा है.
MBA in Disaster Management: वर्तमान में जलवायु परिवर्तन के असर को हर कोई महसूस कर रहा है. मौसम की अनिश्चितता और चरम घटनाओं में बढ़ोतरी सबसे बड़ी चुनौती बनती जा रही है. जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटना बड़ी आवश्यकता बन गई है. जानकारों का मानना है कि उत्तर प्रदेश, देश में सर्वाधिक जलवायु जोन वाला राज्य है.
ऐसे में प्रदेश में अब एक नये स्तर की विशेषज्ञता की मांग बढ़ने लगी है. महामारी, बाढ़, सूखा, अतिवृष्टि, वज्रपात जैसी आपदाओं से निपटने के लिए दक्ष लोगों की मांग को देखते हुए युवा अब क्लाइमेट रेजिलिएंट और डिजास्टर मैनेजमेंट एनालिटिक्स के क्षेत्र में अपना करियर तलाशने लगे हैं. इस क्षेत्र में एमबीए की डिमांड सबसे ज्यादा है, जो ना सिर्फ रोजगार के नये अवसरों का सृजन करेगा, बल्कि प्रदेश के अंदर बड़ी संख्या में नौकरियां भी मिल सकेंगी.
विशेषज्ञों से समझिए इन कोर्स के फायदे
बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर केंद्रीय विवि के प्रोफेसर वेंकटेश दत्ता ने बताया कि चाहे खेती हो या जल आपूर्ति, जो भी प्राकृतिक संसाधन से जुड़े जितने भी सेक्टर हैं, सब पर जलवायु परिवर्तन का असर आ रहा है. तापमान बढ़ने से ग्लेशियर पिघल रहे हैं, इसके पिघलने से बड़े-बड़े लेक बन रहे हैं. हिमालय पर लेक के बर्स्ट होने से अचानक बाढ़ का खतरा बन जा रहा है. अचानक प्रवाह बढ़ जा रहा है. उन्होंने बताया कि पहाड़ी इलाकों में क्लाउड बर्स्ट होता है, अब मैदानी इलाकों में भी क्लाउड बर्स्ट हो रहा है, जिससे प्राकृतिक आपदाएं बढ़ती जा रही है. चाहे वो साइक्लोन हो या फिर सूखा, सब अचानक हो रहा है. इन सबके लिए हमें एक ऐसे ट्रेन्ड रिसोर्सेज या स्किल्ड मैनपावर की जरूरत है जो इन समस्याओं को नीति नियोजन में ला सके.
'जलवायु परिवर्तन विषय में शिक्षा जरूरी'
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन आज के समय में बड़ा विषय है. इसके लिए आवश्यक है कि लोगों को इस समस्याओं के विषय में शिक्षित किया जाए. तीन तरफ से सागर और एक तरफ से हिमालय से घिरे होने के कारण भारत में जलवायु परिवर्तन के कारण बहुत सारी समस्याएं आती हैं. यहां पर जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन से जुड़ा पाठ्यक्रम शुरू करना बहुत आवश्यक है. करियर के लिहाज से आने वाले समय में बाजार प्रबंधन और व्यापार प्रबंधन की तरह ही जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन भी युवाओं के लिए जॉब गारंटी कोर्स बनेगा.
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान लखनऊ के प्रोफेसर दीपक कुमार का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और अचानक से आने वाली आपदाएं आज पूरी दुनिया के समक्ष एक बड़ी समस्या बनकर उभरी हैं. पृथ्वी का बढ़ता तापमान इसमें बड़ी भूमिका निभाता है. अचानक से आने वाले समुद्री तूफान, सूखा या बाढ़ इसके बड़े उदाहरण हैं. बाढ़ एक आपदा है प्राकृतिक डिजास्टर है. लेकिन उसका कारण क्लाइमेट है. इसे रोकने के लिए हम डेटा एनालिटिक्स करें और उस पर एआई जैसे उपायों का इस्तेमाल करें तो मिलने वाले समाधान इसे रोक सकते हैं या डिले कर सकते है, स्लो कर सकते हैं. इस पर सिर्फ एमबीए कोर्स ही नहीं, बल्कि एमएससी कोर्स भी हो सकता है. इसमें पीएचडी भी करानी चाहिए, ताकि लोगों को ये समझ में आये. इससे एक तरफ जहां युवा प्रकृति के प्रति जागरूक होंगे, वहीं दूसरी तरफ उन्हें रोजगार भी मिलेगा. जलवायु परिवर्तन में एमबीए कोर्स उत्तर प्रदेश ही नहीं, वरन देश के सभी युवाओं के लिए करियर के लिहाज से नया और बेहतर विकल्प साबित होगा.
'जलवायु परिवर्तन दुनिया के लिए परेशानी'
उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त जीएस नवीन कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन देश ही नहीं दुनिया के लिए भी परेशानी का कारण है. यही वजह है कि विश्व के पर्यावरण विद्, वैज्ञानिक सभी मिलकर धरती के तापमान को कम रखने के उपायों को ढूंढने और उन्हें लागू करने के लिए प्रयासरत हैं. इसकी व्यपाक जानकारी के लिए भावी पीढ़ी यानी विद्यार्थियों को समझने और जानने की आवश्यकता है. करियर के लिहाज से आने वाले समय में बाजार प्रबंधन और व्यापार प्रबंधन की तरह ही जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन भी युवाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण हो सकता है. इसके लिए निजी और सरकारी शिक्षण संस्थाओं को आगे आने की जरूरत है. इस विषय पर विद्यार्थियों को भी अपना योगदान देने की आवश्यकता है. इस पर स्नातक से लेकर रिसर्च तक बृहद रूप से समझने की जरूरत है.
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