Lucknow Navratri: नवरात्र के मौके पर माता के मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. हर कोई मां का आशीर्वाद लेना चाहता है. ऐसा ही नजारा लखनऊ के चौक इलाके में स्थित बड़ी काली माता मंदिर का है. जिसका अपना विशेष महत्व है. इस मंदिर में नवरात्र के मौके पर दूर-दूर से भक्त मां का आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं.
ऐसी मान्यता है कि चौक के इस बड़ी काली मंदिर की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने आज से 2500 साल पहले की थी. ये मंदिर बिहार स्थित बोधगया में शंकराचार्य मठ की ही एक शाखा है. इस मंदिर को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं प्रचलित है. कहा जाता है कि जब तकरीबन हजार साल पहले आक्रांताओ ने मंदिरों को तहस-नहस करना शुरू किया तब यहां के पुजारी ने भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा को यहां स्थित एक कुएं में उन से बचाने के लिए डाल दिया. जब लंबे समय बाद उस कुएं से मूर्तियां निकाली गई तो इन मूर्तियों का स्वरूप बदल गया था. इसमें मूर्ति मां काली की मूर्ति के रूप में निकली, तभी से माना जाता है कि मां काली के यहां प्राण प्रतिष्ठा हुई. इसे 1 शक्तिपीठ भी कहा जाता है.
मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विवेकानंद गिरि जी महाराज ने बताया कि इस मंदिर की बहुत मान्यता है. एक सप्ताह तक कोई अगर लगातार मां के दर्शन करता है तो उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है.
नवरात्रि में विशेष पूजन
नवरात्र के मौके पर बड़ी काली जी मंदिर में विशेष पूजन होता है और हर दिन विशेष आरती होती है. मां का श्रृंगार भी हर दिन अलग-अलग ढंग से किया जाता है. मंदिर सुबह 4:30 बजे खुल जाता है और रात 12:00 बजे तक भक्तों के लिए लगातार खुला रहता है. इस मंदिर में अष्टधातु की मां की एक विशेष प्रतिमा है जो लगभग 1 फुट लंबी है. वह साल में केवल 2 बार नवरात्र के मौके पर अष्टमी और नवमी को निकलती है. उसके बाद सीधे उसे तहखाने में रख दिया जाता है.
चौक की बड़ी काली मंदिर का बहुत महत्व है. नवरात्रों में तो ना केवल लखनऊ से बल्कि दूर-दराज के जिलों से भी यहां लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं.
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