Lucknow News: सरकारी स्कूलों की हालत बदहाल, बच्चे बिना स्वेटर और जूते-मोजे के स्कूल आने को मजबूर
UP Schools: बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि हमने प्रयास किया कि हर बच्चे तक डीबीटी की राशि पहुंचा दी जाए, लेकिन कुछ अभिभावक और बच्चे ऐसे हैं जो विद्यालय में लगातार नहीं आते हैं.
Lucknow News: वर्तमान शैक्षिक सत्र शुरू हुए साढ़े 8 महीने बीत चुके हैं और साढ़े 3 महीने बाद सत्र समाप्त हो जाएगा, लेकिन प्रदेश के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में अब भी लाखों ऐसे स्टूडेंट्स हैं, जिनके अभिभावकों के खाते में डीबीटी के माध्यम से यूनिफार्म, स्वेटर और स्टेशनरी का पैसा नही भेजा गया. सर्दी में भी तमाम बच्चे बिना स्वेटर और जूते मोजे के ही स्कूल आ रहे हैं.
लखनऊ (Lucknow) के उदयगंज स्थित प्राइमरी स्कूल की स्थिति देखने पर पता चला कि तमाम बच्चों ने या तो स्वेटर पहना नहीं था या फिर यूनिफार्म से अलग पहना था. ऐसा ही जूते-मोजे और बाकी यूनिफार्म में दिखा. क्लास 6 के छात्र लालचंद ने स्वेटर नहीं पहना था. पूछने पर बताया कि अब तक खाते में पैसा नहीं आया.
अपने बच्चों को स्कूल लेने पहुंची सोनी और किरण ने बताया कि उनके साथ भी यही समस्या है. दोनो के दो-दो बच्चे यहां पढ़ते हैं. जिन्होंने बताया कि किसी तरह 1 जोड़ी यूनिफार्म ली है, लेकिन स्वेटर नहीं लिया. कभी स्कूल यूनिफार्म में भेजते हैं तो कभी घर के कपड़ों में. दोनों ने बताया कि उनके खाते में पैसा नहीं आया. जानकारी में सामने आया कि इस स्कूल में तमाम बच्चों के अभिभावकों के खाते में पैसा नहीं आया है.
स्कूलों के दौरों पर ये सामने आया
इसके बाद कैबिनेट गंज प्राइमरी स्कूल में भी तमाम बच्चे बिना यूनिफार्म के दिखे. बड़ी संख्या में बच्चों ने घर के कपड़े पहने थे. कई बच्चों के पैर में जूते मोजे नही थे. टीचर से पूछने पर सामने आया कि कई बच्चे ऐसे हैं जिनके अभिभावकों के खाते में पैसा आया लेकिन फिर भी यूनिफार्म नहीं ली. जबकि कुछ का पैसा आना बाकी है. विभागीय अधिकारियों की माने तो प्रदेश में 10 लाख से अधिक ऐसे बच्चे हैं जिनका पैसा अभी खातों में नहीं गया, हालांकि इसमें बड़ी संख्या घोस्ट स्टूडेंट्स की भी है. यानी ऐसे बच्चे जिन्होंने दाखिला तो लिया लेकिन स्कूल नहीं आए. बहरहाल इसकी भी जांच चल रही है.
इस बाबत डीजी स्कूल एजुकेशन विजय किरण आनंद ने बताया कि शासन ने बीते वर्ष एक नई व्यवस्था शुरू की थी जिसका उद्देश्य था कि पारदर्शिता से विभिन्न सुविधाओं का बजट अभिभावकों के खाते में जाएं. इस बार 1200-1200 की धनराशि अगस्त में ही अभिभावकों के खाते में भेज दी गई थी. ज्यादातर बच्चों के अभिभावकों के खाते में धनराशि गई है. कुछ अभिभावकों का जो लेटेस्ट खाता है उनमे कुछ की आधार ऑथेंटिकेशन की सीडिंग नहीं हुई है. इसके लिए अभिभावकों से संपर्क किए जा रहे हैं.
बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि हमने प्रयास किया कि हर बच्चे तक डीबीटी की राशि पहुंचा दी जाए, लेकिन कुछ अभिभावक और बच्चे ऐसे हैं जो विद्यालय में लगातार नहीं आते, उनके अटेंडेंस ना के बराबर है या फिर जहां डॉक्यूमेंट का वेरिफिकेशन नहीं हुआ है. ऐसे कुछ ही केस हैं जिसमें डीबीटी की राशि नहीं पहुंची. पूरी टीम ने मिलकर वेरिफिकेशन का काम किया है. हालांकि मंत्री संदीप सिंह ने माना कि कुछ जगह परफॉर्मेंस अच्छा न होने के चलते बीएसए हटाये भी गए हैं. हाल ही में 6 जनपद के बीएसए को हटाया गया.
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