लखनऊ: राजधानी लखनऊ में चिकित्सा सेवाओं की खौफनाक हकीकत सामने आई है. केजीएमयू के ट्रामा सेंटर से दिलदहला देने वाला मामला सामने आया है. ये हाल है वहां का है जो प्रदेश ही सत्ता का केंद्र है. जहां मुख्यमंत्री से लेकर सरकार के तमाम मंत्री रहते हैं. शासन के जिम्मेदार अफसर बैठते हैं. लेकिन, एक शख्स की जिंदगी ही जंग हार गया और उसे बचाने के लिए कुछ नहीं किया गया.


दाखिल तक नहीं किया गया
राजधानी की चिकित्सा सेवाओं की हकीकत जानने एबीपी गंगा की टीम केजीएमयू के ट्रामा सेंटर पहुंची. इसी दौरान एक अधेड़ ने तड़पते हुए दम तोड़ दिया. अधेड़ और उसकी बहन को परिवार के लोग निजी एम्बुलेंस से केजीएमयू लेकर आए थे. यहां उन्हें दाखिल ही नहीं किया गया. तीन घंटे तक भाई-बहन ट्रामा सेंटर की पोर्टिको में खड़ी एम्बुलेंस में तड़पते रहे. 


नहीं हुई सुनवाई 
एबीपी गंगा की टीम ने परिवार के सदस्यों से बात की. परिवार के लोगों ने बताया कि अस्पताल में कोई सुनवाई नहीं हो रही है. तीन घंटे से भर्ती कराने की कोशिश कर रहे हैं. कोरोना जांच के नाम पर उन्हें रोका गया है जबकि हालत लगातार बिगड़ती जा रही है. बातचीत के कुछ देर बाद ही अधेड़ ने दम तोड़ दिया. 


भटकते मिले मरीज और परिजन
केजीएमयू और टीम सेंटर में कई ऐसे मरीज और उनके परिवार के लोग भटकते मिले. जबकि, प्रदेश सरकार के मंत्री और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सब नियंत्रण में होने के दावे कर रहे हैं. इसी दौरान ट्रामा सेंटर आए चिकित्सा विभाग के अधिकारी से अव्यवस्थाओं को लेकर सवाल किया तो वो, 'सब इंतजाम किए जा रहे हैं', कहकर कार में बैठकर चले गए. 


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