लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कई बार आईएएस अफसरों की कार्यशैली चर्चा का विषय बन जाती है और ऐसा ही कुछ समाज कल्याण विभाग में सामने आया है. विभाग के प्रमुख सचिव बीएल मीणा बुधवार को एक बैठक में अपने मातहतों पर इतने नाराज हुए कि उनके साथ गाली गलौज कर दी. इससे नाराज समाज कल्याण विभाग के अधिकारी मंत्री और मुख्य सचिव के यहां पहुंच गए. इसे लेकर जब एबीपी गंगा ने प्रमुख सचिव समाज कल्याण से सवाल पूछा तो वो कैमरे पर कुछ भी बोलने से बचते रहे. हमने बार-बार सवाल किया कि आखिर ऐसा क्या हो गया था कि वो मीटिंग में अपना आपा खो बैठे लेकिन उन्होंने पूरे वक्त चुप्पी साधे रखी.


अधिकारी खो बैठे आपा
दरअसल, बुधवार को समाज कल्याण के प्रमुख सचिव ने एक बैठक बुलाई थी. बैठक में निदेशक समाज कल्याण समिति के कई अधिकारी मौजूद थे और इसी दौरान कहा जाता है की प्रमुख सचिव इतने नाराज हुए कि उन्होंने निदेशक समाज कल्याण के साथ बदसलूकी की और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया. आखिर ऐसा क्या हुआ था कि प्रमुख सचिव अपना आपा खो बैठे. यही जानने के लिए एबीपी गंगा की टीम पहले विधानभवन के नवीन भवन स्थित उनके दफ्तर पहुंचे लेकिन वो दफ्तर में नहीं मिले. बताया गया कि आज वो दफ्तर आए ही नहीं हैं.


जानें- मंत्री ने क्या कहा
इसके बाद एबीपी गंगा की टीम को जानकारी मिली कि वो योजना भवन में एक बैठक में शामिल होने के लिए पहुंचे हैं. टीम सीधे योजना भवन पहुंच गई. वहां समाज कल्याण विभाग के मंत्री भी मौजूद थे. समाज कल्याण विभाग के मंत्री रमापति शास्त्री से जब हमने विभाग के प्रमुख सचिव और निदेशक के बीच हुई इस तनातनी और तकरार पर सवाल पूछा तो पहले वो भी इस पर कुछ भी बोलने से बचते रहे लेकिन, बार-बार सवाल पूछने पर उन्होंने कहा कि कभी-कभी परिवार में ऐसा हो जाता है और उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली है.


सवालों पर साध ली चुप्पी
बैठक में समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव और जिस अफसर पर आरोप लगा है वो अफसर बीएल मीणा भी पोर्टिको में मिल गए. टीम ने उनसे कैमरे पर सवाल पूछा कि आखिर ऐसा बैठक में क्या हो गया था कि वो अपना आपा खो बैठे. क्या उन्हें कोई शिकायत मिली थी, कि विभाग में गड़बड़ियां हैं. लेकिन, उन्होंने हर सवाल पर चुप्पी साधे रखी. बार-बार उनसे पूछे गए लेकिन वो कुछ भी बोलने से बचते रहे, हां ये जरूर कहा कि अब समझौता हो गया है.


कर्मचारी संगठनों में रोष
वहीं, आईएएस अफसर के इस तरह भरी मीटिंग में अभद्र भाषा का प्रयोग करने को लेकर कर्मचारी संगठनों में भी रोष है. सरकारी संगठन के लोग कह रहे हैं कि इस तरह की भाषा का प्रयोग किसी को भी नहीं करना चाहिए और पिछले कुछ समय में अधिकारियों की तरफ से लगातार कर्मचारियों के साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है. अगर स्थिति नहीं सुधरी तो कर्मचारी संगठन आंदोलन के लिए बाध्य होंगे.


अधिकारी और कर्मचारियों के बीच जुबानी जंग जारी है
पूरे मामले में अब चाहे विभाग के मंत्री हों या खुद अफसर, सभी लीपापोती में जुट गए हैं. लेकिन मामला ये बताने के लिए काफी है कि किस तरह से उत्तर प्रदेश में अधिकारी और कर्मचारियों के बीच जुबानी जंग जारी है.


ये भी पढ़ें:



धर्मांतरण अध्यादेश पर HC में जारी रहेगी सुनवाई, यूपी सरकार की दलीलें कोर्ट ने की खारिज


जर्जर यूपी: खस्ताहाल इमारतों में रहने को मजबूर पुलिसकर्मी, कहीं उखड़ी छत.. कहीं निकल रहा प्लास्टर