Lucknow News: एकेटीयू के वाइस चांसलर को हटाया गया, लखनऊ यूनिवर्सिटी के कुलपति को मिला अतिरिक्त चार्ज
UP News: प्रोफेसर पीके मिश्र के खिलाफ एकेटीयू के सम्बद्ध संस्थान IET के पूर्व निदेशक प्रो. विनीत कंसल और पूर्व परीक्षा नियंत्रक अनुराग त्रिपाठी ने गंभीर आरोप लगाते हुए राजभवन से शिकायत की थी.
Lucknow News: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के कुलपति पीके मिश्र को वित्तीय अनियमितता और अपने पद की शक्तियों का गलत इस्तेमाल करने जैसे गंभीर आरोपों के चलते राजभवन ने हटा दिया है. प्रोफेसर पीके मिश्रा को उनके खिलाफ चल रही जांच पूरी होने तक शकुंतला मिश्रा यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध किया गया है. कुछ दिन पहले ही राजभवन ने पीके मिश्र पर लगे आरोपों की जांच के लिए रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन किया था.
राजभवन की माने तो इस जांच समिति ने प्रोफेसर मिश्र पर लगे आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया है. फिलहाल लखनऊ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. आलोक राय को एकेटीयू के कुलपति का अतिरिक्त चार्ज दिया गया है. प्रोफेसर पीके मिश्र के खिलाफ एकेटीयू के सम्बद्ध संस्थान आईईटी के पूर्व निदेशक प्रो. विनीत कंसल और एकेटीयू के पूर्व परीक्षा नियंत्रक अनुराग त्रिपाठी ने गंभीर आरोप लगाते हुए राजभवन से शिकायत की थी.
जांच समिति का किया गया था गठन
इस मामले में 26 जनवरी को राजभवन ने इलाहाबाद हाइकोर्ट के रिटायर्ड जज एसएन अग्निहोत्री की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन किया था. इसे लेकर 27 जनवरी को एकेटीयू कुलपति को ये निर्देश दिए गए कि वो इस जांच में सहयोग करेंगे. अब राजभवन ने इस मामले में एकेटीयू कुलपति प्रोफेसर पीके मिश्र को जांच पूरी होने तक कुलपति पद से हटा दिया है. राजभवन ने जो आदेश जारी किया है उसमें साफ लिखा है कि कुलपति पीके मिश्र ने राजभवन के निर्देश के बावजूद जांच समिति को सहयोग नही किया. समिति को कई बार कहने के बावजूद जरूरी दस्तावेज तक नहीं दिए. इसके बावजूद समिति ने अन्य माध्यम से जो जांच की उसमे पीके मिश्र पर लगे आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया है.
बता दें कि कुलपति पीके मिश्र आईएसएस प्राइवेट लिमिटेड नामक फर्म को काम देने में गंभीर वित्तीय अनियमितता देखने को मिली, जिसमें फर्म को भुगतान की जो दरें थी वो भी कुलपति ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए अपने स्तर से ही तय कर दी. इसके अलावा 10 जनवरी 2023 को विश्वविद्यालय की एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में प्रोफेसर विनीत कंसल और प्रो. अनुराग त्रिपाठी से जुड़ा पूर्वाग्रह और दुर्भावनापूर्ण जो फैसला लिया उस मीटिंग का कोरम ही पूरा नही था. यानी मीटिंग में जितने सदस्य होने चाहिए थे, वो नहीं थे.
जांच पूरी होने तक हटाया गया
प्रोफेसर पीके मिश्र ने जानबूझकर राजभवन के उस आदेश को चुनौती दी, जो जांच समिति को सहयोग करने से जुड़ा था. पीके मिश्र पर आरोप है कि उन्होंने जांच से जुड़े दस्तावेज और एग्जीक्यूटिव कॉउन्सिल की बैठक की रिकॉर्डिंग जांच समिति को नहीं दी. आईईटी के पूर्व निदेशक प्रोफेसर विनीत कंसल ने कुलपति पीके मिश्र के खिलाफ शिकायत की थी कि उन्हें बिना किसी कारण के ही आईईटी निदेशक के पद से हटाया गया. इसके पीछे वजह बताई गई कि कुलपति कुछ ऐसे काम कराना चाहते थे जो नियमविरुद्ध थे और उसके लिए प्रोफेसर विनीत कंसल तैयार नही हुए.
सूत्रों की माने तो प्रोफसर कंसल इसे लेकर राजभवन में अपना प्रेजेंटेशन भी दे चुके हैं. इसी तरह पूर्व परीक्षा नियंत्रक को हटाने के पीछे कॉपियों की जांच, उनकी नियुक्ति में गड़बड़ी से लेकर जो अन्य आरोप कुलपति प्रो. मिश्र ने लगाए उसके खिलाफ प्रोफेसर अनुराग त्रिपाठी भी राजभवन पहुंचे. प्रोफेसर त्रिपाठी ने भी इसे लेकर अपना पक्ष बिंदुवार राजभवन को दिया. माना जा रहा है. इन दोनों के पक्ष से राजभवन को भी कुलपति पीके मिश्र की कार्रवाई और कार्यप्रणाली पर शंका हुई, जिसके बाद जांच कराने का फैसला लिया गया था और अब उन्हें जांच पूरी होने तक हटाया गया है.
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