लखनऊ, शैलेश अरोड़ा। आज पूरा विश्व कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है। इस बीमारी से जंग लड़ने का मतलब है खुद को बचाना क्योंकि अभी तक कोरोना वायरस के संक्रमण को ख़त्म करने का कोई इलाज नहीं है। इसलिए सबको ये सलाह दी जा रही है कि कैसे निश्चित समय के अंतराल में हाथ धोएं या सेनेटाइज करें, मास्क या कपडे से मुंह को ढकें, बाहर न निकले, किसी से हाथ न मिलाएं, कोई लक्षण दिखे तो डॉक्टर से संपर्क करें। इन सभी बातों को सरकार भी एडवाइजरी के रूप में जारी कर चुकी है। एडवाइजरी के पालन के लिए जरुरी है इसको समझना। लखनऊ यूनिवर्सिटी के भाषा विज्ञान की प्रोफेसर डॉ. कविता रस्तोगी ने स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी को 40 भाषाओं में अनुवाद कराने का अनूठा काम किया है।


क्षेत्रीय और लुप्तप्राय भाषाओं में कराया ट्रांसलेट
प्रो. कविता रस्तोगी ने बताया कि क्षेत्रीय और लुप्तप्राय भाषा बोलने वाले समुदाय के लोगों को covid 19 के विषय में उन्हीं की भाषा मे सूचना पहुंचाना अति आवश्यक है। क्योंकि यह समस्या बहुत ही ज्यादा गंभीर है और इसके खिलाफ सबसे बड़ा हथियार इन्फॉर्मेशन ही है। लखनऊ यूनिवर्सिटी की इस प्रोफेसर ने अपने NGO सोसाइटी फ़ॉर एंडेन्जर्ड एंड लैसर नोन लैंग्वेजेज की टीम के साथ मिलकर भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा दिये गए कोरोना वायरस से बचने के उपाय व अन्य सूचना को उत्तरी और उत्तर पूर्वी भारत की 40 क्षेत्रीय और लुप्तप्राय भाषाओं में अनुवादित किया है।



इन भाषाओं में दे रहे कोरोना की जानकारी
उत्तर प्रदेश में बोली जाने वाली भोजपुरी, अवधी, थारु। उत्तराखंड में बोली जाने वाली कुमाउनी, बंगाणी, बांवरी, ब्यांस, रवालटी, पर्वतीया, तोल्छा, गढ़वाली, जौनसारी, जाड़, दारमा। छत्तीसगढ़ में बोली जाने वाली कुरुख, हल्बी, सरगुजिया, लरिया, मानक छत्तीसगढ़ी। असम में बोली जाने वाली पाइवे, कारबी, दिमासा, स्यालहेटी, मिसिंग, मैवेई, बोडो, रुआंग्लट, लियांगमई, ज़ेमे। मेघालय में बोली जाने वाली खासी समेत अन्य भाषाओं में अनुवादित किया है।


क्षेत्रीय भाषाओं में ही वीडियो से सिखा रहे घर पर मास्क बनाना
प्रोफेसर कविता ने सिर्फ इस जानकारी का ही अनुवाद नहीं कराया। बल्कि मास्क बनाने की विधि के वीडियो भी इसी तरह अलग अलग भाषाओं में तैयार कराये हैं। फ़िलहाल प्रो. कविता इस जानकारी और वीडियो को और भी कई भाषाओं में तैयार करने में लगी हैं। ये सारी जानकारी और मेटेरियल सोशल मीडिया और वोलेंटिएर्स के माध्यम से लोगों तक पहुँचाया जा रहा है। प्रो. कविता की टीम में तेजपुर यूनिवर्सिटी की डॉ. बिपाशा, मोनालीलॉन्गमलाई, रायपुर यूनिवर्सिटी की डॉ. आरती पाठक, उत्तराखंड से डॉ. महावीर, सुरेन्द्र समेत कई अन्य लोग जुड़े हैं।