UP News: मुश्किलों में कई बार इंसान निराश होकर टूट जाता है तो कई बार मुश्किलों का मजबूती के साथ सामना करता है और मुश्किलों से खुद को उबारने के लिए मेहनत करता है. कुछ ऐसी ही कहानी है लखनऊ के रेनू यादव की, जो पिछले 6 महीने से रोजाना दोपहर में इडली और वड़ा की दुकान लगाती हैं और अपने परिवार का  पालन पोषण कर रही हैं.


रेनू यादव के तीन बच्चे हैं जिसमें दो बेटे और एक बेटी है. उनकी शादी कुछ साल पहले लखनऊ के रहने वाले अजय यादव से हुई थी. दोनों का परिवार हंसी खुशी चल रहा था. अजय यादव लखनऊ में ट्रांसपोर्ट का काम करता था वहीं पत्नी पार्लर चलाती थी. पिछले साल जून के महीने में पति की तबीयत खराब होने पर जब इलाज कराने गई तो ब्लड कैंसर का पता चला जिसके लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट करने की बात डॉक्टर ने कही. इस इलाज के बीच रेनू और उसके पति का धंधा पूरी तरीके से बंद हो गया और घर का रखा पैसा भी खत्म हो गया. वहीं अपनों ने  मदद तो की पर कब तक करते.    


रेनू को अपना परिवार भी चलाना था और अपने पति को भी देखना था. उसको कुछ जगहों से नौकरी के ऑफर भी मिले लेकिन कहीं भी नौकरी करती तो उसे एक फिक्स समय नौकरी के लिए देना पड़ता है पर जरूरत पड़ने पर अपने पति के पास न पाती. रेनू को आए दिन अपने पति को दिखाने लखनऊ में पीजीआई अस्पताल भी जाना पड़ता है जहां उसे अपने पति के साथ रहना होता है. इन परेशानियों के बीच रेनू ने तय किया कि वह अपने हाथ का बनाया हुआ इडली और वड़ा बेचेंगी जिससे वह दो से चार घंटे में काम करके वापस घर लौट आएं, अपने पति की जरूरतों को भी पूरा कर सके और परिवार को भी देख सके.


अप्रैल में शुरू हुआ रेनू का ये काम लगातार चल रहा है. रेनू रोजाना दोपहर 12:00 बजे आशियाना में जॉगर्स पार्क के सामने अपनी दुकान लगाती हैं और सामान बिकने तक वह यहां रूकती हैं. रेनू के बच्चे पहले इंग्लिश मीडियम में पढ़ते थे पर अब पति के इलाज के कारण बच्चों की पढ़ाई छूट गई है. बच्चों को उसने प्राइवेट पढ़ने के लिए एडमिशन कराया है. पिछले साल मुख्यमंत्री की तरफ से भी उसको 5 लाख रुपये की मदद मिली थी लेकिन अभी बोन मैरो ट्रांसप्लांट में 25 से 30 लाख रुपए की जरूरत डॉक्टर द्वारा बताई जा रही है. रेनू की सरकार से संभव मदद की दरकार है.


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