Sanjay Singh on Yogi government: आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद और यूपी प्रभारी संजय सिंह (Sanjay Singh) ने एक बार फिर प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है. उन्होंने जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) को लेकर एक नया खुलासा करते हुए दावा किया कि मिशन का काम करने वाली सभी 21 कंपनियां समीक्षा बैठक में फेल पाई गई हैं. संजय सिंह ने एक बार फिर इसे NRHM से भी बड़ा घोटाला बताया है.


संजय सिंह ने कहा कि पिछली बार जब जल जीवन मिशन में हज़ारों करोड़ के घोटाले का खुलासा किया तो तब मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह ने तमाम तरह की दलीलें दी थी. 5 हज़ार करोड़ का लीगल नोटिस भेज दिया. लेकिन जब आरोपी कंपनी रश्मि मैटेलिक ने मुकदमा किया तो सिर्फ 10 लाख की मानहानि का दायर किया. संजय सिंह में कहा कि वो तय तरीख पर कोर्ट जाकर अपना पक्ष रखेंगे. लेकिन इस बीच उन्होंने इस घोटाले के आरोप को लेकर कुछ और कागज सामने रखे हैं. 


सांसद संजय सिंह ने कहा कि इंजीनियरों की चिट्ठियों के दबाव में मिशन के अधिशाषी निदेशक अखण्ड प्रताप सिंह ने बीती 21 अगस्त को जल निगम के प्रबंध निदेशक को एक पत्र लिखकर विभाग द्वारा स्वीकृत दरों की नई सूची मंगायी. मतलब जिन बढ़ी दरों पर काम बांटे गए उसको सही ठहराने के लिए जल निगम से ही दरों को संशोधित कराकर बढ़ी दरों के बराबर लाने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि जो आरोप लगाए थे वो धीरे-धीरे मिशन खुद प्रमाणित कर रहा है. पहले मिशन के इंजीनियरों ने अपनी चिट्ठियों में लिखा कि कैसे स्वीकृत दरों से 30 से 40 प्रतिशत ज्यादा दरों पर टेंडर दिए गए हैं. 


संजय सिंह ने सीबीआई जांच कराने की मांग की है


संजय सिंह ने कहा कि मंत्री महेंद्र सिंह ने सफाई दी थी कि मिशन में काम अव्वल दर्जे का हो रहा है. संजय सिंह ने बताया कि बुंदेलखंड क्षेत्र में पेयजल का काम करने वाली 21 प्रमुख कंपनियां हैं. इन सभी के कामकाज को लेकर राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के अध्यक्ष व प्रमुख सचिव नमामि गंगे अनुराग श्रीवास्तव की अध्यक्षता में बीती 25 अगस्त को समीक्षा बैठक हुई. इसमे ग्रामीण जलापूर्ति विभाग और जल जीवन मिशन के अन्तर्गत प्रदेश में क्रियान्वित हो रही प्रथम और द्वितीय चरण की विभिन्न पाइप पेयजल योजनाओं की समीक्षा की गई. 


इस बैठक में सभी परियोजनाओं की एजेंसी वार प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा में पाया गया कि सभी कंपनियों का कार्य संतोषजनक नहीं है. कंपनियां या तो काम में रूचि नहीं ले रहीं है या फिर समय और गुणवत्ता के साथ समझौता कर रही हैं. ऐसे में न सिर्फ परियोजनाओं का समय बढ़ रहा है बल्कि उसकी लागत में भी भारी बढ़ोत्तरी हो रही है जिसका खामियाजा मिशन को उठाना पड़ रहा है. संजय सिंह ने एक बार फिर इन सबकी सीबीआई जांच कराने की मांग की है.



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