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UP: लखनऊ यूनिवर्सिटी में रोहित वेमुला की पुण्यतिथ पर भिड़े दो गुट, नारेबाजी और मारपीट हुई

दोनों गुटों ने हसनगंज कोतवाली पहुंच कर एफआईआर के लिए तहरीर दी है. एफआईआर दर्ज नहीं की गयी है. यूनिवर्सिटी प्रशासन और पुलिस अधिकारी दोनों गुटों से बात समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं.

Lucknow University: रोहित वेमुला की मौत के सात साल बाद मंगलवार को लखनऊ यूनिवर्सिटी में जमकर रार हुआ. युनिवर्सिटी में ही दो गुट आपस में भिड़ गये. इस दौरान जातिगत नारे भी लगाये गये. माहौल गरमाने के बाद दोनों गुटों में पोस्टर व बैनरों की छीनाझपटी और मारपीट हुई. इसके बाद आइसा के सदस्य वहीं पर धरने पर बैठ गये. इसके बाद एक बार फिर दोनों पक्षों में माहौल गरमा गया. लेकिन, विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने किसी तरह उन्हें वहां से हटाया. बाद में दोनों गुटों ने अलग अलग थानों में एफआईआर के लिए तहरीर दी.    

आइसा ने मांगी थी यूनिवर्सिटी में कार्यक्रम की अनुमति
जानकारी हो कि ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) और एनएसयूआई समेत तमाम संगठनों ने रोहित वेमुला की पुण्यतिथि पर यूनिवर्सिटी में कार्यक्रम कराने की अनुमति मांगी थी. हालांकि, विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें मना कर दिया था. इसके बाद आइसा और उसके सहयोगी संगठनों के छात्र-छात्राओं ने यूनिवर्सिटी के अंदर ही प्रोटेस्ट मार्च निकाला. दोपहर एक बजे छात्र-छात्राएं रोहित वेमुला के फोटो और पोस्टर लेकर नारे लगाते हुए निकले. 

कुछ ही देर में गरमा गया माहौल
छात्र-छात्राओं को लखनऊ विश्वविद्यालय के भीतर स्थित अंबेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण करना था. इसके बाद वहां पर सभा करनी थी. हालांकि, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उन्हें बीच में ही रोक लिया. इसी दौरान दूसरी तरफ से भी छात्रों का एक गुट पहुंच गया. कुछ ही देर में माहौल गरमा गया. दोनों गुट आपस में भिड़ गए. जमकर नारेबाजी हुई. आइसा की तरफ से जय भीम और ब्राह्मण छोड़ो के नारे लगे तो दूसरे गुट ने भी जय श्री राम और आजादी के नारे लगाने शुरू कर दिए. 

मारपीट के बाद धरने पर बैठ गया आइसा गुट
माहौल इतना गरमा गया कि छात्रों के गुट ने आइसा समर्थकों के बैनर—पोस्टर छीनकर फाड़ दिए. उन पर पानी फेंका. आइसा का झंडा भी फाड़कर फेंक दिया. कुछ छात्र—छात्राओं से धक्का-मुक्की और मारपीट भी की गई. इससे गुस्साए आइसा के छात्र-छात्राएं वहीं धरने पर बैठ गए. यूनिवर्सिटी प्रशासन के लोगों ने उन्हें मनाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं माने. चीफ प्रॉक्टर डॉ. राकेश द्विवेदी मौके पर पहुंचे. एडीसीपी सेंट्रल राजेश श्रीवास्तव ने दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश की. हालांकि, मामला नहीं बना. 

तनाव बढ़ते देख बुलाया गया पीएसी को 
इस दौरान तनाव बढ़ते देख यूनिवर्सिटी परिसर में तैनात पीएसी को भी बुलवा लिया गया. दोनों छात्र गुटों के बीच कई बार तनातनी, नारेबाजी, धक्का-मुक्की और नोकझोंक हुई. आइसा गुट का विरोध कर रहे छात्र गुट का कहना था कि वह लखनऊ विश्वविद्यालय को राजनीति का अड्डा बनाना चाहते हैं. यहां जातिगत विद्वेष फैलाकर छात्र-छात्राओं को धर्म और जाति में बांटना चाहते हैं. उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय को जेएनयू कैंपस बनाने का आरोप भी लगाया. इधर, अधिकारियों का कहना था कि छात्र-छात्राएं दूसरे रास्ते से अंबेडकर प्रतिमा तक जाकर वहां माल्यार्पण करें. 

आंबेडकर की प्रतिमा पर भी पहुंच गया दूसरा गुट
काफी मान मनौव्वल के बाद आइसा के छात्र-छात्राएं दूसरे रास्ते से जाने को तैयार हुए. जब आइसा और उसके सहयोगी संगठन के छात्र-छात्राएं अंबेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण कर रहे थे, तभी दूसरा गुट भी वहां पहुंच गया. दूसरे गुट ने भी आंबेडकर प्रतिमा पर माल्यार्पण करने की जिद कर दी. यहां एक बार फिर माहौल गरमा गया. पुलिस और यूनिवर्सिटी प्रशासन के अधिकारियों ने हस्तक्षेप कर किसी तरह से दोनों गुटों के लोगों को माल्यार्पण करा कर वहां से हटाया.

 

यह भी पढ़ें: Lok Sabha Elections: खोई जमीन पाने के लिए बसपा ने झोंकी ताकत, कार्यकर्ता सम्मेलन से गांव-गांव पहुंचने का लक्ष्य

कोतवाली पहुंचा आइसा गुट
मामला यहीं पर खत्म नहीं हुआ. एक तरफ चीफ प्रॉक्टर के कमरे में पूरे घटनाक्रम को लेकर बैठक चल रही थी, तभी आइसा गुट के तमाम छात्र-छात्राएं हसनगंज कोतवाली पहुंच गए और मारपीट, जातिसूचक शब्दों के प्रयोग, गाली गलौज समेत तमाम आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराने के लिए तहरीर दे दी. दूसरे गुट को जब इसका पता चला तो वह भी हसनगंज कोतवाली पहुंच गया और अपनी तरफ से भी एफआईआर दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र दे दिया. फिलहाल, किसी भी तरफ से एफआईआर दर्ज नहीं की गयी है. यूनिवर्सिटी प्रशासन और पुलिस अधिकारी दोनों गुटों से बात समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं.

आइसा पर है आपत्तिजनक पर्चे बांटने का आरोप
यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि रोहित वेमुला की पुण्यतिथि पर कार्यक्रम करने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन से अनुमति लेनी चाहिए थी. लेकिन, आइसा ने अनुमति नहीं ली थी. यही वजह है उन्हें कार्यक्रम करने नहीं दिया गया. यूनिवर्सिटी प्रशासन का यह भी आरोप है कि आइसा ने विश्वविद्यालय परिसर में भ्रामक पर्चे बांटकर अव्यवस्था फैलाने की कोशिश की. पर्चे बांटने पर यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से कॉमरेड अंजली, समर गौतम समेत कुछ छात्र-छात्राओं को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था.

छात्र गुटों ने एक-दूसरे पर राजनीति का भी आरोप लगाया
विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्र गुटों ने एक-दूसरे पर राजनीति करने का भी आरोप लगाया. आइसा और सहयोगी संगठन के लोगों का कहना था कि उन्हें प्रोटेस्ट मार्च निकालने से रोकने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन एबीवीपी के छात्रों को लेकर आया था. उनका आरोप है कि उन्हें यूनिवर्सिटी सभागार में किसी कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जाती. जबकि एबीवीपी या अन्य संगठनों को दिया जाता है. यह भी आरोप था कि दूसरे गुट में यूनिवर्सिटी से बाहर के कई गुंडे बदमाश भी शामिल थे. उधर, दूसरे गुट के छात्रों का कहना था कि आइसा और उनके सहयोगी संगठनों के साथ समाजवादी पार्टी के लोग भी विरोध प्रदर्शन करने आए थे. प्रदर्शन के दौरान आइसा के लोगों के हाथ में समाजवादी पार्टी का झंडा भी था. फिलहाल यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पूरे घटनाक्रम की वीडियोग्राफी कराई है. चीफ प्रॉक्टर का कहना है कि इस मामले की जांच की जा रही है.

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