Lucknow University: अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की चर्चा इस समय पूरे देश और दुनिया में हो रही है और अब लखनऊ विश्वविद्यालय अपने छात्र छात्राओं को राम नगरी अयोध्या के बारे में भी बताएगा. जिसके बारे में शायद आप भी नहीं जानते होंगे. इतना ही नहीं विश्वविद्यालय में छात्र छात्राओं को प्रभु राम और उनकी वंशावली के बारे में भी जानने को मिलेगा. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से अयोध्या में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने 2002-03 में जो खुदाई कराई थी. उसमें मिले पुरातात्विक अवशेषों ने राममंदिर के संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले में अहम भूमिका निभाई थी. इनकी भी जानकारी दी जाएगी.

  


विश्वविद्यालय का प्राचीन भारतीय इतिहास और पुरातत्व विभाग अयोध्या के इतिहास को बीए के चौथे सेमेस्टर के स्टूडेंट्स को पढ़ायेगा. इसे आठवें पेपर जो कि फील्ड आर्कियॉलजी है उसकी चौथी यूनिट में शामिल किया गया है. सिलेबस में यह बदलाव नई शिक्षा नीति के अंतर्गत किया गया है. 


लखनऊ यूनिवर्सिटी में होगी रामनगरी की पढ़ाई


लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक राय ने कहा कि जो लोग अयोध्या का धार्मिक, आध्यात्मिक महत्व जानते हैं, अब उसके वैज्ञानिक महत्व को भी जान पाएंगे. भगवान राम के बारे में बेहतर जान पाएंगे. संस्थान के तौर पर हमारी जिम्मेदारी है कि जो भी कंटेंपरेरी चीज है, समीचीन है, जिसका कोई सिग्निफिकेंस है, जो ज्ञान व रिसर्च को बढ़ाने में महत्व रखता है ऐसी सभी चीज को हम पढ़ाएं. अयोध्या में जो उत्खनन है, उसकी जो भी कल्चरल सीक्वेंसिंग है उसको विषय के लिहाज से बनाया गया है.


प्रो आलोक राय ने कहा कि ये सुखद संयोग है कि हम अयोध्या से सिर्फ 2 घंटे की दूरी पर हैं. हर वह कहानी जो हम सुनते हैं, उसका एक वैज्ञानिक आधार है. जब हम छोटे बच्चे थे नई क्लास में जाकर नई किताबें मिलती तो बहुत अच्छा लगता था, पढ़ाई भी ज्यादा करते थे. इसी तरह एक टीचर के तौर पर जब हम नया पेपर पढ़ाने जाते हैं तो हमारा उत्साह बढ़ता है और अगर वह हमारी रिसर्च से निकला है तो सिर्फ दिमाग से नहीं बल्कि दिल से क्लास होती है.


नई शिक्षा नीति के तहत बदलाव


एआईएच विभाग के अध्यक्ष प्रो पीयूष भार्गव ने कहा हम अवध क्षेत्र में है, तो अवध कल्चर को जानने के लिए हमारे आसपास की जो साइट्स है वह बहुत इंपोर्टेंट है. बच्चों को उनसे परिचित होना चाहिए. विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर दुर्गेश श्रीवास्तव ने कहा अयोध्या साहित्य में तो बहुत पहले से है ही, पुरातात्विक उत्खनन भी यहां 1969 से शुरू हो गया था. अयोध्या के बारे में ब्रिटिश पीरियड में 1862-63 के आसपास अलेक्जेंडर कनिंघम (फादर ऑफ इंडियन आर्कियॉलजी) ने बताया था.


सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से अयोध्या में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने 2002-03 में जो उत्खनन कराया वह भी बहुत महत्वपूर्ण है. न्यायालय ने उन साक्ष्यों को बहुत महत्वपूर्ण माना है, इस उत्खनन में अभिलेख, मुहरे, विग्रह और सिक्के आदि मिले थे. इस उत्खनन और इसमें मिले पुरातात्विक अवशेषों ने राममंदिर के संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले में अहम भूमिका निभाई थी. ऐसे में ये भी सिलेबस का हिस्सा बनाया है. यानी 1862 से 2002-03 तक क्या-क्या हुआ यह सब उसमें शामिल है. 


वैज्ञानिक तथ्यों को किया जाएगा शामिल


विभाग के विषय विशेषज्ञों की माने तो अयोध्या काफी प्राचीन नगर है. पुराणों के अनुसार इस नगर को राजा मनु ने बसाया था. इसके बाद इक्ष्वाकु, दशरथ और भगवान श्रीराम ने यहां शासन किया. अयोध्या के राजाओं के इतिहास के साथ इस नगरी के महत्व और प्रासंगिकता को भी कोर्स में शामिल किया गया है. अलग-अलग समय में यहां हुए उत्खनन में, विभिन्न कालों से संबंधित मृण्मूर्तियां, पाषाण मूर्तियां, अभिलेख, मुहरें, मुद्रा छाप और सिक्कों के बारे में भी पढ़ाया जाएगा. यानी कुल मिलाकर आपने अयोध्या के बारे में आज तक जो भी पढ़ा और सुना है उसके वैज्ञानिक तथ्य सामने रखकर समझाया जाएगा. 


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