(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
UP Dengue Case: नकली प्लेटलेट्स बेचने वालों पर लगेगा गैंगस्टर एक्ट, प्रयागराज में मरीज की मौत के बाद सरकार का फैसला
डेंगू मरीजों को नकली प्लेटलेट्स बेचने के मामले में अब यूपी में कड़ी कार्रवाई की तैयारी चल रही है. सरकार ने आरोपियों के खिलाफ अब गैंगस्टर एक्ट में कार्रवाई का फैसला किया है.
UP News: सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व वाली मौजूदा यूपी सरकार ने डेंगू (Dengue) के मरीजों के लिए नकली प्लेटलेट्स (Platelet) बेचने वालों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट (Gangster Act) के तहत मामला दर्ज करने का फैसला किया है. यह फैसला प्रयागराज (Prayagraj) में एक मरीज की मौत के कुछ दिनों बाद आया है, जब उसे एक निजी अस्पताल द्वारा प्लेटलेट्स के बजाय फल के रस का इंजेक्शन लगाया गया था. इसके बाद अस्पताल को सील कर दिया गया है और रविवार को इस सिलसिले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
निजी लैब में काम करते थे आरोपी
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) शैलेश कुमार पांडे ने कहा कि गिरफ्तार लोगों ने संगठित तरीके से अपराध किया. उन्होंने कहा कि आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि उनकी कॉल डिटेल की जांच की जा रही है और जिनके नाम फर्जी प्लेटलेट्स रैकेट में सामने आएंगे, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर जेल भेजे गए सभी लोगों की पहचान राघवेंद्र पटेल, सुनील पांडे, सरफराज, दिलीप शुक्ला, प्रदीप पटेल, योगेश्वर सिंह, प्रवीण पटेल, विकास कुमार, अभिषेक और दिलीप पटेल के रूप में हुई है. पुलिस ने दावा किया कि राघवेंद्र, सरफराज, सुनील और दिलीप शुक्ला, जो कथित तौर पर रैकेट के सरगना थे, एक निजी लैब में काम करते थे और शुल्क के भुगतान के बाद ब्लड बैंकों से प्लाज्मा लेते थे और उन्हें प्लेटलेट पाउच में पैक करके जरूरतमंद लोगों को बेचते थे.
पूछताछ में आरोपियों ने किया यह खुलासा
पुलिस ने बताया कि वे जानते थे कि प्लाज्मा और प्लेटलेट्स के बीच अंतर करना मुश्किल है. गिरोह के अन्य छह सदस्य, ज्यादातर छात्र जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के दौरान किराए पर रहते थे, उन्हें प्लाज्मा की प्रत्येक डिलीवरी के लिए 500 रुपये मिलेंगे और वे जरूरतमंदों को प्लेटलेट्स बेचेंगे.
पूछताछ में आरोपी ने खुलासा किया कि इस रैकेट में और भी कई लोग शामिल थे. पुलिस ने कहा कि आरोपियों में से एक अजय अस्पताल के एक कर्मचारी प्रदीप मौर्य की मदद से प्लाज्मा खरीदेगा. फिलहाल दोनों फरार हैं. अजय की गिरफ्तारी से पता चलेगा कि ब्लड बैंक के कर्मचारी रैकेट में तो शामिल नहीं थे.
पुलिस का मानना है कि एसआरएन और बेली अस्पताल सहित ब्लड बैंकों के बाहर गिरोह सक्रिय थे. पुलिस ने कहा, 'आरोपियों के पास से जब्त किए गए प्लेटलेट पाउच पर बेली अस्पताल की मुहर थी.' इस बीच, ग्लोबल अस्पताल के प्रबंधक, डॉक्टर और कर्मचारी अभी भी फरार हैं.
पुलिस प्रदीप के शरीर में डाले गए प्लेटलेट्स के नमूनों की फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार कर रही है. एसएसपी प्रयागराज ने कहा, अभी तक गिरफ्तार किए गए लोगों ने ग्लोबल अस्पताल में प्लेटलेट्स की आपूर्ति नहीं की थी. इसके पीछे के लोगों की पहचान की जानी बाकी है.
ये भी पढ़ें -