लखनऊ: एक तरफ जहां कोरोना संक्रमण की वजह से लोगों के सामने रोजगार का संकट उपजा है तो वहीं दूसरी तरफ कोरोना काल में ही 5.81 लाख नई इकाइयों की वजह से 23.26 लाख लोगों को रोजगार दिया गया है. लॉकडाउन होने पर जब लाखों गरीब-मजदूर रोजगार से खाली हाथ हुए तो हर राज्य ने अपने लोगों के लिए बेहतर प्रयास किए. भारतीय रिजर्व बैंक ने जो रैंकिंग जारी की है, उसमें उत्तर प्रदेश ने टॉप 5 में जगह बनाई है. आरबीआई के अनुसार एमएसएमई के माध्यम से रोजगार देने वाले राज्यों में यूपी टॉप 5 में शामिल है.
यूपी ने इन राज्यों को पछाड़ा
भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में एमएसएमई से रोजगार देने के मामले में प्रदेशवार सूची जारी की है. इसमें सर्वाधिक रोजगार देते हुए महाराष्ट्र पहले, तमिलनाडु दूसरे, गुजरात तीसरे, मध्य प्रदेश चौथे और उत्तर प्रदेश पांचवें स्थान पर है. इतना ही नहीं यूपी ने राजस्थान, कर्नाटक, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों को रोजगार देने के मामले में पीछे छोड़ दिया है. योगी सरकार की 'एक जनपद एक उत्पाद योजना' (ओडीओपी) रोजगार के मामले में गेम चेंजर साबित हुई है. बड़े जिलों के साथ जौनपुर, एटा, पीलीभीत, मिजार्पुर और प्रतापगढ़ जैसे छोटे जिले भी ओडीओपी योजना के साथ रोजगार के केंद्र बने हैं.
नई इकाइयों की शुरुआत हुई
एमएसएमई विभाग के अनुसार प्रदेश में 5,81,671 नई इकाइयां शुरू हुईं, जिसमें कुल 23,26,684 लोगों को रोजगार दिया गया. आंकड़ों में 2,57,348 श्रमिक ऐसे हैं जिन्हें पहले से चल रही इकाइयों में ही रोजगार मिल गया. दूसरे राज्यों से लौटे लगभग 40 लाख प्रवासी श्रमिकों का स्किल मैपिंग अभियान चलाया गया. आंकड़ों के अनुसार निर्माण इकाइयां जैसे रियल एस्टेट के जरिये 1,14,466 प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मिला.
आंकड़े एक नजर में
- वर्तमान में कार्यरत इकाइयां - 8,07,537
- पहले से कार्यरत श्रमिक - 48,13,401
- नए श्रमिक - 2,57,348
- निर्माण (कंस्ट्रक्शन) इकाइयों में लगे प्रवासी - 1,14,466
- नई इकाइयां (यूनिट्स)- 5,81,671
- नई इकाइयों से मिले कुल रोजगार - 23,26,684
- 1 लाख से अधिक श्रमिकों को छोटे जिलों में ही मिला काम
- रोजगार सृजन के मामले में गैर बीजेपी शासित राजस्थान, दिल्ली और पंजाब जैसे राज्य यूपी से पीछे
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