UP Politics: बसपा को BJP की बी टीम बताने पर विधायक उमाशंकर सिंह का जवाब, अखिलेश को लेकर कही ये बात
UP News: बसपा विधायक उमाशंकर सिंह ने कहा कि बंगाल में आखिर सपा का है क्या? वहां जा रहे, कभी केसीआर के जन्मदिन में जा रहे हैं. यह सब सोची-समझी रणनीति है, जिसके तहत बीजेपी उनसे यह करा रही है.
Uttar Pradesh News: बसपा विधायक उमाशंकर सिंह (BSP MLA Umashankar Singh) ने एक बार फिर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर निशाना साधा है. बसपा को बीजेपी (BJP) की बी टीम बताने के बयान पर उमाशंकर सिंह ने कहा कि अखिलेश यादव का अपना जनाधार समाप्त हो चुका है, वे बौखलाए हैं क्योंकि जानते हैं कि बसपा ही फ्रंट पर आ गई है. अभी तक वह अन्य लोगों को गुमराह करके रखे थे कि वही बीजेपी से लड़ पाएंगे, लेकिन लोग समझ चुके हैं कि 2022 में इतनी ताकत के बाद भी वह बीजेपी से नहीं लड़ पा रहे क्योंकि उनका बेस बहुत छोटा है, जबकि बसपा का बेस बहुत बड़ा है. अगर बसपा में वे वोट जुड़ेंगे तो वह बीजेपी से कहीं आगे दिखाई देगी.
उमाशंकर सिंह ने कहा कि समाजवादी पार्टी बीजेपी की बी टीम के रूप में काम करती है. वहां से स्क्रिप्ट लिखा जाता जो सपा के नेता पढ़ते हैं. उनको बताया जाता कि अब तेलंगाना जाइए, बंगाल जाइये. वे लोग बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं, समाजवादी पार्टी के लिए नहीं. बंगाल में आखिर समाजवादी पार्टी का है क्या? वहां जा रहे, कभी केसीआर के जन्मदिन में जा रहे हैं. यह सब एक सोची-समझी रणनीति है, जिसके तहत बीजेपी उनसे यह सब करा रही है.
मायावती के ट्वीट पर क्या कहा
बसपा अध्यक्ष मायावती के कांशीराम जयंती के अवसर पर किये ट्वीट को लेकर उमाशंकर सिंह ने कहा कि निश्चित रूप से बाबा साहब ने हमें संविधान में जो अधिकार दिए उसको कांशीराम ने आगे बढ़ाया और अब बहन जी उस कारवां को आगे बढ़ा रही हैं, लेकिन अभी बहुत से अधिकार दबे कुचले लोगों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिसके लिए हाथ में सत्ता की चाबी चाहिए. बहन जी जब मुख्यमंत्री रहीं तो अमन चैन था, उत्तर प्रदेश क्राइम के मामले में 34वें नंबर पर था.
उमाशंकर सिंह ने आगे कहा कि, बहुजन समाज के सभी लोग आज यह संकल्प लेकर जा रहे हैं कि जब तक बहन जी को सत्ता की चाबी नहीं सौंप देंगे तब तक चैन से नहीं रहेंगे. मंदिरों में पाठ कराने के फैसले पर विधायक उमाशंकर सिंह ने कहा कि समझ नहीं आता कि इस पर इतनी सियासत क्यों हो रही है. इसके लिए संस्कृति विभाग तो बना ही है, लेकिन धनराशि बढ़ानी चाहिए, 1 लाख रुपये 1 जिले के लिए बहुत कम है. इसके अलावा जो अन्य धर्म के त्योहार हैं, उन्हें भी प्रोत्साहित करने के लिए धनराशि दी जानी चाहिए.