Uttar Pradesh News: लखनऊ (Lucknow) में सोशल मीडिया पर इन दिनों एक नकाब पहनी महिला का स्विगी (Swiggy) का बैग लिए फोटो तेजी से वायरल हो रहा है. महिला का नाम रिजवाना है जो अपने तीन बच्चों का पेट पालने के लिए कंधे पर स्विगी का बैग लिए हर रोज 25 से 30 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करती हैं. रिजवाना ने बताया कि घर खर्च चलाने के लिए वह सुबह और शाम लोगों के घरों में बर्तन मांजने और झाड़ू पोछा का काम करती हैं, जिससे उन्हें 1500 रुपये मिल जाते हैं. इसके बाद दोपहर में वह अपने बैग में डिस्पोजेबल ग्लास और कप लेकर बाजार की छोटी छोटी दुकानों, ठेलों पर बेचकर फेरी का काम करतीं हैं, जिसमें उन्हें प्रत्येक पैकेट पर 2-3 रुपए तक की बचत होती है. रिजवाना हर महीने 5 से 6 हजार रुपए का काम कर लेती हैं.
क्या बताया रिजवाना ने
कंधे पर स्विगी का बैग लिए संघर्षों और चुनौतियों से भरा सफर तय करने वाली महिला रिजवाना लखनऊ चौक में जगत नारायण रोड पर बसी जनता नगरी कॉलोनी में रहती हैं. रिजवाना बहुत ही गरीब परिवार से हैं. वे लगातार आर्थिक तंगी की मार झेलते हुए अपने बच्चों का जीवन संवारने में लगी हैं. नम आंखों से आगे बताते हुए रिजवाना कहती हैं कि 23 साल पहले मेरी शादी हुई थी, मेरे पति रिक्शा चलाते थे, लेकिन एक दिन रिक्शा चोरी हो गया. गरीबी का आलम इस कदर था कि मेरे पति को सड़कों पर भीख मांगनी पड़ी. इस दौरान उनका घर आना जाना भी बहुत कम हो गया था, लेकिन पिछले तीन साल से वे घर नहीं आए. तभी से लगातार उन्हें खोज रहे हैं, लेकिन उनका कुछ भी पता नहीं चला.
क्यों लिया स्विगी का बैग
वहीं वायरल फोटो में रिजवाना Swiggy फूड डिलीवरी का बैग अपने कंधों पर ली हुई हैं. इस तस्वीर को देखने के बाद लोगों के मन में यह बात बैठ गई कि महिला Swiggy के लिए काम करती हैं, लेकिन रिजवाना ने इस बात को खारिज करते हुए कहा, "डिस्पोजेबल ग्लास और कप रखने के लिए मुझे मजबूत बैग की जरूरत थी, डालीगंज पुल पर एक आदमी यह बैग 50 रुपए में बेच रहा था, मजबूती को देखते हुए मैंने इसे खरीद लिया. तब से इसी बैग में मैं अपना सामान रखकर बेचने जाती हूं. मैं Swiggy के लिए काम नहीं करती हूं."
बहुत गरीब है परिवार
रिजवाना अपने चार बच्चों के साथ 10 बाई 10 के कमरे में रहती हैं. बड़ी बेटी का नाम लुबना है, जिसकी शादी उन्होंने दो साल पहले कर दी थी, वह अपने ससुराल में रहती है. इसके अलावा 19 साल की छोटी बेटी बुशरा, 7 साल की नशरा और 11 साल का बेटा यासीन है. छोटे से 10 बाई 10 के कमरे में रहने वाली रिजवाना कहती हैं कि जब मैं बाजार जाती हूं तो मुझे बच्चों की फिक्र लगी रहती है. छोटा बेटा थोड़ा नटखट है, बहुत शरारतें करता है किसी तरह की कोई दुर्घटना न हो जाए, बस यही सोचकर मन थोड़ा परेशान रहता है. काम के समय वे बाजार जाती हैं तो बेटी बुशरा छोटे भाई बहनों को संभालती है.
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