लखनऊ: विशाल सैनी की खुदकुशी के मामले में फंसी ट्रेनी आईपीएस प्राची सिंह को बचाने के लिए पुलिस महकमा कोई कसर बाकी नहीं रख रहा. विशाल के सुसाइड नोट में प्राची सिंह का नाम साफ तौर पर लिखा होना और मौत से पहले 112 नंबर पर कॉल करके प्राची सिंह को जिम्मेदार बताने के बावजूद लखनऊ पुलिस इस मामले में एफआईआर दर्ज करना तो दूर जांच तक नहीं कर रही है. पुलिस की इस भूमिका से सवाल उठ खड़े हुए हैं. ऐसा तब है जब कुछ महीने पहले ही महोबा के एसपी आईपीएस मणिलाल पाटीदार पर भी क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी को आत्महत्या के लिए उकसाने का गंभीर आरोप लगा था. उन्हें बचाने की कोशिश में सरकार और पुलिस महकमे को काफी फजीहत झेलनी पड़ी थी.


क्या था मामला
प्रशिक्षु आईपीएस प्राची सिंह पर सेक्स रैकेट में फंसाकर कैरियर बर्बाद करने का आरोप लगाते हुए अलीगंज के विशाल सैनी ने खुदकुशी कर ली थी. विशाल सचिवालय में संविदा पर नौकरी करता था और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा था. उसे करीब 1 महीने पहले इंदिरा नगर में स्पा सेंटर पर छापेमारी के दौरान पुलिस ने गिरफ्तार किया था. 5 मार्च को ही वो जमानत पर जेल से छूट कर आया था. विशाल ने बुधवार सुबह रैदास मंदिर रेलवे क्रॉसिंग पर ट्रेन के सामने कूदकर अपनी जान दे दी थी. मरने से पहले उसने यूपी 112 नंबर पर कॉल करके खुदकुशी करने की जानकारी दी. पुलिस को विशाल के पास से एक सुसाइड नोट मिला है जिसमें उसने अपनी मौत के लिए प्रशिक्षु आईपीएस प्राची को जिम्मेदार ठहराया है.


तनाव में था विशाल
अलीगंज के चांदगंज छपरतला निवासी फूल विक्रेता अर्जुन सैनी ने बताया कि उनका बड़ा बेटा विशाल इंदिरा नगर में अपने दोस्त की दुकान पर खड़ा था तभी पुलिस ने उसे पकड़ लिया. परिवार के सदस्यों के मुताबिक पुलिस वालों ने विशाल को कुछ देर में छोड़ने को कहा लेकिन उसे फर्जी मामले में जेल भेज दिया गया. 5 मार्च को परिवार के लोगों ने विशाल की जमानत कराई. घर आने के बाद से विशाल बहुत तनाव में था और परेशान रहता था. उसकी संविदा की नौकरी समाप्त की जा चुकी थी. परिवार वालों का कहना है कि विशाल अंदर ही अंदर घुटता रहता था. वो परिवार के सदस्यों और दोस्तों-परिचितों से बात ना करता था और ना ही किसी से मिलता था. ठीक से खाना भी नहीं खाता था और उसने बाहर भी आना जाना बंद कर दिया था.


ट्रेन के सामने कूदकर दी जान
बुधवार सुबह उसने अपने दोस्तों और परिचितों को व्हाट्सअप पर गुड मॉर्निंग के मैसेज भेजे. परिवार वालों ने बताया कि करीब 11 बजे वो घर से बाहर निकला था और आधे घंटे बाद ही उसकी खुदकुशी की सूचना आ गई. विशाल ने रैदास मंदिर क्रॉसिंग पर ट्रेन के सामने कूदकर जान दे दी. उसकी मौत से परिवार के सदस्यों में हाहाकार मच गया और मोहल्ले में शोक छा गया. विशाल के पास मिले सुसाइड नोट में आईपीएस का नाम होने के चलते फिलहाल इस मामले में पुलिस अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है.


बिना जांच आईपीएस पर लगे आरोपों को निराधार बता चुकी है पुलिस
सुसाइड नोट में आईपीएस प्राची सिंह का नाम आने के मामले में लखनऊ पुलिस ने जांच किए बगैर विशाल के आरोपों को निराधार बताया है. इस मामले में सफाई देते हुए पुलिस ने कहा कि पूरी कार्रवाई नियमानुसार की गई थी. विशाल की गिरफ्तारी 13 फरवरी को इंदिरा नगर के स्टाइल इन दि ब्यूटी सैलून एन्ड स्पा सेंटर से 3 अन्य युवकों और 5 युवतियों के साथ की गई थी. वो जेल से 5 मार्च को छूटकर आया. इस दौरान विशाल या उसके परिवार के लोगों ने एक बार भी उसे न निर्दोष बताया और न ही पुलिस के किसी अधिकारी-कर्मचारी पर आरोप लगाया. हालांकि, विशाल के खुदकुशी करने के बाद पुलिस ने इस गंभीर मामले में जांच तक कराने की जरूरत नहीं समझी.


केस दर्ज कराने के लिए भटक रहा है परिवार
आईपीएस अधिकारी प्राची सिंह पर मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर विशाल सैनी के पिता अर्जुन और परिवार के लोग गुरुवार दोपहर अलीगंज थाना पहुंचे थे. जहां से मामला हसनगंज का बताते हुए उन्हें वहां भेज दिया गया. पिता ने हसनगंज पुलिस को आईपीएस के खिलाफ तहरीर दी पर एफआईआर दर्ज करने के बजाय उन्हें टरका दिया गया. पिता का कहना है कि बेटे की आत्‍महत्‍या के मामले में आईपीएस अधिकारी जिम्‍मेदार हैं. उनकी वजह से ही बेटे ने आत्‍महत्‍या की है इसलिए आईपीएस के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए. हालांकि, पुलिस इस मामले में किसी तरह की कार्रवाई करती नजर नहीं आ रही. विशाल के परिवार के लोगों का कहना है कि पुलिस ने तहरीर ले ली है, लेकिन कोई रिसीविंग नहीं दी है. अगर पुलिस उनकी एफआईआर दर्ज नहीं करेगी तो वो कोर्ट जाएंगे.


सुसाइड नोट में लिखी थी ये बातें
''मैं विशाल सैनी पुत्र अर्जुन सैनी अपने पूरे होशो हवास में आत्महत्या कर रहा हूं जिसकी जिम्मेदार प्राची सिंह आईपीएस है. जिन्होंने मेरा करियर खराब कर दिया है. जिसकी वजह से समाज में मैं नजरें उठाकर नहीं चल पा रहा हूं. मुझे घुटन सी हो रही है. मेरे परिवार से मैं नजरें नहीं मिला पा रहा हूं. प्राची सिंह आईपीएस 2017 बैच इनको कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए जिससे ये निर्दोष लोगों को जेल न भेजें. अपने पद का गलत इस्तेमाल न करें. अपने प्रमोशन के चक्कर में कई निर्दोषों की सजा न दें. मैं बेकसूर था, मुझे सेक्स रैकेट में प्राची सिंह ने फंसाया है. मम्मी-पापा अपना ख्याल रखना, एलआईसी से जो पैसा मिले, उसे अपने मकान के लिए उपयोग करना...आपका लाडला विशाल सैनी''


क्या कहता है कानून
कानून के मुताबिक कोई भी पीड़ित अगर अपनी शिकायत लेकर थाने जाता है तो पुलिस को उसकी तहरीर पर एफआईआर दर्ज कर जांच करनी चाहिए. हालांकि, पुलिस ज्यादातर मामलों में शिकायतकर्ता को टरका देती है. पीड़ित अगर गरीब, कमजोर और निर्बल हो या बिना किसी सिफारिश के थाने पहुंचा हो तो ऐसे लोगों की तहरीर लेकर पुलिस जांच की बात कहते हुए टरका देती है जबकि रसूखदार लोगों की एफआईआर दर्ज करने के बाद जांच की जाती है. विशाल सैनी के मामले में पुलिस ने पीड़ित पक्ष की तरफ से तहरीर लेकर जांच की बात कहते हुए उन्हें टरका दिया. नियम ये है कि पीड़ित की शिकायत पर तुरंत एफआईआर दर्ज करनी चाहिए. अगर पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करती है तो पीड़ित के पास कोर्ट की शरण में जाने का विकल्प बचता है. विशाल सैनी के परिवार वाले पुलिस के टरकाने के बाद अब एफआईआर दर्ज कराने के लिए कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं.


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